tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post1008935447284065694..comments2023-10-26T09:37:37.046-04:00Comments on ओझा उवाच: निगेटिव साइडAbhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-91739093032520344802011-04-22T14:30:02.047-04:002011-04-22T14:30:02.047-04:00@रविजी: बिलकुल ठीक समझे आप :)
@वंदनाजी: :) हाँ जी ...@रविजी: बिलकुल ठीक समझे आप :)<br />@वंदनाजी: :) हाँ जी ऐसा ही है.<br />@दिनेशजी: ये तो है. निगेटिव साइड तो कोई और ही बता सकता है.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/03162653075316394581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-8353505387871757052011-04-21T23:09:05.501-04:002011-04-21T23:09:05.501-04:00पीठ पर कोई एक जगह ऐसी भी होती है जहाँ खुजाने के लि...पीठ पर कोई एक जगह ऐसी भी होती है जहाँ खुजाने के लिए दूसरे की मदद लेनी पड़ती है। अब ये तो कोई और ही बता सकता है कि निगेटिव क्या है?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-65745460001334340862011-04-19T14:18:12.787-04:002011-04-19T14:18:12.787-04:00:) निगेटिव और पॉज़िटिव के चक्कर में सब निगेटिव हुआ...:) निगेटिव और पॉज़िटिव के चक्कर में सब निगेटिव हुआ जा रहा है भाई...वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-22475356653989124372011-04-17T06:16:37.500-04:002011-04-17T06:16:37.500-04:00मुझे लगता है, दरअसल वो पूछ रहा होगा - मेरा, अच्छा ...मुझे लगता है, दरअसल वो पूछ रहा होगा - मेरा, अच्छा वाला, बढ़िया वाला, इम्प्रेसिव नेगेटिव साइड! नहीं?रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-32139293550259661192011-04-15T23:39:07.920-04:002011-04-15T23:39:07.920-04:00@अशोकजी: अरे ४ तो हमारे यहाँ बज रहे थे उनके यहाँ त...@अशोकजी: अरे ४ तो हमारे यहाँ बज रहे थे उनके यहाँ तो दोपहरी ही हो रही थी. वैसे हमें परेशान करने की बुरी आदत है कईयों में. :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-29347065971269945352011-04-15T22:58:01.325-04:002011-04-15T22:58:01.325-04:00है तो निगेटिव साइड : चार बजे भोर में फोन करने की ल...है तो निगेटिव साइड : चार बजे भोर में फोन करने की लत है :)Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-9988954694123390552011-04-15T20:10:26.572-04:002011-04-15T20:10:26.572-04:00@बृजमोहनजी: धन्यवाद, बीयर के बारे में आपकी बात मान...@बृजमोहनजी: धन्यवाद, बीयर के बारे में आपकी बात मान लेते हैं जी. हम तो जो कहिये मानने को तैयार हैं. मानने में क्या जाता है :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-739475661757772082011-04-14T12:10:31.286-04:002011-04-14T12:10:31.286-04:00तू वेबकूफ है उसके चक्कर में पडा यही प्रूफ है क्या ...तू वेबकूफ है उसके चक्कर में पडा यही प्रूफ है क्या बात है ओझाजी। हम भी क्या करे विना लिखे पढने की आदत जो पड गई है। वैसे आपने कुछ बीयर के वाबत लिखा है कुछ लोग कहते है कि ईश्वर हम सब को खुश देखना चाहता है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है बीयरBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-71074156144138687692011-04-14T11:46:44.761-04:002011-04-14T11:46:44.761-04:00@शहरोजजी: धन्यवाद. रांची? ओह ! बहुत दिन हो गए रांच...@शहरोजजी: धन्यवाद. रांची? ओह ! बहुत दिन हो गए रांची गए हुए. <br />@अरविन्दजी: :) सत्य वचन. <br />@अविनाश: हाँ तब के लिए तो बड़े स्टैण्डर्ड रेडीमेड वीकनेस मिलते हैं.<br />@अनुरागजी: किसी का निगेटिव किसी का पोजिटिव ये तो है. <br />@ज्ञानदत्तजी: हा हा. साथ में लोग अजब-गजब का तर्क भी देते हैं.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-16794929792642906952011-04-14T07:43:23.703-04:002011-04-14T07:43:23.703-04:00आजकल कोई ये कहाँ पूछता है कि पीते हो या नहीं. लोग ...<b>आजकल कोई ये कहाँ पूछता है कि पीते हो या नहीं. लोग तो सीधे ‘क्या लोगे’ ही पूछते हैं. </b><br />-------<br /><br />हमसे यह पूछा जाता है तो <b>शीतल पेय</b> बोलने पर बोलने पर कुछ ऐसा मुंह बनता है एक क्षण को मानो काढ़ा उंडेल देंगे हमारी गिलास में! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-37211657984322053102011-04-14T04:32:52.059-04:002011-04-14T04:32:52.059-04:00आईला ! कुछ नेगेटिव साइड कभी कभी कुछ के वास्ते पोज...आईला ! कुछ नेगेटिव साइड कभी कभी कुछ के वास्ते पोजिटिव साइड होती है.....आज कल की गर्ल फ्रेंड कितनी डिमांडिंग है बीडू !डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-88874847458561352942011-04-13T23:20:53.959-04:002011-04-13T23:20:53.959-04:00:)
