Jul 28, 2008

टिपियावाली के दोहे ...!

शुक्रवार को एक अनाल्य्सिस में ढेर सारी संख्याएं लाल ही लाल दिखी (साधारणतया ऋणात्मक संख्याएं लाल रंग से दिखाई जाती हैं) और अनायास ही मैं बोल उठा:

"लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल,
लाली देखन मैं गयी, मैं भी हो गई लाल."

ऑफिस में एक मित्र हैं, उन्होंने ये दोहा सुना ही नहीं था. तो ऐसे ही थोडी चर्चा हो गई, उसके बाद अचानक ही मुझे सबीरदास रचित टिपियावाली के कुछ दोहे याद आ गए. आप भी सुनिए.

टिपण्णी की इच्छा सब करै, टिपण्णी करे न कोय ।
जो पहले टिपण्णी करे, कमी काहे को होय ।। 1 ।।

ब्लॉग लिखत जुग भया, मिला न पाठक एक ।
पोस्ट का चक्कर डार दें, करें टिपण्णी अनेक ।। 2 ।।

टिपण्णी इतना कीजिये, ब्लॉग चलता जाय ।
आपहु के चलता रहे, नए लोग जुड़ जाय ।। 3 ।।

टिप सको तो टिप लो, नहीं लगत है दाम ।
फिर पाछे पछताओगे, जब हो जायेंगे काम ।। 4 ।।

ऐसी टिपण्णी कीजिये, मन का आप खोय ।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ।। 5 ।।

टिपण्णी ते सब होत है, पोस्ट ते कछु नाहिं ।
पाठक में वृद्धि करे, ऐड-सेंस चमक जाहिं ।। 6 ।।

सबीरा टिपण्णी आपकी, निष्फल कभी न होय ।
वो ब्लॉग भी जीते रहे, जिनको मिला न कोय ।। 7 ।।

सबीरा टिपण्णी कीजिये, और कराइए खूब ।
ब्लॉग संख्या बढ़त है, न तो कई जावेंगे डूब ।। 8 ।।

बिन टिपण्णी के ब्लॉग देख, दिया सबीरा रोय ।
दुई-चार दिन बाद ही, ना बच पायेंगे कोय ।। 9 ।।

यह ब्लॉग समय-नाशकी, टिपण्णी आनंद की खान ।
१०-१२ दिए जो एक मिलै, तो भी सस्ता जान ।। 10 ।।

टिपियक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय ।
बिन मुद्दा नियमित रहे बिना, ब्लॉग चलता जाय ।। 11 ।।

टिपण्णी अमिय समान है, तोहि दई मैं सीख ।
कहै सबीर समझाय के, मीठा लागे जैसे ईख ।। 12 ।।

सबीरा खड़ा बाजार में, लिया लैपटॉप हाथ ।
जो टिपण्णी करना चाहे, चले हमारे साथ ।। 13 ।।



कवियों और साहित्यकारों से क्षमा चाहता हूँ, कबीर दास की जीतनी मैं इज्जत करता हूँ बहुत कम लोग करते होंगे. और ये तुकबंदी यूँ ही कर डाली... आशा है इस बेकार सी तुकबंदी से कोई नाराज़ नहीं होगा. अगले एक महीने तक यहाँ और गणित वाली श्रृंखला में घोर अनियमितता रहने वाली है. एक तरह से ब्लॉगजगत से अवकाश. पूरी तरह से तो नहीं... क्योंकि आशा है बीच-बीच में जो ब्लोग्स रीडर में हैं उन पर आता रहूँगा.



~Abhishek Ojha~

Jul 20, 2008

कोंकण यात्रा... (भाग II)

कोंकण यात्रा भाग एक के बाद रुक ही गई थी. उधर अनुरागजी को शिकायत है कि गणित की एक पोस्ट आने में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय लग जाता है और इधर ये लगने लगा की जुलाई ओझा-उवाच पर कोई पोस्ट किए बिना ही बीत जायेगी... इधर समय ही कुछ ऐसा चल रहा है, खैर समय का रोना फिर कभी... आज यात्रा को आगे बढ़ाते हैं और चलते हैं अलीबाग.

अलीबाग का नाम आपने जरूर सुना होगा... हिन्दी फिल्मों में अक्सर इसका जिक्र आता है. महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित अलीबाग के आस-पास कई खुबसूरत समुद्री तट हैं. पर सबसे प्रसिद्द है... 'अलीबाग बीच'. पुणे से लोनावाला-खोपोली-पेण होते हुए तक़रीबन १४० किलोमीटर कि यात्रा करने के बाद अलीबाग आता है. मानसून का समय हो तो ये रास्ता भी अपने आप में बड़ा खुबसूरत होता है. (वैसे पुणे-मुंबई के आस-पास मानसून के समय घुमने का मजा ही कुछ और है... मुंबई पुणे के बीच के एक्सप्रेस मार्ग पर भी काफ़ी अच्छे दृश्य देखने को मिलते हैं) अगर मुंबई से आना हो तो यहाँ तक सीधे जल मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है.

खुली हवा, ढेर सारे पक्षी और साफ़ दूर तक फैले हुए समुद्री तट के अलावा अलीबाग बीच पर स्थित 'कोलाबा किला' भी दर्शनीय है. (यह मुंबई के कोलाबा से भिन्न है) मुरुड-जलजीरा भी पास में ही स्थित है. समुद्र तट कि खूबसूरती तो आप तस्वीरों में देख ही सकते हैं. कोलाबा किला अलीबाग तट से करीब २ किलोमीटर दूर समुद्र में स्थित है. लो टाइड (भाटा) हो तो पैदल या घोड़ा गाड़ी से आसानी से जाया जा सकता है नहीं तो नाव से जाना पड़ सकता है. कई बार ज्वार कि स्थिति में वहां जाना खतरनाक हो सकता है. वहां पर हुई दुर्घटनाओं तथा सावधान रहने कि चेतावनी आप जरूर ध्यान से पढ़ लें (मैंने नहीं पढ़ा था पर आप ऐसी गलती मत कीजियेगा :-)

अरब सागर है तो सूर्यास्त तो खुबसूरत होना ही है!






समुद्र के किनारे पक्षियों का बसेरा !





पक्षियों के साथ उड़ जाने की असफल कोशिश !





कोलाबा किला







प्रोफेशनल मछुवारे तो नहीं ... पर उनसे कम भी नहीं :-) (इनवेस्टमेंट बैंकिंग के बाद का कैरियर विकल्प)





किले का निर्माण छत्रपति शिवाजी ने १७ वीं सदी के उत्तरार्ध में किया था. इस किले के निर्माण को शिवाजी की दूरदर्शिता और उनके जल सेना के उपयोग के प्रमाण के रुप में भी देखा जाता है. कहते हैं कि शिवाजी ने उसी समय नौ सेना की उपयोगिता समझ ली थी और ऐसे किलों के साथ-साथ उत्तम नौ-सैनिक बेडे की व्यवस्था भी की थी. खँडहर का रूप ले चुके किले के अन्दर मीठे पानी का कुँआ है और गणेश भगवान का एक शांत मन्दिर... आज बस इतना ही अगली कड़ियों में... हरिहरेश्वर, श्रीवर्धन, मुरुड-जलजीरा, और करडे-बीच घुमने चलते हैं।

~Abhishek Ojha~