Apr 22, 2007

एक सुबह... गंगा किनारे

आई.आई.टी. के अन्तिम वर्ष के अनगिनत यादगार लम्हों मे एक बिठूर में व्यतीत की गयी वो सुबह भी है। रात्रि के अन्तिम प्रहर से सुबह तक का समय हमने गंगा घाट पर बिताया। ऊषा काल तक की छटा तो मनोरम थी। पर सूर्योदय होने के पश्चात जो प्रदूषण देखने को मिला... गंगा की दुर्दशा।

बिठूर को ब्रह्मावर्त भी कहा जाता है (था)... ऐसी मान्यता है की ब्रह्मा ने यहीं से ब्रह्माण्ड की रचना प्रारम्भ की और ये ब्रह्माण्ड का केंद्र है... । अगर पौराणिक बातों को माने तो कालांतर में यह राजा उत्तानपाद की राजधानी बनी... और ध्रुव ने यहीं कहीँ तपस्या की थी। महर्षि वाल्मीकि का आश्रम भी यहीं था... इसका मतलब ये हुआ की रामायण की रचना, लव-कुश का जन्म तथा लव-कुश युद्ध जैसी घटनाएं भी यहीं हुई होंगी।


ऐतिहासिक
दृष्टि से यह स्थान बाजीराव पेशवा, नाना साहब, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई के शैशव काल तथा १८५७ की क्रान्ति से जुड़ा हुआ है।

कुछ खंडहरों के अलावा अनियोजित, अदूरदर्शी और खराब योजनाओं का प्रभाव हर जगह दिख रहा था। प्रदूषण की बात तो पहले ही कर चूका हूँ। यह सुन चूका था की कानपूर में गंगा बहुत प्रदूषित है... परंतु कभी यह नहीं सोचा था की इतनी ज्यादा प्रदूषित है कि पानी छूने में भी ड़र लगे। बहरहाल हमलोगों ने कुछ तस्वीरें ली और वापस आ गए। योजना बनाने वालों कि तरह इन तस्वीरों में भी प्रदूषण की जगह सुन्दरता ही झलकती है...


पुल किराया सूची


पुल में लगा हुआ एक पीपा


पीपा का पुल


गंगा किनारे एक नाव















सूर्योदय


~Abhishek Ojha~

8 comments:

  1. तस्वीरें अच्छी हैं!

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  2. I liked your blog dear, and it took me down the memory lane to the 70s; when I was at BITS. Time has passed but the traces of that spirit are there - and revived by your posts.

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  3. अच्‍छा वर्णन अच्‍छी चित्र

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  4. बहुत सुन्दर चित्र हैं। हिन्दी में लिख्ना जारी रखिये।

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  5. बेहद रमणीक चित्र सूर्योदय के ! दिल खुश हुआ..

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  6. मित्र अच्‍छे चित्र हैं, कौन सा कैमेरा है ये ज़रूर बतायें । बिठूर का नाम 1857 की क्रांति की गाथाओं में ही सुना था । गंगा से मोह है । पता नहीं क्‍यों इलाहाबाद में गंगा तट पर जाकर भी मन कोमल सा हो जाता है ।
    यहां आपकी बिठूरी गंगा देखकर मन पावन हो गया ।

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  7. आप सबकी टिप्पणियों के लिये धन्यवाद। युनुस भाई ये तस्वीरें ACER-CR6530 कैमरे से ली थी। और गंगा के बारे में क्या कहें... बस प्रदूषण देख कर मन दुखित हो गया।

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  8. चित्र पसन्द आये।

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