जी हाँ, परेशानी तो इस बात से होती है कि सामने वाला ज्यादा खुशहाल दिख जाता है। और जैसे हर माँ को अपना बच्चा और हर पति को दुसरे की बीवी अच्छी लगती है वैसे ही हर व्यक्ति को सामने वाला ज्यादा खुशहाल दिखता है. खैर ये तो बाद की बात है पहले ये कि मुझे इतना ज्ञान कहाँ से मिल गया. ज्ञान-व्यान तो कुछ नहीं है मेरे पास... बस ये वार्तालाप आप भी सुन लो तो पता चल जायेगा.
'अरे भाई कैसे हो? तुम तो अब बड़े आदमी हो गए हो... हमें भी कभी याद कर कर लिया करो !'
'नहीं यार, काहे का बड़ा आदमी... ये भी कोई जिंदगी है, स्साला कुल मिला के ६०-७० हज़ार मिलते हैं महीने के. यहाँ तो जिसको देखो १ करोड़ कि कार में चलता है, अरे यार २0-२५ लाख तो वेतन होता है पता नहीं साले करते क्या हैं इतने पैसों का? अब तुम्ही बताओ इंडिया में इतने पैसे एक अकेले के लिए... यार तुम्हारी ही जिंदगी अच्छी है, वैसे कैसी चल रही है आजकल?'
'हाँ भैया बड़े लोग बड़ी बात, वैसे मेरी मस्त चल रही है। चलो मैं तुम्हे बाद में काल करता हूँ!'
अब सामने वाला क्या बोले ! क्या सोच के फ़ोन किया था और यहाँ तो अपना ही दुखडा लेके चालू हो गए। खैर बैठे-बैठे बोरियत टालनी थी एक और काल लगा दी. यहाँ कुछ दिक्कत न हो इसलिए पहले ही बोल दिया...
'और यार कैसे हो? मैं तो किसी तरह जिंदगी काट रहा हूँ... एक तो काम का प्रेसर और ऊपर से वेतन इतना कम, तुम सुनाओ कैसे हो?'
'मैं तो मस्त हूँ भाई, ५००० कमाता हूँ महीने के, और यहाँ तो ये आलम है कि लोगो को भरपेट खाना भी नहीं मिलता... मैंने तो एक मोटर साइकिल भी ले ली है... अब तुम तो जानते ही हो कि यहाँ तो लोगो के पास साइकिल होना भी बड़ी बात है. मेरी जिंदगी तो मजे में चल रही है. और तुम क्यों परेशान हो? क्या हो गया?'
'नहीं, मैं भी ठीक हूँ बस ऐसे ही... '
आपने इस वार्तालाप से क्या निकाला वो तो पता नहीं, पर मेरे लिए तीन बातें साफ हैं। ...
पहली ये कि १००० रुपया कमाने वाले आदमी को अगर ९०० रुपया कमाने वालो के साथ रखो तो वो ज्यादा खुश रहेगा. लेकिन अगर उसी व्यक्ति को १२०० दो और १५०० रुपया कमाने वालो के बीच में रख दो तो वो पहले कि अपेक्षा दुखी रहेगा।
दूसरी ये कि पैसा और सुख में कोई सम्बन्ध है तो जरूर पर वो सम्बन्ध लीनियर नहीं है।
और तीसरा ये कि सब लोग तो दुसरे के सुख से ही परेशान है अपने दुःख से दुखी ही कौन है !
~Abhishek Ojha~
Wah re hero tu to philospher ban gaya :D
ReplyDeleteतो आपको ये गम है। :)
ReplyDeleteदुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है
ReplyDelete:)
झूठे सुख को सुख कहें मानत हैं मन मोद
ReplyDeleteऔर तीसरा ये कि सब लोग तो दुसरे के सुख से ही परेशान है अपने दुःख से दुखी ही कौन है !
ReplyDeleteसही कहा ...बढ़िया लिखा है...बधाई
सब लोग तो दुसरे के सुख से ही परेशान है
ReplyDeleteAbsolutely! No Relativity in this! :)
जी, खाली हाथ आये थे ग्यान बटोरकर जा रहे हैं।
ReplyDelete