शुक्रवार को एक अनाल्य्सिस में ढेर सारी संख्याएं लाल ही लाल दिखी (साधारणतया ऋणात्मक संख्याएं लाल रंग से दिखाई जाती हैं) और अनायास ही मैं बोल उठा:
"लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल,
लाली देखन मैं गयी, मैं भी हो गई लाल."
ऑफिस में एक मित्र हैं, उन्होंने ये दोहा सुना ही नहीं था. तो ऐसे ही थोडी चर्चा हो गई, उसके बाद अचानक ही मुझे सबीरदास रचित टिपियावाली के कुछ दोहे याद आ गए. आप भी सुनिए.
टिपण्णी की इच्छा सब करै, टिपण्णी करे न कोय ।
जो पहले टिपण्णी करे, कमी काहे को होय ।। 1 ।।
ब्लॉग लिखत जुग भया, मिला न पाठक एक ।
पोस्ट का चक्कर डार दें, करें टिपण्णी अनेक ।। 2 ।।
टिपण्णी इतना कीजिये, ब्लॉग चलता जाय ।
आपहु के चलता रहे, नए लोग जुड़ जाय ।। 3 ।।
टिप सको तो टिप लो, नहीं लगत है दाम ।
फिर पाछे पछताओगे, जब हो जायेंगे काम ।। 4 ।।
ऐसी टिपण्णी कीजिये, मन का आप खोय ।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ।। 5 ।।
टिपण्णी ते सब होत है, पोस्ट ते कछु नाहिं ।
पाठक में वृद्धि करे, ऐड-सेंस चमक जाहिं ।। 6 ।।
सबीरा टिपण्णी आपकी, निष्फल कभी न होय ।
वो ब्लॉग भी जीते रहे, जिनको मिला न कोय ।। 7 ।।
सबीरा टिपण्णी कीजिये, और कराइए खूब ।
ब्लॉग संख्या बढ़त है, न तो कई जावेंगे डूब ।। 8 ।।
बिन टिपण्णी के ब्लॉग देख, दिया सबीरा रोय ।
दुई-चार दिन बाद ही, ना बच पायेंगे कोय ।। 9 ।।
यह ब्लॉग समय-नाशकी, टिपण्णी आनंद की खान ।
१०-१२ दिए जो एक मिलै, तो भी सस्ता जान ।। 10 ।।
टिपियक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय ।
बिन मुद्दा नियमित रहे बिना, ब्लॉग चलता जाय ।। 11 ।।
टिपण्णी अमिय समान है, तोहि दई मैं सीख ।
कहै सबीर समझाय के, मीठा लागे जैसे ईख ।। 12 ।।
सबीरा खड़ा बाजार में, लिया लैपटॉप हाथ ।
जो टिपण्णी करना चाहे, चले हमारे साथ ।। 13 ।।
कवियों और साहित्यकारों से क्षमा चाहता हूँ, कबीर दास की जीतनी मैं इज्जत करता हूँ बहुत कम लोग करते होंगे. और ये तुकबंदी यूँ ही कर डाली... आशा है इस बेकार सी तुकबंदी से कोई नाराज़ नहीं होगा. अगले एक महीने तक यहाँ और गणित वाली श्रृंखला में घोर अनियमितता रहने वाली है. एक तरह से ब्लॉगजगत से अवकाश. पूरी तरह से तो नहीं... क्योंकि आशा है बीच-बीच में जो ब्लोग्स रीडर में हैं उन पर आता रहूँगा.
~Abhishek Ojha~
टिप सको तो टिप लो, नहीं लगत है दाम ।
ReplyDeleteफिर पाछे पछताओगे, जब हो जायेंगे काम
लो जी टिप लिया हमने :) ...टिप्पणी पुराण आज कल सबके सर चढ़ कर बोल रहा है :) सबीरदास रचित दोहे खूब :)
वाह गुरु ...टिपियो पर सही टिपियाये हो ...........................एक ठो हमारी भी सुन लो
ReplyDeleteसबीरा खड़ा इस इन्तजार में कि कब आयेगा"मेल'
दो चार ठीक लाइनों का हम भी खेले खेल
अभिषेक बाबू यह क्या प्रमेय रस से निकल कर डायरेक्ट टिप्पणी रस में आ गए आप तो। वैसे, यह रस है बहुत मजेदार
ReplyDeleteवाह जी ...बहुत बढ़िया दोहे बनाये हो!हर ब्लॉगर को सुबह शाम जपना चाहिए!
ReplyDeleteअजगर करे ना टिप्पणी, पंछी करे ना पोस्ट।
ReplyDeleteदास महेनवा कह गए हो गए सारे घोस्ट॥
निश्चय ही टिप्पणी करने वालों को छोड़कर। आप इतने दिनों बाद पोस्ट किये और वो भी सालिड। लो जी लाल सलाम हमारा। :-)
ओझाजी,
ReplyDeleteहमने सोचा था कि जवाबी टिप्पणी मे हम भी एक दोहा लिख देंगे लेकिन रात/सुबह के तीन बजे दिमाग चल नहीं रहा है और सुबह सोमवार को जल्दी लैब जाने का टेंशन अलग ।
बस साधुवाद का ही सहारा है :-)
बढिया बढिया सब कहें, पर चर्चा करे न कोय ।
टिप्पणी में चर्चा करी तो अपने चिट्ठे का क्या होय ।
लगा ही दी एक सस्ती सी तुकबन्दी :-)
बहुत खुब, कितने अच्छे अच्छे दोहे लिखे हे, बस अगले साल से स्कुलो मे यही पढाये जाये गे, अरे हां एक दोहा भुल गये.. वो यह....
ReplyDeleteओझा खडा नेट पे अपना बंलाग बनाये,
जिस्ने टिपण्णा टिपले ना पाछे पछाताये
आप का धन्यवाद
नया ब्लॉग साहित्य प्रकटित हो रहा है!
ReplyDeleteस्वागत!
ब्लॉगर करते टिप्पणी,एक-एक बेजोड़।
ReplyDeleteउड़न तश्तरी,ज्ञानजी,करते असली होड़॥
करते असली होड़, बड़े हैं ये लिखवइया।
शिवकुमार,अनुराग,अरुन,फुरसतिया भइया॥
खुश होते‘सिद्धार्थ’,टिप्पणी दो ही पाकर।
घूम-घूमकर टीप दिये, दर्जन भर ब्लॉगर॥
हा हा!!! बेहतरीन झकाझक!! समीरदास के दोहे कह देना था इसको तो, कुछ नाम ही हो जाता हमारा भी. :)
ReplyDeleteसिद्धार्थ भी मजेदार टीप गये. :)
हा हा हा
ReplyDeleteबहुत खूब.
जबरदस्त लिखा है.
bhut badhiya. sahi baat kah di. ati uttam.
ReplyDeleteबस समीर जी समझ लीजिये की समीरदास ही लिखने जा रहा था... लेकिन फिर बिना अनुमति के लिखना उचित नहीं समझा !
ReplyDeleteमजेदार दोहे हैं।
ReplyDeleteटिप्पणी के दोहे पढे, मन में छाई उमंग।
ReplyDeleteलो जी जरा सहेजो, हमरी टिप्पणिया के रंग।
bahut sundar dohawali hai Ojha ji :-)
ReplyDeleteNew Post :
Jaane Tu Ya Jaane Na....Rocks
मान गये जी सबीर दास को भी और ओझा बाबा को भी
ReplyDeleteअच्छी है टिपियावली, टीपो, बनो महान!
ReplyDeleteटीप-टीप ही बन पाओगे, तुम टीपू सुल्तान!!