Apr 12, 2011

निगेटिव साइड

 

बात पिछले साल की है. एक कॉन्फ्रेंस में वालस्ट्रीट के कुछ कंपनियों के एक्जेक्यूटिव चर्चा कर रहे थे. उनमें से एक ने कहा: ‘हमने तो मिलियंस के टॉक्सिक एस्सेट्स अपने कर्मचारियों को बोनस में बाँट दिया. इसके कई फायदे हुए. एक तो कंपनी का कैश बचा, दूसरे टॉक्सिक एस्सेट्स बैलेंस शीट से कम हो गए और तीसरे हमने ये दिखाया कि बैकर्स की गलती थी तो अब वो ही भुगतें. जो उन्होंने जमा किया था वो उन्हीं को दे दिया.’

लोगों ने कुछ नहीं बोला तो वो आगे बोल पड़े: ‘मुझे आश्चर्य हो रहा है कि बाकी बैंकों ने इसका अनुकरण क्यों नहीं किया? ये तो बहुत ही अच्छा उदहारण है. जिसे सभी बैंको को अपनाना चाहिए’. दोनों हाथ में लड्डू की सी बात थी, सभी ने समर्थन किया. थोड़ी देर बाद एक कैनेडियन बैंक के प्रतिनिधि ने कहा: ‘आपकी बात बिलकुल सही है. मुझे बाकी फर्म्स का तो नहीं पता पर मैं हमारी बात कहूँ तो हम ये करना पसंद करते लेकिन मजबूरी ये थी कि हमारे पास मिलियंस के टॉक्सिक एस्सेट्स थे ही नहीं !’. अब बात यहाँ से पलटी मार गयी. जब चोरी की ही नहीं तो अंतरात्मा को जगा के सरेंडर करें भी तो कैसे. और लोग हैं कि कहे जा रहे हैं सरेंडर कर दो !

बैंक्स वाले रिसेसन के बाद २०१० में मीटिंग कर रहे थे तो ये कैसे मान लेते कि कोई ऐसा भी हो सकता है जिसके पास टॉक्सिक एसेट ना हो. अब वैसे ही जैसे आजकल कोई ये कहाँ पूछता है कि पीते हो या नहीं. लोग तो सीधे ‘क्या लोगे’ ही पूछते हैं. वो ये कैसे मान लें कि नहीं पीने वाले लोग भी हो सकते है. खैर… पीना बुरी बात नहीं है. ये तो आपको पता ही होगा कि कलयुग में बीयर को दारु तथा पोकर को जुआ कहने से इंसान पाप का भागी होता है. हमारे दोस्त ऋषिकेश में गंगा किनारे गंगाजल और वोदका मिलकर पी आये हैं. उन्हें गजब का मजा आया. वोल्गा-गंगा की जगह वोदका-ठर्रा ज्यादा एफेक्टिव नहीं लगता है सुनने में? खैर… बहुत बात हो गई पोजिटिव साइड की.

अब बात नेगेटिव साइड की. कुछ दिनों से फेसबूकीय मजनूँ लोग ये वाला स्टेटस लगाए बैठे हैं: ‘The best relationship is one in which you feel free to show even your negative side and still have the hope that it will strengthen your relationship’. पता नहीं किसने लिखी है पर बात तो सही है पर जब मुझे सुबह सुबह ४ बजे फोन आया तो दिमाग खराब हो गया. कुछ ऐसे:

‘अबे, सुन मेरा कोई निगेटिव साइड बता?’

‘ऊँहूँ…. कहाँ इंटरव्यू है? बोल देना वही… कि मैं एक साथ कई प्रोजेक्ट करने लगता हूँ. वर्क-लाइफ बैलेंस ढंग से मैनेज नहीं कर पाता….’

‘अबे वो नहीं, इंटरव्यू नहीं है. मेरा कुछ रियल निगेटिव साइड बता.’

‘चल सोने दे, तीन घंटे पहले तो सोया था… क्या हो गया तुझे?'

