(थोडी और आपबीती, हिन्दी का भविष्य - १)
इधर व्यस्तता के नाटक में कभी-कभार ऑनलाइन आना होता रहा तो कुछ लोगों से बात भी होती रही. इन्हीं दिनों एक अनजान मोहतरमा से बात हुई. गूगल टॉक पर एक मेसेज बॉक्स टिम-टिमाया और सामने एक लड़की का नाम देख हमें तो लगा की अनुरागजी की हमारे लिए की गई दुआ काम कर गई और...
खैर भूमिका बाँधने की का जरुरत, जो बात हुई वही ठेले दे रहे हैं... बिना इजाजत. अब कॉपीराइट तो है नहीं किसी का चैट लॉग पर ! (है क्या?) उनको हमसे बतियाने के पहिले सोचना था.
---Google Talk Chat Log---
???: हाय [Hi]
me: हाय
???: ऍम आई डिस्टर्बिंग यू? [Am I Disturbing you?]
(ओह ऐसी नेकी को डिस्टर्बिंग कहते है तो हम तैयार बैठे हैं डिस्टर्ब होने के लिए !)
me: नो, नॉट ऐट आल. बट आई वाज वंडरिंग इफ आई नो यू !. सॉरी बट आई डिड नॉट रेकोग्नाइज़ यू... [No, not at all. But I was wondering if I know you ! Sorry but I didn’t recognize you.]
???: वेल, यू डोंट नो मी... सो डोंट बी सॉरी. समहाउ आई विजिटेड योर प्रोफाइल एंड देन योर ब्लोग्स. आई डिडन’ट् नो दैट सो मेनी पीपुल राइट हिन्दी ब्लोग्स. व्हाई यू राइट इन हिन्दी? [Well, You don’t know me… so don’t be sorry. Somehow I visited your profile on Orkut and then your blogs. I didn’t know that so many people write Hindi blogs. Why you people write in Hindi?]
me: थैंक्स ! ... टु बी ओनेस्ट, माय इंग्लिश इस नॉट गुड... एंड यू हैव आलरेडी सीन माय हिन्दी, दैट्स आल्सो नॉट गुड बट आई बिलीव पीपुल हु विजीट हिन्दी ब्लोग्स डोंट केयर मच अबाउट लिटरेरी मिस्टेक्स. :-) [Thanks !… to be honest, My English is not good… and you have already seen my Hindi, that is also not good but I believe people who visit Hindi blogs don’t care much about literary mistakes :-)]
???: हा हा... इज दैट सो? [Ha ha… is that so?]
me: ऐटलिस्ट, आई बिलीव सो! [Atleast I believe so… !]
???: यू हैवन'ट पोस्टेड एनीथिंग लेटली? [You haven’t posted anything lately?]
me: या, अ बिट बीजी दिज डेज :( [Yeah, a bit busy these days.]
???: आई सॉ दैट यु स्टडिड मैथ एंड नाउ वर्क फॉर सम वीयर्डली नेम्ड इनवेस्टमेंट बैंक... आर देयर एनी इनवेस्टमेंट बैक्स लेफ्ट? [I saw that you studied Math and now work for some weirdly named investment bank… Are there any investment banks left?]
(अब क्या बोलूँ, समय-समय की बात है!)
me: या, अ फ्यू ऑफ़ देम विथ इंटेलिजेंट एम्प्लोयिज लाईक मी आर स्टिल देयर :-) [Yeah, a few of them with intelligent employees like me are still there :-)]
???: ओह... आई एम् इम्प्रेस्ड ! व्हाट एल्स यू डु? [ooh, I am impressed ! what else you do?]
me: दिज डेज… स्टडी, मूवीस, ट्रेवल ! [umm… These days… study, movies, travel !]
???: मैथ्स, हिन्दी, आई-बैंकिंग, ऊपर से स्टडी... YUKKKK.... !
(आज तक ये Y और U के साथ बहुत सारे K वाला कम्प्लिमेंट पहली बार ही मिला था, हमें कुछ समझ नहीं आया, आख़िर ऐसा भी क्या हो गया !)
me: ?, व्हाट डज दैट मीन ? [What does that mean?]
???: दैट मीन्स बोरिंग... ‘एक तो केरला, डीजे चड्ढा नेम’. [That means boring… i.e. ‘ek to kerala, dije chaddha nem’]
(अंग्रेजी में ये टाइप किया था उन्होंने 'Ek to Kerala, dije chaddha nem' मैंने गूगल ट्रांस्लितेरेशन में डाला तो यही आया.)
me: ? आई एम् नॉट फ्रॉम केरला, नाईदर माय नेम इस डीजे चड्ढा ! [? I am not from Kerala, neither my name is DJ Chaddha !]
