Jan 31, 2009

ऋतूनां कुसुमाकरः

कल सुबह घर से फोन आया तो पता चला की वसंत पंचमी है। ओह ! ऐसी बातें भी अब पता नहीं चलती। खैर हम भी कभी इस दिन पूजा पाठ किया करते थे। और आज करें ना करें ये मन्त्र यूँ ही मन में चलने लगा... और शायद इस जन्म जब भी वसंत पंचमी आए याद आता रहेगा.

या कुंदेंदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा-वरदण्ड मण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा माम्पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

वैसे तो सरस्वती पूजा से कई यादें जुड़ी है... हमारे स्कूल में छुट्टी हुआ करती और बाकी कई स्कूलों में सरस्वती पूजा होती. तो हम उस दिन दुसरे स्कूलों में जाते। (अक्सर निफ्फ्ट के अन्दर स्थित सरस्वती शिशु मन्दिर)। शाम को मूर्तियाँ देखने और ये तय करने में निकल जाता की इस साल किस-किस पंडाल को पुरस्कार मिलेगा। उस दिन सारी लड़कियां साड़ी पहनती तो थोड़े बड़े हो जाने के बाद वो भी एक चर्चा का विषय होता किसने कौन रंग की पहनी और कौन कैसी लगी ! पंडाल की जगह उनकी रेटिंग होने लगी.

निराला की ये पंक्तियाँ कई सालों तक मेरे लिए मन्त्र ही बनी रही. बहुत बाद में पता चला की ये निराला रचित है... ऐसी रचना जिसे पढ़कर मन प्रफुल्लित हो जाता है.

वर दे !
वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !

काट अंध उर के बंधन स्तर
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल, छंद नव,
नवल कंठ, नव जलद-मंद्र रव,
नव नभ के नव विहग-वृन्द को
नव पर नव स्वर दे !

वसंत का मौसम है... वृक्ष जीर्ण पत्ते त्यागकर नई कोपलों के वस्त्र धारण करेंगे. अब वसंत के बारे में क्या कहें जब श्रीकृष्ण स्वयं कह गए: ऋतूनां कुसुमाकरः। वसंत का मौसम ठहरा प्रेम का मौसम. कामदेव का राज चलता है...  अब प्रेम का पत्रों से गहरा नाता था(है). 'था' इसलिए की अब तो अगर आपके इन्बोक्स एसेमेस से भरने लगे तो शायद प्यार होने लगता है. एसेमेस भी ऐसे शोर्ट फॉर्म में लिखे जाते हैं की मेरे जैसे 'अनपढ़' तो कुछ का कुछ मतलब निकाल लें ! सुना है प्यार करने वाले आजकल एसेमेस के अलावा मिस्ड कॉल-मिस्ड कॉल बहुत खेलते हैं. २ मिस्ड कॉल का मतलब 'मैं तुम्हारी खिड़की के नीचे रहूँगा', चार माने 'बाहर आओ' छः का मतलब 'आज इमरजेंसी है बाबूजी जम के थपडिया दिए हैं'. अब ये कोड और डिक्शनरी अपने सुविधानुसार कस्टमाइज्ड भी होती होगी, और प्रैक्टिस भी करनी पड़ती होगी. खैर प्रैक्टिस तो प्रेम-पत्र वाले लोग भी खूब किया करते रहे होंगे. (हमने तो बस सुना है अगर आपके इस्तेमाल में कुछ गड़बड़ हो जाय तो भाई हम भी प्रकार की क्षति के जिम्मेवार नहीं होंगे)

