Apr 2, 2008

एक फूल ऐसा भी: बहार की जगह विपत्ति !

साधारणतया फूल लगना अच्छी बात होती है पर बांस के फूल यानी अकाल, विपदा और ना जाने क्या-क्या!
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है मिजोरम. बांस के बड़े-बड़े घने जंगल यहाँ हरियाली और सुन्दरता के साथ आर्थिक मदद भी पहुचाते हैं. डलिया, मचिया, छतरी, खाट सब कुछ तो बांस से बनता है, और फिर घर भी तो बन जाते हैं इसी बांस से. यहाँ तक की अटल बिहारी वाजपेयी ने इन्ही बांसों को 'हरा सोना' कहा. ये तो हुई बाहर की बात अब बात वेणु-पुष्प-प्रकोप की:

१९५९ में इन बांसों पर फूल लग जाने की वजह से यहाँ भयंकर अकाल आया. जान माल की बहुत क्षति तो हुई ही... सरकार से जरुरत के हिसाब से मदद ना मिल पाने के कारण मिजोरम राज्य में अलगाववाद ने जन्म लिया जो २०-२५ वर्षों तक चलता रहा. अब आप शायद वेणु-पुष्प के प्रकोप को बेहतर समझ रहे होंगे ये किसी बाढ़, भूकंप, सूखे, या सुनामी से कम खतरनाक नहीं है. हर ४८ साल के अंतराल पर यह घटना घटती है और इसी तरह की घटना १८६२ और फिर १९११-१२ में पहले भी हो चुकी है. मिजो में मौतम के नाम से जानी जाने वाली इस प्रक्रिया के बाद बांस सूख जाते हैं और यह 'हरा सोना' फिर किसी काम का नहीं रह जाता. कुल मिला के ये बांस के फूल बहुत दुखदाई होते हैं. होता कुछ यूं है कि बांस के फूल में होने वाले बीज जब चूहे खाते हैं तो उनकी संख्या में बहुत तेज वृद्धि होती है, और फिर चूहे दौड़ते हैं खेतो की तरफ़, खेत साफ... फिर घर की तरफ़. अब इनसे मुक्ति कौन दिलाये!


चूहे हैं तो फिर प्लेग का खतरा अलग. २००५ में जब मौतम हुआ तो भारत सरकार और राज्य सरकार ने कई कदम उठाये जैसे 'एक चूहा मारो और एक रुपया पाओ'. सेना भी बुलाई गई... और फिर ऐसी खेती की सलाह दी गई जिससे चूहे दूर भागते हैं. और एक तरीका ये भी अपनाया गया: काट डालो सारे बांस फूल लगने के पहले ही, वैसे भी फूल लगने के बाद तो बांस बेकार हो ही जाते हैं.
है ना रोचक और खतरनाक कहानी !
इसीलिए मैं कहता हूँ कि सुन्दरता के पीछे बिना सोचे समझे नहीं भागना चाहिए. चाहे सुन्दरता चलने-फिरने वाली कोई वस्तु हो, फूल हो या फिर कोई निर्जीव वस्तु ही क्यों ना हो !
बहारों में आनंद के साथ होशियार रहना भी जरूरी है, क्योंकि अगर ऐसा कुछ हो गया तो फिर संभलना मुश्किल हो जायेगा जैसा कि किसोर दा ने गाया है... जो बाग़ बाहर में उजड़े उसे कौन बसाए?

अगर आपको ये रोचक लगा तो ये लिंक्स आपको और जानकारी देंगे:

http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/6585073.stm
http://en.wikipedia.org/wiki/Mautam
http://www.planetark.com/dailynewsstory.cfm/newsid/30572/story.htm
http://www.sos-arsenic.net/english/homegarden/bamboo.html
http://mizobamboo.nic.in/

इस विडियो में भी यही जानकारी है:


~Abhishek Ojha~
तस्वीरें साभार: बीबीसी, sos-arsenic.net और
http://www.flickr.com/photos/73231755@N00/493560415/

7 comments:

  1. रोचक जानकारी..........

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  2. अरे इसके बारे मे तो तुमने मुझे पिछले महीने ही बताया था! यह तुम्हारे blog मे इतनी देर से कैसे आया?

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  3. कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगो तक जानकारी पहले पहुँचती है... बाकी लोगो तक बाद में :-)

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  4. Wah guru aise hi gyan dete raho kabhi kabhi !

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  5. बहुत रोचक जानकारी। मैं प्रकृति के इस कृत्य में अभी भी कल्याणकारी विधान तलाशने का यत्न कर रहा हूं।

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  6. रोचक जानकारी है। लेकिन, हम लोगों के गांव में बांस की कोठी जरूरी तौर पर रहती है। शुभ पक्ष ये है कि शादी ब्याह में मंडप बनाने के काम आता है।

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  7. अभिषेक - तुम्हारी प्रोफाईल में IITK- दिखा - क्या नीरज मिश्रा अभी भी गणित विभाग में पढ़ा रहे हैं - बास्केट बाल खेल रहे हैं ?- [he is an old friend - was a regular at the BB courts in our time -was doing phd then ]- manish

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