Sep 14, 2008

कृष्ण की हार और धमाकों से लाभ

क्या कृष्ण इस युग में हार जाते?

कुछ दिनों पहले ज्ञानजी ने एक सवाल उठाया था: 'दुर्योधन इस युग में आया तो विजयी होगा क्या?' पता नहीं क्यों ये सवाल कुलबुलाता रहा दिमाग में। पोस्ट में क्या था वो ठीक से याद नहीं रहा और फिर देख के आया, पर ये सवाल याद रहा. ऐसे कई सवाल पढ़ के दो मिनट भी दिमाग में नहीं रह पाते लेकिन ये दिमाग से निकल नहीं पाया। उनके सवाल का जवाब तो मन ने तैयार कर लिया कि हाँ भाई विजयी हो सकता है...

लेकिन किससे? कृष्ण से ! ये सम्भव नहीं लगता... मेरा तर्क कहता है की दुर्योधन विजयी हो सकता है लेकिन कृष्ण नहीं हार सकते और आमने-सामने की बात हो तो जीत तो कृष्ण की होनी ही है... युग कोई भी हो।

हम अक्सर कहते/सुनते हैं... वो ज़माना ऐसा था, अब ऐसा नहीं हो सकता। उस जमाने में लोगों के पास बहुत कुछ करने को था, अब क्या करें? हमारे कई मित्र कहते हैं 'गाँधी का समय ही ऐसा था... बाकी देशवाशियों के पास भी कुछ कर-गुजरने वाली बात थी। गांधी आज के युग में होते तो कुछ ना कर पाते ! और हमारे पास वैसा कुछ करने को है भी नहीं। भगत सिंह के पास लड़ने को अंग्रेज थे हम किससे लड़ें?'

एक फॉरवर्ड होते हुए एक ईमेल आती है... मुझे पूरी मिल नहीं पायी पर लाईने कुछ ऐसी होती हैं:

हे कृष्ण तुने कंस को मारा, लादेन को पकड़ के तो दिखा।
हे कृष्ण तुने रास लीला की कलयुग की एक लड़की तो पटा के दिखा।

और भी लाईने होती है (शायद एक लाइन होती है की सॉफ्टवेर के कोड लिख के दिखा) पर याद नहीं। ये तो मजाक की बात है पर अगर इस मजाक पर ही सोचा जाय तो क्या ऐसा है की कृष्ण से ये काम नहीं होते? अगर देखा जाय तो उस समय और इस समय में कोई फर्क नहीं है... हर युग में बात वही होती है। पर जो जीतते हैं वो किसी भी युग में जीतेंगे।

मेरे मित्र कहते हैं की अब शोध करने को क्या बचा है न्यूटन ही सब लिख गए, उनके जमाने में कुछ नहीं था तो बैठ के लिखते गए... आज होते तो क्या कर पाते? बात में दम तो है लेकिन उनके पहले भी तो लोग थे और बाद में भी हुए पर आइन्स्टीन के पहले किसी ने रिलेटिविटी क्यों नहीं सोचा? रामायण तो तब भी था पर तुलसी बाबा का एक बार पढ़ के तो देखो ! पहले से ही सब कुछ था पर क्या कुछ ढूंढ़ गए.

अलग-अलग बातें हैं... बिल्कुल बकवास सरीखी. पर जुड़ कर मतलब यही निकलता है... कृष्ण, न्यूटन, तुलसी, गाँधी या आइंस्टाइन तब भी विजयी हुए आज भी विजयी होंगे। मुझे तो यही लगता है की कृष्ण आज होते तो जींस पहनकर रासलीला कर लेते... मतलब ये की आज भी वो सब कर जाते जो उन्हें करना होता.

ये बातें तो शाश्वत है की आज का युग ख़राब हो गया है पहले बहुत अच्छा था। क्या हमारे बाप-दादा की जवानी में उनके बाप-दादा नहीं कहा करते थे: 'अंधेर गया है हमारे जमाने में तो... ' वही बात आज भी है, ज़माना उसी गति से बदलता रहता है।

अंधेर हर युग में होता रहा है होता रहेगा... पर विजयी होने वाले तो विजयी होते ही रहेंगे।





दिल्ली धमाको से आपको क्या मिला?