अब अपने को ना तो मिस्ड कॉल का अनुभव है ना ही प्रेम-पत्र का. पत्र तो जितने लिखे घर के लोगों को ही और परीक्षा में भी जितने पत्र लिखवाये गए आज तक कोई ऐसा सवाल नहीं आया 'प्रेमिका को मनाने के लिए पत्र लिखिए'. या फिर ये 'मुहल्ले की सबसे खुबसूरत लड़की को प्रेम का इजहार करते हुए पत्र लिखिए' ऐसे सवाल आने लगे तो सहज ही हिन्दी में छात्रों की रूचि बढ़ जाय. कितने ही कवि और शायर पैदा हो जायेंगे. पाठ्यक्रम में ऐसे रचनात्मक परिवर्तन की बहुत जरुरत है ! अब बाबूजी से फीस माँगने के लिए पत्र लिखवाने और बीमारी में छुट्टी के लिए आवेदन लिखवाने से क्या रूचि आएगी. ये काम तो बिना पत्र लिखे भी हो जायेंगे. ना भी हों तो कैन सी दुनिया इधर की उधर हो जायेगी.

खैर... हम पिछले महीने गुजरात गए थे तो एक प्रेम-पत्र मिल गया. अब शुकुलजी (फुरसतिया) के नैनीताल की तरह हमने कागज उठा के तो नहीं पढ़े पर हमें तो बोर्ड पर लिखा प्रेम पत्र लिख गया और वो भी 'ऋतूनां कुसुमाकरः' वाले श्रीकृष्ण को लिखा गया. हमने तुरत एक फोटो खीच ली. आप भी पढिये. संस्कृत में था लेकिन साथ में हिन्दी अनुवाद भी था. यहाँ अनुवादे ठेल देते हैं बाकी फोटू भी चेप दी हैं इच्छा हो तो संस्कृत भी बांच लीजियेगा.

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हे भुवन सुंदर श्रीकृष्ण ! कर्ण के छिद्रों से श्रोताओं के ह्रदय में प्रवेश कर अंगों की तपन दूर करते आपके गुणों और नेत्रोवालों के नेत्रों को सम्पूर्ण अर्थ लाभ से रूप सुनके मेरा मन निर्लज्ज हो के आपमें लगा है.

हे मुकुंद ! हे पुरूष श्रेष्ठ ! कुल, शील, रूप, विद्या, वय, धन तथा प्रभावसे केवल अपने जैसे ही (निरूपण) और मनुष्य लोक को आनंद देने वाले आप को कुलीन बड़े गुणवाले और धैर्यवान कौन कन्या आपका स्वीकार (पति रूप में) नहीं करेगी? Rukmini's Letter to Krishna

इसलिए प्रभु ! आप को ही मैंने अपना पति स्वीकार किया है, और मेरे आत्मा को सौंप दिया है, तो आप (यहाँ पधारे) मुझे अपनी बताएं परन्तु हे कमलनयन ! जैसे शेर के हिस्से को स्पर्श नहीं कर सकती वैसे ही शिशुपाल आके आप वीरपुरूष के भागरूप मुझे न स्पर्श करे.

मैंने वाव कुएं बंधाये, अग्निहोत्रादी किया, सुवर्णदिन का दान दिया, तीर्थाटन सब नियमों का पालन करके चान्द्रायण इत्यादि व्रत किए, देव, ब्राह्मण, गुरु, इत्यादि की पूजा करके परमेश्वर को पूर्ण आराधना की हो तो गद के बड़े भाई श्री कृष्ण भगवान् यहाँ आके मेरा पाणी ग्रहण करें, किंतु अन्य शिशुपाल इत्यादि न करें.

हे अजित ! कल होने वाले विवाह में आप सेनापतियों से घिरे हुए विदर्भ देश में पधार कर और शिशुपाल जरासंध के सैन्य को बलसे पराजय करके, पराक्रमरूप मुल्यवाली मुझसे आप राक्षस विधि से विवाह कीजिये.

कदाचित आप कहेंगे अन्तः पुर के बीच रहनेवाली आप, आपके स्वजनों का विनाश किए बिना मैं कैसे आपसे विवाह कर सकता हूँ? तो उपाय बताती हूँ (हमारे कुल में) विवाह के अगले दिन पार्वती के दर्शनार्थ नगर से बाहर पार्वती के मन्दिर में आऊं तब मेरा हरण करना आपको सरल होगा और मेरे स्वजनों को मारने का प्रसंग नहीं आएगा.