???: यू आर होपलेस ! [you are hopeless !]
me: एम् आई? ओके लीव इट... बट बिफोर यू साइन ऑफ़ मे आई नो हु आर यू? एंड बाई द वे थैंक्स फॉर नाइस कम्प्लिमेंट्स :-) [Am I? okay leave it… but before you sign off may I know who are you? BTW thanks for nice compliments :-)]
???: या यू विल नो दैट सून बट... इट वाज नॉट केरला ऑर सम चड्ढा चड्ढी, इट इज अ प्रीटी कॉमन फ्रेज इन हिन्दी अबाउट बिटर गॉर्ड प्लांट क्लाइम्बिंग ओन अ नेम ट्री ! [Yeah you will know that soon. but… It was not Kerala or some chaddha/chaddhi, it is a pretty common phrase in Hindi about bitter gourd plant climbing to nem tree]
me: ओह ! स्टुपिड मी :( बट योर ट्री इज स्टिल नेम… अक्चुअली इट्स नीम :-) [Oh ! stupid me:( but your tree is still nem actually its neem :-)]
???: उफ़ ! आई टोल्ड न यू आर होपलेस… [Uff ! I told na you are hopeless…]
…..
…..
खैर बातें तो इसके बाद भी हुई पर आप जानकर क्या करेंगे? वैसे इतने समझदार तो आप भी हैं... होपलेस, बोरिंग और YU के साथ बहुत सारे K लगाकर अगर कम्प्लिमेंट मिल रहे हों तो आगे जाकर कौन से फूल बरस गए होंगे !
लेकिन हाँ ये तो साफ़ है... 'ये भविष्य की हिन्दी है'...
इस बात की खुशी हुई की वर्तनी का ज़माना गया और हम उस फ्यूजन पीढी है के हैं जिसने स्कूल में वर्तनी के लिए डंडे खाए हैं और जवानी में केरला के डीजे चड्ढा से मिल रहे हैं. पर कल एक हम उम्र से मिले और उन्होंने आचार्य चतुरसेन वाली वैशाली की 'डैम सेक्सी' नगरवधू के बारे में बताया तो ये भ्रम भी जाता रहा की हमारी उम्र के हिन्दी भाषी लोग स्कूल में ‘हिन्दी’ पढ़ते थे (वो तो समय से पीछे चलने वाले कुछ सेंट बोरिसीय लोग हैं). खैर उन चतुरसेन के फैन से मुलाकात अगली पोस्ट में.
वैसे तो केरला हमें बहुत पसंद है, बड़ी लाजवाब जगह है (घुमने की प्रबल इच्छा भी है). और हिन्दी फिल्में देखने से तो यही लगता है की चड्ढा भी धनी लोगों का ही उपनाम होता है... तो फिलहाल हम 'करेले और नीम' से ज्यादा तो 'केरला और चड्ढा' से ही खुश थे. इट साउंड्स कूल !
और यही कूलनेस भविष्य की हिन्दी है... कल को हिन्दी केवल किताबों में दिखेगी, बोलचाल में अक्सर केरला के डीजे चड्ढा मिलेंगे और परसों वो किताबों में चले जायेंगे और बोलचाल में सम कूल स्टफ (Cool Stuff !).
फिलहाल इस चक्कर में नीम चढा असली करेला यानी मैं तो खो ही गया... खैर उसका क्या... YUKKKKK…. !
फिलहाल मेरे दोस्त भाग रहे हैं काफ़ी पीने. मैं चला...
‘Wait dude, I am also coming with you… just one sec !’
~Abhishek Ojha~
मैं गंभीर हो गया अभिषेक यह पढ़ कर कई कारणों से !
ReplyDelete"और यही कूलनेस भविष्य की हिन्दी है... कल को हिन्दी केवल किताबों में दिखेगी, बोलचाल में अक्सर केरला के डीजे चड्ढा मिलेंगे और परसों वो किताबों में चले जायेंगे और बोलचाल में सम कूल स्टफ (Cool Stuff !)."
ReplyDeleteसोचने को विवश कर दिया ापने.
रामराम.
आप भविष्य की हिन्दी बता रहे हैं। पर निश्चित ही यह हिन्दी नहीं है। केवल हिन्दी की तरफ एक कोशिश मात्र है। उधर आज ही अदालत पर पूछा जा रहा है कि मुकदमा शब्द का सही स्वरूप क्या है? भाषा को हर तरह से प्रयोग करने वाले लोग हैं। लेकिन भाषा को सही तरह से प्रयोग करने वाले लोग ही भाषा के रुप को सहेज रख पाते हैं।
ReplyDelete"ये YUKKKKK का वाक्या रहा बडा मजेदार ...वैसे ये पता चला की वो मोहतरमा थी कौन????????"