इनको तो मुंह माँगा मिला:

मीडिया को: ब्रेकिंग न्यूज़।
नेता को: एक और मुद्दा।
कचरे को: सिक्यूरिटी गार्ड।
ब्लोग्गर को: एक और पोस्ट।
नौकरशाह को: लिखने को एक भाषण और एक जांच कमिटी की सदस्यता।
पुलिस को: बहुत दिनों के बाद काम।
मोबाइल कंपनी को: कॉल में वृद्धि।
जनता को: आदत।
घायलों को: मुआवजा।

सुना है जिंदगी तेजी से सामान्य हो रही है... अब तो रोज़ का नाटक है भूखों तो मर नहीं सकते, क्या करें !

पर आप ही देखिये सब बाहर से दुखी लेकिन अन्दर से खुश हैं... बस मृतकों को कुछ नहीं मिला बाकी सबको कुछ ना कुछ मिला है... आपको क्या मिला?

~Abhishek Ojha~

19 comments:

  1. बहुत बेहतरीन झकझोर देने वाला आलेख लिखा है तितर बितर में-दिल्ली धमाको से आपको क्या मिला? वाकई-सूक्ष्म विश्लेषण.

    बधाई इस जागरुक पोस्ट के लिए.

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  2. कृष्ण की गीता का रेवेलेशन तो बकौल श्री अरविन्दो, अभी पूर्णत होना शेष है।
    उन्हें चुका हुआ नहीं माना जा सकता। :)

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  3. शानदार आलेख लिखा है

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  4. अभिषेक,
    संपूर्ण विश्व समष्टि में ईश्वर ही तो है, कृष्ण भी और राम भी अंश ही तो थे। जो दुर्योधन को जीत लेगा,प्रेम का नया पाठ पढ़ाएगा वही अंश तो कृष्ण कहलाएगा, उस से कम नहीं। कंस और दुर्योधन के अत्याचार जब तक सीमा की अति नहीं कर गए तब तक वे जीवित रहे। घबराएँ नहीं कोई तो कृष्ण बनेगा। कृष्ण पैदा नहीं होते परिस्थितियाँ अंशों को एकत्र कर कृष्ण बनाती हैं।

    इन धमाकों की उत्पत्ति किस मथुरा में है उसे तलाश करना होगा तभी कंस का वध संभव है।

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  5. बहुत सही लिखा है आपने ..किसको क्या मिला ? बहुत कुछ कह गई यह पंक्तियाँ

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  6. बहुत ही सुंदर ढ़ंग से वि‍श्‍लेषि‍त वि‍चार। खास तौर पर कवि‍ता तो इतनी वजनी है कि‍ लंबी-लंबी कवि‍ता में भी कहॉं मि‍लते हैं इतने अच्‍छे भाव।
    फि‍र से पढ़ना चाहुँगा-
    दिल्ली धमाको से आपको क्या मिला?

    इनको तो मुंह माँगा मिला:
    मीडिया को: ब्रेकिंग न्यूज़।
    नेता को: एक और मुद्दा।
    कचरे को: सिक्यूरिटी गार्ड।
    ब्लोग्गर को: एक और पोस्ट।
    नौकरशाह को: लिखने को एक भाषण और एक जांच कमिटी की सदस्यता।
    पुलिस को: बहुत दिनों के बाद काम।
    मोबाइल कंपनी को: कॉल में वृद्धि।
    जनता को: आदत।
    घायलों को: मुआवजा।

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  7. मृतकों को मिला नऽ... रोज-रोज के भय से मुक्ति और अन्तिम विश्राम।