हे कमलनयन श्रीकृष्ण ! उमापति शंकर की तरह अन्य अज्ञान- का नाश करके आपके चरण कमलों की रज से स्नान करने की इच्छा है, तो आपकी कृपा (इस जन्म में) में नहीं पा सकती, तो व्रत उपवास इत्यादि करके दुर्बल किए बिना प्राण त्याग करुँगी और ऐसा करके सैकड़ों जन्मों में भी आपकी कृपा मुझ पर होगी ही.

ऊपर बताये श्री रुक्मिणीजी का गुप्त संदेश ब्राह्मण ने श्रीकृष्ण के पास पढ़ा और कहा हे यदुदेव श्रीरुक्मिणीजी का यह गुप्त संदेश मैं लाया हूँ, तो अब जो करना हो उसका विचार करके तुरत कीजिये.

श्री रुक्मिणी जी के संदेश से प्रसन्न होकर श्री द्वारिकाधीशजी ने उन पर पूर्ण कृपा की.
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(अनुवाद पर गुजराती छाप दिखा पर मैंने (लगभग) ज्यों का त्यों ही टाइप कर दिया है. )

अगर आपके आस पास हरियाली है और दूर तक फैले सरसों के खेत, तो आनंद लीजिये. अगर बगीचे हैं और कोयल भी है तो उसके साथ कू-कू दोहराइए. अपने लिए तो चारो तरफ़ कंक्रीट की बिल्डिंग ही है... जो भी हो वसंत मनाइये... शुभकामनायें !

~Abhishek Ojha~

Jan 20, 2009

एक तो केरला, डीजे चड्ढा नेम !

(थोडी और आपबीती, हिन्दी का भविष्य - १)

इधर व्यस्तता के नाटक में कभी-कभार ऑनलाइन आना होता रहा तो कुछ लोगों से बात भी होती रही. इन्हीं दिनों एक अनजान मोहतरमा से बात हुई. गूगल टॉक पर एक मेसेज बॉक्स टिम-टिमाया और सामने एक लड़की का नाम देख हमें तो लगा की अनुरागजी की हमारे लिए की गई दुआ काम कर गई और...

खैर भूमिका बाँधने की का जरुरत, जो बात हुई वही ठेले दे रहे हैं... बिना इजाजत. अब कॉपीराइट तो है नहीं किसी का चैट लॉग पर ! (है क्या?) उनको हमसे बतियाने के पहिले सोचना था.

---Google Talk Chat Log---

???: हाय [Hi]

me: हाय

???: ऍम आई डिस्टर्बिंग यू? [Am I Disturbing you?]

(ओह ऐसी नेकी को डिस्टर्बिंग कहते है तो हम तैयार बैठे हैं डिस्टर्ब होने के लिए !)

me: नो, नॉट ऐट आल. बट आई वाज वंडरिंग इफ आई नो यू !. सॉरी बट आई डिड नॉट रेकोग्नाइज़ यू... [No, not at all. But I was wondering if I know you ! Sorry but I didn’t recognize you.]

???: वेल, यू डोंट नो मी... सो डोंट बी सॉरी. समहाउ आई विजिटेड योर प्रोफाइल एंड देन योर ब्लोग्स. आई डिडन’ट् नो दैट सो मेनी पीपुल राइट हिन्दी ब्लोग्स. व्हाई यू राइट इन हिन्दी? [Well, You don’t know me… so don’t be sorry. Somehow I visited your profile on Orkut and then your blogs. I didn’t know that so many people write Hindi blogs. Why you people write in Hindi?]

me: थैंक्स ! ... टु बी ओनेस्ट, माय इंग्लिश इस नॉट गुड... एंड यू हैव आलरेडी सीन माय हिन्दी, दैट्स आल्सो नॉट गुड बट आई बिलीव पीपुल हु विजीट हिन्दी ब्लोग्स डोंट केयर मच अबाउट लिटरेरी मिस्टेक्स. :-) [Thanks !… to be honest, My English is not good… and you have already seen my Hindi, that is also not good but I believe people who visit Hindi blogs don’t care much about literary mistakes :-)]

???: हा हा... इज दैट सो? [Ha ha… is that so?]

me: ऐटलिस्ट, आई बिलीव सो! [Atleast I believe so… !]