बड़ा कठिन काम है ये तो।
अब तक तो टाई पहन कर ही इ...:)<br />बड़ा कठिन काम है ये तो।<br />अब तक तो टाई पहन कर ही इस सवाल का होश आता था।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-80990651547183410472011-04-13T22:05:08.675-04:002011-04-13T22:05:08.675-04:00यह कोई कम निगेटिविटी है क्या कि कोई निगटिवेटिए ही ...यह कोई कम निगेटिविटी है क्या कि कोई निगटिवेटिए ही नाही है -धुत बुडबक :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-39492500424738500552011-04-13T03:42:05.210-04:002011-04-13T03:42:05.210-04:00bhai achcha laga idhar aakar.dinon bad tumhain pad...bhai achcha laga idhar aakar.dinon bad tumhain padha...<br />main in dinon ranchi me hun.شہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-72996321265284800202011-04-12T14:55:37.113-04:002011-04-12T14:55:37.113-04:00@अनुरागजी: :) आधे अधूरे नींद के बाद सुबह हमने तो ए...@अनुरागजी: :) आधे अधूरे नींद के बाद सुबह हमने तो एक सलाह ये भी दिया कि बोल दो 'मेरा निगेटिव साइड ये है कि मैं अपना निगेटिव साइड नहीं देख पाता'. पर उन्हें ये वाला भी पसंद नहीं आया. <br />@प्रवीणजी: सत्य वचन. <br />@संजयजी: जी बिलकुल और हम तो इसे वही कह रहे हैं जो अनुरागजी को लिखा है. <br />@रश्मिजी: दोस्त किसका है :) <br />@मीनाक्षीजी: जी बिलकुल यही कारण है. <br />@डॉकसाब: भड़काने वाले निगेटिव साइड की भी जरुरत पड़ती है कभी कभी. आपसे पूछता हूँ जल्दी ही. आगे से ऐसे केस आये तो रेफर कर दूंगा आपको. :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-9153287457742004352011-04-12T11:55:14.480-04:002011-04-12T11:55:14.480-04:00अपना निगेटिव साइड बता दे यार, जो मैं बताया करता था...<i><br />अपना निगेटिव साइड बता दे यार, जो मैं बताया करता था । 29 साल पहले जब कई भड़क गयीं.. तो अब कितनी भड़केंगी.. अँदाज़ा लगा ले । अब मैं क्या बताया करता था, जब पूछना हो, बेधड़क पूछ लीजो !<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-82858868804741595052011-04-12T10:55:22.951-04:002011-04-12T10:55:22.951-04:00ओह...अब समझी...मेरे दोनो बेटो का नेगेटिव साइड न हो...ओह...अब समझी...मेरे दोनो बेटो का नेगेटिव साइड न होने के कारण ही कोई गर्ल फ्रेंड नही बन पाई...हाँ दोस्त जैसी बहुत हैं...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-11033686788406268002011-04-12T09:52:26.096-04:002011-04-12T09:52:26.096-04:00पहले तो मेरी समझ में ये नहीं आ रहा.....कोई निगेटिव...पहले तो मेरी समझ में ये नहीं आ रहा.....कोई निगेटिव साइड ना होते हुए भी आपके दोस्त को गर्ल फ्रेंड कैसे मिल गयी...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-15910234738339898012011-04-12T05:51:42.474-04:002011-04-12T05:51:42.474-04:00कुछ भी नैगेटिव न होना ही अपने आप में बहुत पोज़िटिव...कुछ भी नैगेटिव न होना ही अपने आप में बहुत पोज़िटिव वाली नैगेटिव साईड है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-9532269311972741932011-04-12T02:34:51.228-04:002011-04-12T02:34:51.228-04:00जानामि धर्मम् न च मे प्रवृत्ति।जानामि धर्मम् न च मे प्रवृत्ति।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-41627893554599851972011-04-12T01:00:34.281-04:002011-04-12T01:00:34.281-04:00दर्दनाक कहानी है। रात एक बजे तक ब्लॉग लिखो और सुबह...दर्दनाक कहानी है। रात एक बजे तक ब्लॉग लिखो और सुबह चार बजे लोग घंटी बजा दें - पहली नेगेटिव साइड तो यही हो गयी। दूसरी बताने का टाइम नहीं है अभी, वैसे उनका नम्बर भी कहाँ आयेगा दूसरी का।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com