मार्च २००८, पुणे में एक ढाबा:
ढाबे में बैठा कुछ मेसेज पढ़ रहा था, कुछ डिलीट कर रहा था... सामने मेरे मित्र मेन्यु छान रहे थे. १०-११ साल का बच्चा पानी लेकर आया और बड़ी उत्सुकता से मेरे मोबाइल में झांकने लगा... मैंने भी मुस्कुरा दिया। उसे भी थोडी आत्मीयता लगी... और उसने पूछ लिया 'चित्र है क्या?'
मैंने कहा हाँ हैं... मैंने उसे कुछ इधर-उधर की खिंची हुई तस्वीर दिखाई... फिर उसने पूछा: 'गाना है क्या?'
मैंने गाना भी बजा दिया... २ मिनट में बोला: 'विडियो है क्या?'
चलो भाई विडियो भी सोचा चला ही देते हैं... पहला ही गाना 'कजरारे' दिखा... पता नहीं क्या दिमाग में आया और मैंने उसे न चला कर पंकज उधास का एक गाना है 'और आहिस्ता कीजिये बातें' का विडियो चला दिया. बच्चा बहुत खुश था मैं भी खाने का इंतजार कर रहा था... गाना चलाकर रख दिया नीचे. आपस में मैं और मेरे मित्र कुछ बात भी कर रहे थे. फिर अगली मांग आप समझ ही गए होंगे... थोड़ा धीरे से मुस्कुराते हुए बोला: 'सेक्स है क्या?'
मैं तो कूल हो गया... बस यही कहते हैं हम. कूल हो जाना... मैं कुछ बोला ही नहीं! कहाँ थोडी देर पहले कजरारे बजाने में सोच रहा था...
मेरे मित्र ने बस इतना ही कहा 'क्या रे छोटू क्या बोला? यही सब देखता है !'
मैंने खाना खाया... काफ़ी देर तक चुप ही रहा... मेरे मित्र ने भी कुछ नहीं कहा बस इतना ही कहा 'क्या कर सकते हो यार ऐसी ही दुनिया है... हमें लगता है की हमें ही सबसे ज्यादा पता हैं गरीबी और उनकी समस्याओं को !' बीच में एक बड़ा लड़का आया तो उससे बस पूछा की 'उसकी उम्र क्या होगी?' उसने अलग ही सवाल पूछ लिया की 'क्यों क्या हुआ? कुछ बोला क्या?'
किससे क्या कहें भाई? उसकी क्या गलती है ! १० साल की उम्र होगी... एक तो वहां काम करता है कितनी मजबूरी होगी ये तो वही जानता होगा. हम कुछ कहें तो ज्यादा से ज्यादा पहले बाल-मजदूरी कह के उसका काम बंद हो सकता है ! बस ! भले कोई ये सोचे न सोचे... उसके बाद वो क्या करेगा.
गलती तो उसकी है जिसने बताया है उसे... किसी ने तो बताया है की मोबाइल में ये होता है... बताया ही क्यों दिखाया भी होगा... नहीं तो ऐसे कैसे बोल सकता है वो किसी से ! उन लोगों से कैसे निपट सकते हैं ! इस घटना पर और लिखें भी तो क्या?
~Abhishek Ojha~
उसने तो सवाल किया! आप उसकी उमर पूछने लगे। क्या बात है! :)
ReplyDeleteवाकई सोचनीय स्थिती..
ReplyDeleteपहले टीवी, फिर वीडियो, फिर केबल, फिर मोबाइल की कदम दर कदम बूढ़ों और युवाऒं को ही नही बचपन को भी खूब पटकनी दी है.
आज आप एक कविता पढ़ियेगा नीचे दिये लिंक पर
kalamdanshpatrika.blogspot.com
दर्दनाक।
ReplyDeleteऐसी ही है दस साल की उम्र। उस से पहले ही आठ साल की उम्र में ही यौन जिज्ञासाएँ उपजने लगती हैं। बालक यदि कामकाजी हुआ तो शायद उस से पहले भी। यही वह उम्र है जब शनैः शनैः उन की यौन शिक्षा कायदे से होनी चाहिए।
ReplyDeleteलेकिन जब शिक्षा ही नहीं तो यौन शिक्षा कहाँ होगी? वैसे ही ढाबे के कुछ, दो-चार साल बड़े साथियों के बीच! जिन्होंने शायद उस का यौन शोषण भी किया हो!
