कोंकण और पुणे के आस-पास बिताये गए कुछ सप्ताहांत की झलकियों की तीसरी कड़ी में... हरिहरेश्वर और श्रीवर्धन.
इससे पहले अलीबाग और दिवेआगर हो चुका है... दिवेआगर से श्रीवर्धन और फिर हरिहरेश्वर कुछ ३०-३५ किलोमीटर की यात्रा है. इस यात्रा की सबसे खुबसूरत बात ये है की ये लगभग पूरे समय समुद्र (अरब सागर) के किनारे-किनारे चलता है. बस दाहिनी तरफ़ देखते रहो और खुबसूरत समुद्री नज़ारा दीखता रहता है. ये नजारे यात्रा को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. बीच में मछुवारों के गाँव से गुजरते समय बस थोडी देर के लिए नज़ारा छुटता है और इसी थोडी देर में ही मछली की तीखी गंध भी नाकों में प्रवेश करती है. तटीय क्षेत्र होने के कारण मुख्य यहाँ के जीवन-यापन पर मछ्ली और नारियल का बहुत बड़ा योगदान दिखना स्वाभाविक ही है.
अगर आप धर्म में रूचि रखते है तो कुछ प्रसिद्द मन्दिर भी हैं इस क्षेत्र में.
श्रीवर्धन का समुद्रतट है तो सुंदर ! पर इस क्षेत्र के अन्य समुद्र तटों को देखने के बाद कुछ ख़ास प्रतीत नहीं होता. पर हरिहरेश्वर पहुचने के बाद चट्टान वाला तट... आपको मोहित कर लेगा. अगर आप प्राकृतिक संरचना और नजारों के शौकीन हैं तो फिर निराशा का सवाल ही नहीं उठता. हरिहरेश्वर का प्रसिद्द 'काल भैरव' शंकर भगवान् का मन्दिर है. मन्दिर के समीप प्रदक्षिणा का मार्ग बना हुआ है. धार्मिक भावना हो न हो अगर एक बार आप वहां तक गए हैं और इस मार्ग पर नहीं गए तो बहुत कुछ छुट जायेगा... एक तरफ़ अरब सागर और दूसरी तरफ़ लहरों से कटे-छंटे चट्टान... प्रकृति के खुबसूरत नमूने हैं. दो खड़े चट्टानों के बीच बनी सीढी से उतरना और फिर तट तक पहुचना... अगर ज्वार का समय हो तो आप चट्टानों से टकराती हुई लहरों को भी देख सकते हैं. पर पत्थरों की संरचना भी अपने आप में बहुत खुबसूरत है. ऐसी मान्यता है की अगस्त मुनि का आश्रम यहाँ हुआ करता था.
इस मन्दिर के समीप ही महाराष्ट्र पर्यटन विभाग का रिसॉर्ट और एक अन्य खुबसूरत समुद्री तट है. यहाँ से चट्टानयुक्त और बालू दोनों के ही तट समीप ही हैं. एक-आध छोटे वाटर स्पोर्ट्स की भी व्यवस्था हैं.
जब कुछ नहीं ... तो यात्रा वृतांत. अगली बार जब कुछ ठेलने को नहीं मिला तो कोंकण यात्रा में आगे चलेंगे... ! बड़ी मजेदार जगहें हैं.
(ये ठीक ऊपर वाली और पहली तस्वीर दिवेआगर और श्रीवर्धन के बीच के मार्ग पर ली गई थी और ऊपर से दूसरी तस्वीर हरिहरेश्वर के समुद्र के किनारे के चट्टानों की है. नीचे के ये सारे चित्र हरिहरेश्वर के हैं. )
फिलहाल मैं कल से १५ दिनों की छुट्टी पर घर जा रहा हूँ तो तब तक के लिए इधर से भी छुट्टी !
एक पखवाडे के लिए बिलागरी बंद... बस ईमेल और फ़ोन चालु.