???: यू हैवन'ट पोस्टेड एनीथिंग लेटली? [You haven’t posted anything lately?]

me: या, अ बिट बीजी दिज डेज :(  [Yeah, a bit busy these days.]

???: आई सॉ दैट यु स्टडिड मैथ एंड नाउ वर्क फॉर सम वीयर्डली नेम्ड इनवेस्टमेंट बैंक... आर देयर एनी इनवेस्टमेंट बैक्स लेफ्ट? [I saw that you studied Math and now work for some weirdly named investment bank… Are there any investment banks left?]

(अब क्या बोलूँ, समय-समय की बात है!)

me: या, अ फ्यू ऑफ़ देम विथ इंटेलिजेंट एम्प्लोयिज लाईक मी आर स्टिल देयर :-) [Yeah, a few of them with intelligent employees like me are still there :-)]

???: ओह... आई एम् इम्प्रेस्ड ! व्हाट एल्स यू डु? [ooh, I am impressed ! what else you do?]

me: दिज डेज… स्टडी, मूवीस, ट्रेवल ! [umm… These days… study, movies, travel !]

???: मैथ्स, हिन्दी, आई-बैंकिंग, ऊपर से स्टडी... YUKKKK.... !

(आज तक ये Y और U के साथ बहुत सारे K वाला कम्प्लिमेंट पहली बार ही मिला था, हमें कुछ समझ नहीं आया, आख़िर ऐसा भी क्या हो गया !)

me: ?, व्हाट डज दैट मीन ? [What does that mean?]

???: दैट मीन्स बोरिंग... ‘एक तो केरला, डीजे चड्ढा नेम’. [That means boring… i.e. ‘ek to kerala, dije chaddha nem’]

(अंग्रेजी में ये टाइप किया था उन्होंने 'Ek to Kerala, dije chaddha nem' मैंने गूगल ट्रांस्लितेरेशन में डाला तो यही आया.)

me: ? आई एम् नॉट फ्रॉम केरला, नाईदर माय नेम इस डीजे चड्ढा ! [? I am not from Kerala, neither my name is DJ Chaddha !]

???: यू आर होपलेस ! [you are hopeless !]

me: एम् आई? ओके लीव इट... बट बिफोर यू साइन ऑफ़ मे आई नो हु आर यू? एंड बाई द वे थैंक्स फॉर नाइस कम्प्लिमेंट्स :-) [Am I? okay leave it… but before you sign off may I know who are you? BTW thanks for nice compliments :-)]

???: या यू विल नो दैट सून बट... इट वाज नॉट केरला ऑर सम चड्ढा चड्ढी, इट इज अ प्रीटी कॉमन फ्रेज इन हिन्दी अबाउट बिटर गॉर्ड प्लांट क्लाइम्बिंग ओन अ नेम ट्री ! [Yeah you will know that soon. but… It was not Kerala or some chaddha/chaddhi, it is a pretty common phrase in Hindi about bitter gourd plant climbing to nem tree]

me: ओह ! स्टुपिड मी :( बट योर ट्री इज स्टिल नेम… अक्चुअली इट्स नीम :-) [Oh ! stupid me:( but your tree is still nem actually its neem :-)]

???: उफ़ ! आई टोल्ड न यू आर होपलेस… [Uff ! I told na you are hopeless…]

…..

…..

खैर बातें तो इसके बाद भी हुई पर आप जानकर क्या करेंगे? वैसे इतने समझदार तो आप भी हैं... होपलेस, बोरिंग और YU के साथ बहुत सारे K लगाकर अगर कम्प्लिमेंट मिल रहे हों तो आगे जाकर कौन से फूल बरस गए होंगे !

लेकिन हाँ ये तो साफ़ है... 'ये भविष्य की हिन्दी है'...