जन संचार माध्यमों के प्रसार का एक साइड इफेक्ट यह भी है। इसे रोकना बहुत कठिन है।
ReplyDeleteलड़का जब ढाबे पर है तो हम उसपर दयाभाव रखते हैं, लेकिन इसी उम्र का लड़का जब क्लास रूम की लड़की का MMS बनाकर फ़्लैश करता है, तो इस तकनीक के घिनौने रूप की चर्चा होती है लेकिन इसे high society की बुराई कह कर ‘कूल’ हो लिया जाता है।
यह सब आज कल की हवा में शायद घुला हुआ है ..बच्चे किस कदर तेजी से इस माहौल में किस राह पर जा रहे हैं ..इसकी फ़िक्र कौन करता है ..सही बात है शिक्षा का सही ढंग ही नही है जब तो बाकी चीजों पर ध्यान कैसे दिया जा सकता है ...
ReplyDeletebahut kuch kah gaye aap is post mein..
ReplyDeleteसेक्स के बारे में पूछा, गलत नहीं किया। यौन शिक्षा की उम्र तो लगभग यही है। दस वर्ष की उम्र में तो यह जिज्ञासा हममें भी पनपने लगी थी। जिज्ञासा है, शांत कर दीजिये संभव है सम्हल जाए, शांत नहीं करेंगे तो जिज्ञासा निश्चित ही कुंठा में परिवर्तित हो जाएगी।
ReplyDeleteबच्चे अब जल्दी बड़े हो रहे हैं। यह एक यूं ही किया गया कमेण्ट नहीं, चहुं ओर दीखती वास्तविकता है।
ReplyDeleteपूरी तरह वास्तविकता पर आधारित है आपकी पोस्ट, आज बच्चे वक्त से पहले बड़े हो जाते हैं जो कि समाज के लिए घातक है...
ReplyDeleteaajkal t.v. aur films dekhkar bachche samay se pahle bade ho rahe hain....isliye aisi jigyasa hona swabhavik hai.
ReplyDeleteआपने बहुत विचारणीय वाक़या सुनाया है ! असल में जो ढाबों,
ReplyDeleteचाय की दुकानों, पंक्चर पकाने की दुकानों इत्यादि पर जो बच्चे
काम करते पाये जाते हैं ! उनमे बडो को सुनसुन कर जल्दी इन
सब बातो की तरफ़ आकर्षित हो जाते हैं ! दिन रात उसी माहोल
में रहते हैं ! मैंने तो इस उम्र के बच्चों को इतनी बेहतरीन और
ताजा तरीन गालियाँ बकते सूना है की क्या बताये ! और मेरी
समझ से यह सब माहोल का असर है ! बच्चे क्या कर सकते हैं !
जैसे आपने उसकी फरमाइश पर चित्र, गाना और विडियो दिखा
दिया ऐसे ही किसी सज्जन ने बिना डिमांड पहली बार में सेक्स
दिखा दिया होगा ! अब सब तो आप जैसे नही हैं ! धन्यवाद !
बच्चो को बिगाड़ने में आसपास के उससे जुड़े लोग और गन्दा वातावरण ही उनको बिगाड़ने में मुख्य रूप से जुम्मेदार होते है . सटीक पोस्ट के लिए धन्यवाद्.
ReplyDeletesochneey
ReplyDeleteis par aur kahein kya..
अगर मेरे से भी कोई बच्चा इस उमर का यह यह सवाल पुछे तो मे भी हेरान ही हुगां, लेकिन यहां गलती इस बच्चे की नही हे बडो की हे उस के मां वाप की हे, बच्चा तो अभी नादान हे, ओर मां बाप को समझाना चाहिये.
ReplyDelete्धन्यवाद
कुछ परिस्थिथिया ओर कुछ वक़्त सबको अपना एक्स्पोसर दे देता है अभिषेक ....बस इसे किस्मत भी कहते है जो गरीबी की शक्ल में आती है.
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील बात कही है.
ReplyDeleteगरीबी से ज़्यादा दर्दनाक क्या हो सकता है? बाकी सब तो सिर्फ़ साइड-इफेक्ट ही हैं.
aisa mere sath bhi 1-2 bar ho chuka hai patna me.. bachche mujhe achchhe lagte hain, so unse bate bhi khoob hoti hai.. aur aisi hi kai baaten bhi beech me aa jati hain..
ReplyDeletekya kahiyega..
स्मार्ट इंडियन जी से सहमत हूँ ..बाकि तो साइड इफेक्ट हैं
ReplyDeleteachche mudde ko chua hai aapne. apne tajurbe ke zariye
ReplyDeletemubarakbaad
aapki post ne nishabd kar diya.....
ReplyDeleteबहुत बढिया !
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