ReplyDeleteRegards
हमें तो हंसी आ रही है....केरला और चडढा के कारण .....लो , अब गंभीर हो गई ...हिन्दुस्तान में भी हिन्दी नहीं बचेगी तो क्या होगा ?
ReplyDeleteहाय रे किस्मत... हम ही ऐसे टाइम में क्यों कंवारे थे जब चैट वगैरह उपलब्ध नहीं था... वो चचा ग़ालिब कह गए थे न कि "कितने शीरीं हैं तेरे लब कि गालियाँ खाकर भी बेमजा न हुआ'' तो बस यही समझ लो कि इन गालियों में भी एक सुकून है. हिन्दी की बात नहीं कहूँगा... उसका रूप बदल जायेगा मगर ख़त्म नहीं होने की
ReplyDeleteभाई उस मोहतरमा को हमारा भी इ-पता दे दीजियेगा.. क्या पता हमें वो Y और U के साथ ढेर सारा K ना मिले.. :)
ReplyDeleteमगर हम तो पूरे चैट के इंतजार में हैं..
वाह अभिसेक भाई.. क्या सांदार लिका है.. पड़ के मझा आ गिया... अगर आप ऐसे ही लिकते रहे तो एक दीन बहूत नेम कमाएँगे...
ReplyDeleteबहविसया की हीन्दी तो अची लग रही है..
आपका अपना
डीजे चड्ढा फ्रॉम केरला...
मजेदार है यह चैटिंग रोग भी, कैसे कैसे लोग मिल जाते हैं।
ReplyDeleteओझाजी वास्तव में मज़ा आगया
ReplyDeleteविचारणीय तथ्य हैं ....
ReplyDeleteमगर यू आर होपलेस YUKKKKKK....
:)
चेटिंग की मुस्कराहट के साथ हिन्दी की हालत पर तरस आ रहा है ....थी कौन वह मोहतरमा
ReplyDeleteकूल पोस्ट...YUKKK...असल में वे कहना चाहती थीं, हूक...मतलब दिल में हूक उठ रही है...
ReplyDeleteइनवेस्टमेंट बैंकिंग के बारे में मेरे पार्टनर विक्रम के मामाजी का कमेन्ट था; "इनवेस्टमेंट बैंकिंग करने से अच्छा है कि नुक्कड़ पर बैठकर तीन पत्ते खेल लो....:-)
लेकिन मामाजी ने शायद इसलिए कहा कि उन्हें मालूम नहीं था कि अभिषेक जैसे लोग भी हैं इनवेस्टमेंट बैंकिंग में...लेकिन अच्छी बात ये है कि क्रेडिट सुईस का नाम चाहे जितना 'वेयर्ड' हो, खड़ा तो है. जिनके नाम वेयर्ड नहीं थे, वे तो चल बसे.
आईला ...अपुन को नही मालूम था की अपनी दुआ स्पीड पोस्ट से डिलीवर होगी.....शायद खुदा फुर्सत में बैठेला होगा....वैसे गणितग .....वो भी इस्मार्ट ,,.....वो भी कुंवारा .......वो भी बिदेस में ..... वो भी कुछ ऐसा लिखने वाला...जो की आजकल फैशन में है....(ब्लोग्वा )...तो इ सब तो होना ही था......देर सवेर....
ReplyDeleteनीम के पेड बहुत उगा रखे है भैय्या ......
Majedar.
ReplyDeletepar apki baat bhi sahi hai - ki kahi bhavishya mai hindi sirf kitabo mai hi na rah jaye...
अभिषेक बताइये वो कौन थी। :)
ReplyDeleteएस.एम.एस और इस so called cool hindi की वजह से हिन्दी की हालत बिगड़ती ही जा रही है।
mast abhishek jee...bahut acche..pata chala wo kaun thee?
ReplyDeleteवाह... या कहें vahhhhh. कतई कूल मामला था. अब क्या कमेन्ट किया जाय. कभी सोचता हूँ इतना विशाल ह्रदय है हिन्दी का, और इतनी भाषाई वैशिष्ट्य से भरपूर शब्दावली. अगर दो चार अंग्रेजी-उर्दू के शब्द मिल ही जाएँ तो कौन सा हिन्दी का सतीत्व डिग जाएगा.
ReplyDeleteपरन्तु इतना तेजी से हिन्दी का वैश्वीकरण देखकर लगता है कि किताबी हिन्दी कुछ दिनों बाद केवल किताबों में ही मिलेगी.
लेकिन ये घणा सस्पेंस रखने कि क्या जरूरत थी.? अब बता भी दीजिये उन मोहतरमा का तआरुफ़...!