इस बात की खुशी हुई की वर्तनी का ज़माना गया और हम उस फ्यूजन पीढी है के हैं जिसने स्कूल में वर्तनी के लिए डंडे खाए हैं और जवानी में केरला के डीजे चड्ढा से मिल रहे हैं. पर कल एक हम उम्र से मिले और उन्होंने आचार्य चतुरसेन वाली वैशाली की 'डैम सेक्सी' नगरवधू के बारे में बताया तो ये भ्रम भी जाता रहा की हमारी उम्र के हिन्दी भाषी लोग स्कूल में ‘हिन्दी’ पढ़ते थे (वो तो समय से पीछे चलने वाले कुछ सेंट बोरिसीय लोग हैं). खैर उन चतुरसेन के फैन से मुलाकात अगली पोस्ट में.

वैसे तो केरला हमें बहुत पसंद है, बड़ी लाजवाब जगह है (घुमने की प्रबल इच्छा भी है). और हिन्दी फिल्में देखने से तो यही लगता है की चड्ढा भी धनी लोगों का ही उपनाम होता है... तो फिलहाल हम 'करेले और नीम' से ज्यादा तो 'केरला और चड्ढा' से ही खुश थे. इट साउंड्स कूल !

और यही कूलनेस भविष्य की हिन्दी है... कल को हिन्दी केवल किताबों में दिखेगी, बोलचाल में अक्सर केरला के डीजे चड्ढा मिलेंगे और परसों वो किताबों में चले जायेंगे और बोलचाल में सम कूल स्टफ (Cool Stuff !).

फिलहाल इस चक्कर में नीम चढा असली करेला यानी मैं तो खो ही गया... खैर उसका क्या... YUKKKKK…. !

फिलहाल मेरे दोस्त भाग रहे हैं काफ़ी पीने. मैं चला...

‘Wait dude, I am also coming with you… just one sec !’

~Abhishek Ojha~

Jan 12, 2009

या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी

इधर कुछ एकाध लोगों ने ईमेल/फ़ोन/टिपण्णी से पूछा कि मैं आजकल पोस्ट क्यों नहीं लिखता? (ओह ये भी बड़ा सुखद अहसास है, किसी को तो हमारी कमी महसूस हुई !)

फिर हमने भी सोचा की सवाल तो सही है ऐसा भी क्या कर रहा हूँ मैं? कुछ ख़ास उत्तर नहीं मिला बस अच्छा कारण सोचते-सोचते ध्यान आया कि आजकल ४ बजे सुबह सोता हूँ, और १०-१०:३० बजे उठ कर ऑफिस चला जाता हूँ. जिंदगी ख़राब कर ली है मैंने. पर धन्य हो कृष्ण भगवान् और धन्य हो गीता. एक बात तो साफ़ है कुछ नहीं तो संयमी तो बन ही गया हूँ. (खैर मुझे नहीं लगता इस पुस्तक के जितने मतलब निकाले गए हैं उतने किसी और पुस्तक के निकाले गए होंगे. जिसको जो इच्छा होती है एक श्लोक ढूंढ़ लेता है.)

यूँ तो डायरेक्टली एक पोस्ट ही ठेल देता लेकिन कल ऑफिस जाते समय पहली बार एक्सीडेंट बड़े करीब से देखा तो सोचा की अभी एक अनुपस्थिति के कारण पर ही लिख दिया जाय. गाड़ी के सामने एक भीमकाय ट्रक दिखा और अगले क्षण अपने ऊपर असंख्य कांच के टुकडे. कुछ समझ में नहीं आया, थोडी देर बाद एक बात तो साफ़ हो गई इस मिटटी के जीवन में कुछ सार नहीं है ! खैर आगे का प्रवचन आप आस्था चैनल पर सुन लीजियेगा. बाकी चीजों के साथ ये भी ख्याल आया की जिन लोगों को इंतज़ार है उनको तो बताता चलूँ की भाई बहुत दिनों तक पोस्ट ना आए तो कुछ भी हो सकता है, आख़िर हम ठहरे हाड-मांस के पुतले !

