Apr 19, 2010

मुझे वो (भी) चाहिए...

'अबे सुन, जरा अपनी बाइक दे दे आज... ऐसा कर ले के मेरे घर ही आ जा '

'आके ले जा... वैसे तेरी गाड़ी खराब हो गयी क्या?'

'नहीं आज मौसम थोड़ा अलग सा हो रहा है तो मैडम को ड्राइव पे जाने का मन है... तुझे काम हो तो मेरी गाड़ी ले जा.'

'हाँ ये अच्छा आइडिया है वैसे भी 'वो' छोटी गाड़ी में बैठती नहीं है... तेरी गाड़ी लेकर जाता हूँ आज. शायद आज आ जाये... ही ही ही...'

... यही हाल दिखता है आजकल मुझे अपने इर्द-गिर्द. कार वाले को बाइक पसंद है और बाइक वाले को कार. कैसी बिडम्बना है. छोटी गाड़ी वाले को जो पसंद है वो बड़ी गाड़ी वाले को पसंद करती है. बड़े गाड़ी वाले की मैडम कहती हैं एक अच्छी बाइक नहीं ले सकते थे, ये कोई उम्र है कार में बैठने की?...  और उसे खुद लगता है जो है इसकी भी क्या जरूरत थी.

सरकारी नौकरी में चले गए लोगों को लगता है वो अगर प्राइवेट सेक्टर में रहे होते तो आज ना सिर्फ सीईओ होते बल्कि स्टीव जोब्स जैसों की जगह उन्हीं का नाम होता. और प्राइवेट सैक्टर वाले तो खैर... 'सालों ने देश बर्बाद कर रखा है, मैं होता तो दिखा देता कैसे बदला जाता है सिस्टम दो दिनों में... सब के सब साले करप्ट हैं! ...'

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खैर... और भी स्नैपशॉट हैं इस बीमारी के... 'तुम्हारे जितनी मेरी सैलरी होती तो आज पार्किंग में एक और नयी गाड़ी खड़ी होती. ...अबे ये बता फ़ाइनेंस में जाने के लिए क्या पढ़ूँ? सुना है हमारे अभी के पैकेज से दोगुना तो बोनस ही मिल जाता है !'  इस ड़ाल से उस ड़ाल उछलते रहने की ये एक अलग ही माया है. बगल वाले के घर के पिछवाड़े में उगे एक बबूल और अरंडी के पेंड भी अपने बगीचे से ज्यादा हरे भरे लगते हैं ! (वैसे अब पेंड की बात ही कौन करता है 'उसकी बालकनी में चार गमले हैं' और एक हम हैं... टाइप का जमाना है). अपने पास जो है वो चाहिए या नहीं इसमें दुविधा हो सकती है लेकिन दूसरे के पास जो है वो जरूर चाहिए. सामने वाले का काम रोचक लगता है अपना पकाऊ !

'ये कर के ही क्या उखाड़ लोगे? कभी सोचा है जीवन में क्या करना है? यही करते रहोगे क्या जीवन भर? पैसा तो तुमसे अधिक एक कॉलेज कैंटीन में चाय बेचने वाला कमा लेता है...'. मैंने थोड़ी देर बाद कहा 'तुम्हें पता है तुम अभी जिससे ये कह रहे थे वो भारत के टॉप 1-2 परसेंट सैलरिड लोगो में आएगा.'

'तो? जो वो करता है उसका वास्तविक जिंदगी से कोई मतलब भी है? सैलरी... हुह... मेरे गाँव चलना कभी एक सिपाही का बंगला दिखाउंगा तुम्हें...'

'अभी भी मौका है छोड़ो ये सब... चलो दरोगा बनते हैं बुलेट से चलेंगे, रोब होगा rangbaaj-daroga इलाक़े में अपना... ये जो कर रहे हो इसका कोई फायदा नहीं... अमरीका जाके फ़रारी  से भी चलोगे तो एक बुलेट वाले से कम भाव रहेगा... वैसे मुझे पता है तुम वहाँ भी सबवे से ऊपर नहीं उठ पाओगे'

'पहले किसी दरोगा से पूछ लें? कहीं उसे भी ये ना लग रहा हो कि जीवन खराब लिया हो उसने अपना... ढंग से पढ़ा लिखा होता तो आज तुम्हारी तरह किसी सो कॉल्ड मल्टीनेशनल में काम कर रहा होता'

'पागल हो क्या? चल तुझे इसी वीकेंड तुझे एक सिपाही का बंगला दिखा के लाता हूँ...'

'अबे लेकिन अभी तक तो बात पैसे की नहीं थी? जीवन में कुछ मिनिगफूल करने की बात थी ...'

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ओह ! किसी को खेती नहीं करनी, किसी को नौकरी, कोई बीजनेस से ही परेशान है. मजे की बात ये है कि कई नौकरी वालों को लगता है कि अगर वो खेती कर रहे होते तो कायाकल्प कर देते... जो अभी खेती कर रहे हैं वो तो जैसे निरे मूर्ख ही हैं !

अक्सर बच्चे कहते हैं... 'अगर उसकी तरह पढ़ता तो फिर उससे ज्यादा नंबर ला कर दिखा देता, मैं तो पढ़ता ही नहीं'. अरे क्यों नहीं पढ़ रहे हो बे... पढ़ाई के अलावा और क्या-क्या करते हो बताना जरा?

खैर... ड्राइव करने में कितना मजा आता है ये उससे पूछ के देखना जरा जो रात-रात भर गाड़ी चलाता है. कुछ दिनों पहले एक बस की खिड़की से झुग्गी-झोपड़ी देखते हुए किसी ने मुझसे कहा 'हाउ क्यूट न? कितने प्यारे-प्यारे घर हैं'

'... हाँ बड़े क्यूट है... जाओ रह के आओ 4 दिन... फिर अच्छे से पता चलेगा क्यूटनेस क्या होता है.' मोहतरमा बुरा मान गयी और बाजू की सीट से उठकर चली गयीं.

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... अरे जो कर रहे हो वो भी इतना पकाऊ नहीं है  जितना तुम सोच रहे हो... और जिसके बारे में सोच रहे हो वो तो उतना रोचक नहीं ही है जितना तुम्हें दिख रहा है... अभी जहाँ हो वो जरा ढंग से कर के तो देखो. इससे आगे मैं तो ये भी कहना चाहता हूँ कि तुम वहाँ जाकर भी ऐसी ही बाते करोगे... लेकिन छोड़ो बुरा मान जाओगे.

...और हाँ मैडम को मौसम और बाइक के कंबिनेशन ने बीमार कर दिया और बड़ी गाड़ी पसंद करने वाली को दरअसल गाड़ी नहीं किसी और में कुछ और ही बात पसंद है ! योर परसेप्शन इस नोट ऑल्वेज़ द रियलिटी...

~Abhishek Ojha~

पोस्ट लिखने के बाद सोचा किसी दरोगा की बुलेट पर बैठी फोटो लगा दी जाय. गूगल किया तो पहले पता चला कि दरोगा फारसी शब्द है. और फोटू तो ऐसी धांसू मिल गयी कि... किसी को भी दरोगा बनने के लिए इन्सपायर कर दे :)