कोई मेहरारू चैट तो करले हम से! चाहे होपलेस ही बोले! :)
ReplyDeleteचलिए अब हम भी अपने ब्लॉग पर आईडी लिखते हैं, शायद कोई हमसे भी चाट कर ले!!!
ReplyDeleteकल को हिन्दी केवल किताबों में दिखेगी.... तो आज कोन सी कुऊतुब मिनार पर दिख रही है... आज भी तो किताबो मे ही है,लेकिन अग्रेजी सीख कर हम कोन सा तीर मार लेगे... लेकिन गुलामी जरुर कर सकते है.
ReplyDeleteधन्यवाद
बात के मजे लो हिन्दी के लिए रूदन छोडो , रूदन से हिन्दी को कुछ नहीं मिलता हिंदीसेवी पुरस्कार मिलते हैं उन्हें लार टपकाऊ लोगों के लिए छोडो
ReplyDeleteदेवनागरी न जानने वाले लिख रहे हैं इतना ही क्या कम है वैसे अगर वो मोहतरमा दूजा चढा नीम लिखना चाहेंगी तो एक आध वर्तनी की गलती के साथ रोमन में येही दिखेगा
majedaar, hindi ka hinglish jaroor ho sakta hai LEKIN jab tak ye bollywood ki films me sunayi degi tab tak bilkul khatm to nahi hogi.
ReplyDeleteHindi ko agar marna hai to bollywood ki movies hindi me banana band karwado, hindi apne aap mar jaayegi
क्या इन्वेस्टमेंन्ट किया है जी! शानदार। इसके रिटर्न अब आने ही वाले होंगे।
ReplyDeleteJai ho..............
ReplyDeleteवाह भई एक शिकायत रही आप ने इतना एकतरफा इंटरव्यू क्यूँ लेने दिया उनको। खैर नई पीढ़ी में हिंदी तो अनजानी होती जा रही है। बस एक मनोरंजन उद्योग ने ही किसी तरह इसे बचा रखा है नहीं तो लोग करेले और नीम तक पहुँचने की जरूरत भी नहीं समझते।
ReplyDeleteहम भी उसी कन्या की भाषा में टिपियाते हैं।
ReplyDeleteOh Man, it is like totally true. You know वो कहते हैं न टोटल बिंदास । यू कैन बी सच अ डफ़र समटाईम।
जो चाहे जैसी हिंदी लिखता बोलता रहे, पर जो लोग अच्छी हिंदी जानते हैं उन्हें तो अपनी जिम्मेदारी समझनी ही है । विदेशों में रह रहे हमारे योग्य विद्वजन तक यह काम बिना किसी प्रचार के चुपचाप कर रहे हैं –स्मार्ट इंडियन, राज भाटिया, लावण्या जी, उडन तश्तरी और वे सभी जिनके नाम या पहचान मुझे मालुम नहीं (जिसके लिए वे मुझे माफ करेंगें) इसके कुछ उदाहरण हैं । मुझे तो सारी कमियों के बावजूद भविष्य की हिंदी बेहतर ही लगती है।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस को हार्दिक शुभकामना .
ReplyDeleteHum galti se aaj aapke bak-bak patra (blog) par aaye, asal mein kal humne apna bak-bak patra shuru kiya aur hum usi ko google pe dhoondh rahe the, google bhaisaahab ki samjh se hamaare aur aapke bak-bak patra ke naam mein "uwaach" ki samaanta hai khair detail ko chhodte hain, aapka bak-bak patra bada hi mast hai.
ReplyDeleteHamaare bak-bak patra par kabhi padhaarein, humein(aur shaayd aapko bhi) accha lagega.
http://prateekshujanya.blogspot.com
Uprokt patra angrezi mein hai, Ya yun kahiye ki humne bhi angrezi ki taamg todi hai.
हिंगलिश के बारे में आपके विचार पढ़े,
ReplyDeleteअच्छे लगे.
कृपया हमारे बक-बक पत्र पर हमारे विचारों की समीक्षा करें तो मेहेरबानी होगी
http://prateekshujanya.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
Nice Post.
ReplyDeleteगाँधी जी की पुण्य-तिथि पर मेरी कविता "हे राम" का "शब्द सृजन की ओर" पर अवलोकन करें !आपके दो शब्द मुझे शक्ति देंगे !!!
हमें तो यह सोच कर दुःख हो रहा है कि अब जब वह मोहतरिमा यह गुफ्तगू मुलाहिजा फरमायेंगी तो, तुम्हारा क्या हाल होगा?
ReplyDeleteहाहा... ज्ञान जी की टिप्पणी लाजवाब.. अच्छी और सच्ची.. ;)
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