(लो इधर एक ब्लॉगर बंधू कह रहे हैं: 'पासवर्ड दे दो कुछ हो गया तो मैं एक पोस्ट लिख दूंगा, बहुत टिपण्णी आएगी... तुम्हारी आत्मा को शान्ति मिलेगी.'

'व्हाट? '

हे भगवान् ये ब्लॉगर कब टिपण्णी की माया से ऊपर उठेंगे? कहाँ मरने की बात हो रही है और इन्हें उस पर भी एक पोस्ट दिख रही है ! 'देख भाई तू अपने ही ब्लॉग पर सूचना दे देना, वैसे भी 'अब मैं नहीं रहा' लिखा देख लोग गरिया जायेंगे की टिपण्णी पाने के लिए लिखा है'

'अबे यार लेकिन उससे तो मेरे ब्लॉग पर टिपण्णी आ जायेगी. मैं तो बस चाहता था की तेरे ब्लॉग पर टिपण्णी आएगी तो तेरी आत्मा को शान्ति मिलेगी.'

'ओह ! भगवान् ऐसे (ब्लॉगर) शुभचिंतकों से बचाए')

कल एक दोस्त को बताया की व्यस्त हूँ तो उन्होंने कहा की ये कोई बहाना ही नहीं है. (तुम्ही एक व्यस्त हों बाकी तो बैठे मक्खी मार रहे हैं !) मैंने निम्न कारण बताये... तो उन्होंने कहा:

'जा रे नालायक मैं होता तो इन सब पर एक-एक पोस्ट लिख मारता, और तू कह रहा है की ये न लिखने के कारण है '

खैर चलिए बेकार की पोस्ट लम्बी होगी तो आप 'बहुत सुंदर' लिखके के भाग जायेंगे अब संक्षेप में कुछ कारण ही बताता हूँ.

1. प्रमुख कारण: आजकल कुछ परीक्षाएं दी जा रही हैं. और साथ में निवेश बैंकिंग का जो हाल है, अगल-बगल से दनादन गोलियाँ गुजरती है. जिन्हें लगती है हम कहते है 'फायर' उसे अखबार वाले कहते हैं 'पिंक स्लिप'. पता नहीं क्या पिंक होता है उसमें ! अब मैट्रिक्स के नियो की तरह इधर-उधर होके कोई बच रहा हो, वो क्या पोस्ट लिखेगा. बुढे बुजुर्ग कह गए ‘बेटा सरकारी नौकरी सरकारी ही होती है'. तब तो पैसा और बोनस दिख रहा था ;-) अभी भी मौका है लेकिन ये मोह-माया… खैर फिर कभी !

2. इधर ऑफिस के चौथे मंजिल वाली एक लड़की बहुत दिनों बाद दिखी और वो भी सिंदूर लगाए हुए, अपना क्या है अपने लिए तो आम बात हो गई है लेकिन जब पता चला की मेरे जानने वाले कईयों पर बिजली ही गिर गई तो... !

3. इधर भारतीय से ज्यादा पाकिस्तानी न्यूज़ साईट पढने लगा हूँ (डॉन और जियो टीवी), पता नहीं कैसे आदत लगी लेकिन, पहले ही अच्छा था ! अब दिमाग कुछ मुद्दों में ही उलझा रह जाता है. इस बीच फितना नाम की एक छोटी फ़िल्म भी देख डाली और कुछ डॉक्युमेंट्री... बस इतना ही नहीं तो फतवा का डर है.

4. इधर अंतुले जैसे लोग कुछ जगहों और लोगों में हीरो बन गए, ये भी पता चला की पाकिस्तानी अखबारों से ज्यादा आगे भारतीय उर्दू अखबार ही हैं. चलो अच्छा है कि उर्दू नहीं आती और व्यथित होने का क्या फायदा? अपने अखबार और चैनल कहते हैं की मुंबई हमलों पर ज्यादा नहीं सोचना है. मनोवैज्ञानिक आजकल भुनाने के तरीके बता रहे हैं. भूल जाओ भाई ! हम भी भूल रहे हैं. पर इस बीच ये भी कारण रहा. शायद लिखता तो पोस्ट की जगह गालियाँ ! हमलों के बाद सब लोग फोकट का चिल्लाते रहे और चुनावों में जाति पर ही राजनीति होती रही...