    आपका लेख उत्कृष्ट श्रेणी का है। साधुवाद।

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  8. मीडिया को: ब्रेकिंग न्यूज़।
    नेता को: एक और मुद्दा।
    कचरे को: सिक्यूरिटी गार्ड।
    ब्लोग्गर को: एक और पोस्ट।
    नौकरशाह को: लिखने को एक भाषण और एक जांच कमिटी की सदस्यता।
    पुलिस को: बहुत दिनों के बाद काम।
    मोबाइल कंपनी को: कॉल में वृद्धि।
    जनता को: आदत।
    घायलों को: मुआवजा।
    अब to जैसे आम सी बात हो गई है, कुछ दिन चर्चा होती है, और सब भूल जाते हैं,आख़िर कब तक ऐसा होता रहेगा? कब ये सब ख़त्म होगा? ख़त्म होने की बात कौन करे, ये दिनों दिन बढ़ता ही जारहा है....बेहद अच्छी पोस्ट...अभिषेक जी.

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  9. सौ प्रतिशत सहमत....यही जमाना खराब है पहले तो स्‍वर्ण युग था, की मानसिकता खतरनाक है

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  10. किसी की त्रासदी अब किसी के लिए व्यापार है भाई......ओर "ब्रेकिंग न्यूज़ "अब टी .आर .पी का लिहाफ ओढे बैठी है....

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  11. dono hi vishayo.n par lekh jordaar...evam tathyaparak..!

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  12. जिन के पास संवेदना है उन्हें झकझोरने में आपकी पोस्ट सक्षम है किंतु संवेदना शून्य इस
    तथाकथित मानव प्रजाति को कैसे व कौन समझाए !!!!!!..........?

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  13. अभिषेक,
    आपकी इस प्रस्तुति से
    सोच का एक नया दायरा मिला.
    =======================
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  14. आपने बहुत शानदार चिंतन किया है ! असल में काल (समय) तो वही रहता है ! उसके साथ भूत, भविष्य और वर्त्तमान जुड़ जाता है !
    और पात्र बदल जाते हैं ! कृष्ण की चेतना किसी काल में बंधी हुई नही है ! कृष्ण सर्वदा मौजूद हैं ! भौतिक रूप से भी कृष्ण अकेले ऐसे अवतार हुए हैं जो पूर्णावतार कहलाये हैं ! बाक़ी के सारे अवतार अंशावतार में ही आए हैं ! हाँ अगर कोई अपने पूर्वाग्रह छोड़ दे तब इस जगत में कृष्ण के सिवाय कुछ भी नही है ! मैं नाम नही लूंगा
    एक धर्म विशेष के लोग आज भी कृष्ण के बारे में भ्रांतियां फैलाते हैं ! मेरी समझ से आपकी बात का जबाव इतना ही है की कृष्ण आज क्या ? बल्कि किसी भी युग में , हर काम में सक्षम हैं और रहेंगे ! मेरा ऐसा मानना है की अगर सब कुछ स्वाहा हो जाए और सिर्फ़ गीता बची रहे
    तो समझियेगा सब कुछ मौजूद है ! ऐसा ज्ञान कृष्ण इस जगत को दे गए है ! अगर किसी ने कृष्ण की गीता का एक शब्द भी समझा है ,
    वो किसी और बात के पचडे में पडेगा ही नही ! आप बिल्कुल सही हैं ! आज आप मग्गाबाबा पर आए ! आपका स्वागत है !

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  15. लाशो पर ठक्के लगाने वाला तो शेतान ही हो सकता हे, कोई धर्मिक इंसान तो नही हो सकता, लेकिन जब अंत नजदीक हो तो शॆतान कुछ ज्यादा चहकता हे,
    आप का लेख सटीक हे धन्यवाद

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  16. दिल्ली धमाकों से हर कोई अपने मतलब की चीज निकाल रहा है। आपने बहुत ही तटस्थापूर्वक इसकी विवेचना की है। इस ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया।

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  17. Dhamake ke bare mein kahi tumhari baat bas apne dil se nikli lagi. Bahut achchi terah aam aadmi ke man ki baat ko shabda

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