‘अबे उसने पढ़ लिया है कहीं फेसबुक पर कि रिलेशनशिप मजबूत हो जाएगा, और उसने मुझे टाइम दिया है. आज रात को उसे बताना है कि मेरा नेगेटिव साइड क्या है’

‘क्या?? अबे सारी साइको तुझे ही मिलती हैं क्या? जा… बोल देना कि पहले वो बताए’

‘अरे नहीं भाई. पहले मुझे ही बताना है.’

‘बोल दे कि तू बेवकूफ है. उस जैसे के चक्कर में पड़ा हुआ है यही प्रूफ है. देख जॉब इंटरव्यू होता तो मैं कुछ बता देता. इसमें मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा. अब मुझे सोने दे. एक काम कर किसी दुश्मन से पूछ. काको से पूछ ले चार साल से तेरी बात नहीं हुई ना उससे. वो कुछ बता देगा’

‘अबे यार…’

‘ठीक है, मुझे कॉल कर के उसे पकड़ा देना मैं उसे समझा दूँगा. और टेंशन ना ले मुझपर सेंटी हो गयी तो मैं कटा दूँगा’

‘चुप कर. जा सो ही जा तू'

… और उसने फिर काको को फोन किया तो काको बोला : ‘तू बहुत बड़ा ह*मी है. तेरी मा.. (आगे तो आप समझ ही गए होंगे. बिलकुल वही बोला उसने जो आप बिन लिखे पढ़ गए Smile ).’ 

अब बेचारे ये बिन लिखे समझ में आ जाने वाली बातों को तो बता नहीं सकते अपनी निगेटिव साइड. ये भी कोई निगेटिव साइड हुआ? और बेचारे दारु, सुट्टे से दूर  ही रहते हैं. लड़की-वडकी का भी कुछ उस लेवल का चक्कर हो नहीं पाया. कुछ और निगेटिव साइड उन्हें क्या उनके जानने वालों को भी नहीं मिल पा रहा. बेचारे पढ़-लिख के आईएसआई मार्का वाले शरीफ ब्रांड के इंसान अब निगेटिव वाला साइड ढूंढ रहे हैं. और उनकी गर्लफ्रेंड मानने को तैयार नहीं कि वो इतने शरीफ हो सकते हैं. उसका तो कहना भी सही है कि बता दो थोडा रिश्ता और मजबूत कर लेते हैं. लेकिन बेचारे के पास केवल कैश और लिक्विड एसेट ही है तो टॉक्सिक एसेट कैसे दे बोनस में. बड़ी समस्या है ! वैसे ही जैसे कुछ लोग फुर्सत के पल ढूंढने में ही व्यस्त हो जाते हैं.  बिन बात ही…

~Abhishek Ojha~

21 comments:

  1. दर्दनाक कहानी है। रात एक बजे तक ब्लॉग लिखो और सुबह चार बजे लोग घंटी बजा दें - पहली नेगेटिव साइड तो यही हो गयी। दूसरी बताने का टाइम नहीं है अभी, वैसे उनका नम्बर भी कहाँ आयेगा दूसरी का।

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  2. जानामि धर्मम् न च मे प्रवृत्ति।

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  3. कुछ भी नैगेटिव न होना ही अपने आप में बहुत पोज़िटिव वाली नैगेटिव साईड है।

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  4. पहले तो मेरी समझ में ये नहीं आ रहा.....कोई निगेटिव साइड ना होते हुए भी आपके दोस्त को गर्ल फ्रेंड कैसे मिल गयी...:)

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  5. ओह...अब समझी...मेरे दोनो बेटो का नेगेटिव साइड न होने के कारण ही कोई गर्ल फ्रेंड नही बन पाई...हाँ दोस्त जैसी बहुत हैं...

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  6. अपना निगेटिव साइड बता दे यार, जो मैं बताया करता था । 29 साल पहले जब कई भड़क गयीं.. तो अब कितनी भड़केंगी.. अँदाज़ा लगा ले । अब मैं क्या बताया करता था, जब पूछना हो, बेधड़क पूछ लीजो !