5. इस बीच कुछ यात्रा भी हुई... गुजरात में सोमनाथ, द्वारका और आस-पास. सोमनाथ के लाईट और साउंड प्रोग्राम के बाद उसके इतिहास पर पुस्तके ढुन्ढी जा रही है आचार्य चतुरसेन के सोमनाथ के अलावा कोई पुस्तक आपको पता हो तो जरूर बताएं. हाँ भारतीय रेल, और स्पाईस जेट के साथ बड़े बुरे अनुभव रहे. भारतीय रेल ने फ्लाईट छुड़वाई और स्पाईस जेट वालों ने एक घंटे तक फ़ोन नहीं उठाया, उनके रिकोर्डेड आवाज को सुन के फ़ोन के पैसे गए वो अलग जब उठाया तो बताया कि 'सर आपने बड़ी देर से फ़ोन किया आपको एक फूटी कौडी भी हम वापस नहीं करेंगे’. अब देर का जिम्मेदार कौन?

6. इधर अमेज़न और एचएसबीसी ने भी चुना लगाया. अमेज़न ने बिना हमसे पूछे $७९ चार्ज कर दिया ये मानकर की हम उनकी कुछ मुफ्त सुविधाओं का लाभ उठाना चाहते हैं ! लो भाई जब वापस किया तो क्रेडिट कार्ड वालों ने कहा की एक्सचेंज रेट बदल गया है और ५०० रुपये तो भरने ही पड़ेंगे. बड़े संयम से क्रेडिट-कार्ड इस्तेमाल करने का ढिंढोरा पिटते थे अब लो मजा. लेकिन हमने भी डिफौल्ट करने का निर्णय लिया है वो भी चुनौती देकर :-)

7. इधर भारतीय स्टेट बैंक के लाभ का इतिहास देखकर बड़ा दुःख हुआ. कैसे लाभ में जाते हैं ये? फोर्चून ५०० का डंका पीटते हैं. और उनका ग्राहकों पर अहसान… किसी तरह समय निकाल कर तीन बार चक्कर काटा वो भी उन्हें पैसे देने के लिए. अंत में हार मानकर एचडीऍफ़सी में २ मिनट में काम करके आया. ये संस्थायें जिस दिन डूबेंगी मुझे तो खुशी होगी. पता नहीं कब अक्ल आएगी इन्हें.

8. हमारे घर पर काम करने वाली बाई महीने में ८ दिन आती है, और उसमें से ४ दिन:

'भइया आपके फोन से एक मिस्ड कॉल कर लूँ'

'हाँ कर लीजिये'

उसके बाद एक घंटे... ! अफेयर चलाने के लिए मेरा ही फोन मिला एक शादी-सुदा भारतीय नारी को. और धोबी पहले इनवेस्टमेंट बैंको की तरह कपड़े इधर से उधर करता था... लेकिन अब गायब भी करने लगा है.

लो भाई ये सुरसा की तरह पोस्ट लम्बी हुई ही जा रही है. अगर आप यहाँ तक पढ़ रहे हैं (वैसे क्यों पढेंगे बकवास !) तो धन्यवाद. ऐसे और भी कारण है, मेरे दोस्त का कहना है की ये बहाने अपने आप में एक-एक पोस्ट होने चाहिए.

अंततः बताता चलूँ की ज्यादा संयमी हो जाने के कारण तबियत थोडी ढीली है और आज डॉक्टर के पास जाना है कल मकर संक्रांति (खिचडी) है... आप सब को शुभकामनायें !

मराठी में: 'तिल गुड घ्या आणी गोड़ गोड़ बोला'

~Abhishek Ojha~