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  7. @अनुरागजी: :) आधे अधूरे नींद के बाद सुबह हमने तो एक सलाह ये भी दिया कि बोल दो 'मेरा निगेटिव साइड ये है कि मैं अपना निगेटिव साइड नहीं देख पाता'. पर उन्हें ये वाला भी पसंद नहीं आया.
    @प्रवीणजी: सत्य वचन.
    @संजयजी: जी बिलकुल और हम तो इसे वही कह रहे हैं जो अनुरागजी को लिखा है.
    @रश्मिजी: दोस्त किसका है :)
    @मीनाक्षीजी: जी बिलकुल यही कारण है.
    @डॉकसाब: भड़काने वाले निगेटिव साइड की भी जरुरत पड़ती है कभी कभी. आपसे पूछता हूँ जल्दी ही. आगे से ऐसे केस आये तो रेफर कर दूंगा आपको. :)

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  8. bhai achcha laga idhar aakar.dinon bad tumhain padha...
    main in dinon ranchi me hun.

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  9. यह कोई कम निगेटिविटी है क्या कि कोई निगटिवेटिए ही नाही है -धुत बुडबक :)

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  10. :)
    बड़ा कठिन काम है ये तो।
    अब तक तो टाई पहन कर ही इस सवाल का होश आता था।

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  11. आईला ! कुछ नेगेटिव साइड कभी कभी कुछ के वास्ते पोजिटिव साइड होती है.....आज कल की गर्ल फ्रेंड कितनी डिमांडिंग है बीडू !

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  12. आजकल कोई ये कहाँ पूछता है कि पीते हो या नहीं. लोग तो सीधे ‘क्या लोगे’ ही पूछते हैं.
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    हमसे यह पूछा जाता है तो शीतल पेय बोलने पर बोलने पर कुछ ऐसा मुंह बनता है एक क्षण को मानो काढ़ा उंडेल देंगे हमारी गिलास में! :)

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  13. @शहरोजजी: धन्यवाद. रांची? ओह ! बहुत दिन हो गए रांची गए हुए.
    @अरविन्दजी: :) सत्य वचन.
    @अविनाश: हाँ तब के लिए तो बड़े स्टैण्डर्ड रेडीमेड वीकनेस मिलते हैं.
    @अनुरागजी: किसी का निगेटिव किसी का पोजिटिव ये तो है.
    @ज्ञानदत्तजी: हा हा. साथ में लोग अजब-गजब का तर्क भी देते हैं.

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  14. तू वेबकूफ है उसके चक्कर में पडा यही प्रूफ है क्या बात है ओझाजी। हम भी क्या करे विना लिखे पढने की आदत जो पड गई है। वैसे आपने कुछ बीयर के वाबत लिखा है कुछ लोग कहते है कि ईश्वर हम सब को खुश देखना चाहता है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है बीयर

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  15. @बृजमोहनजी: धन्यवाद, बीयर के बारे में आपकी बात मान लेते हैं जी. हम तो जो कहिये मानने को तैयार हैं. मानने में क्या जाता है :)

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  16. है तो निगेटिव साइड : चार बजे भोर में फोन करने की लत है :)

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  17. @अशोकजी: अरे ४ तो हमारे यहाँ बज रहे थे उनके यहाँ तो दोपहरी ही हो रही थी. वैसे हमें परेशान करने की बुरी आदत है कईयों में. :)

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  18. मुझे लगता है, दरअसल वो पूछ रहा होगा - मेरा, अच्छा वाला, बढ़िया वाला, इम्प्रेसिव नेगेटिव साइड! नहीं?

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  19. :) निगेटिव और पॉज़िटिव के चक्कर में सब निगेटिव हुआ जा रहा है भाई...

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  20. पीठ पर कोई एक जगह ऐसी भी होती है जहाँ खुजाने के लिए दूसरे की मदद लेनी पड़ती है। अब ये तो कोई और ही बता सकता है कि निगेटिव क्या है?

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  21. @रविजी: बिलकुल ठीक समझे आप :)
    @वंदनाजी: :) हाँ जी ऐसा ही है.
    @दिनेशजी: ये तो है. निगेटिव साइड तो कोई और ही बता सकता है.

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