कुछ लोगों से मिलकर अच्छा लगता है। वो अपनी एक अलग छाप छोड़ जाते हैं। ऐसे ही कुछ लोगों से हम ना भी मिले तो उनके बारे में सुनकर ही अच्छा लगता है। अलग तरह के लोग ... भले ही दुनिया उन्हें पागल कहे। पर उन लोगों की एक क्लास होती है। और जहां क्लास हो...
पिछले दिनों जेईई 2012 के परीक्षाफल का विश्लेषण पढ़ा तो एक प्रोफेसर का कमेन्ट था कि पाँच लाख अभ्यर्थियों में से जिसके सबसे कम अंक आए हैं... उतने कम अंक तभी संभव है जब उस अभ्यर्थी को लगभग सारे उत्तर आते हों और उसने जान बुझ कर गलत उत्तर मार्क किए हों ! इस साल जेईई में किसी के कम से कम -72 से लेकर अधिकतम 408 अंक तक आ सकते थे। अधिकतम 385 आया और न्यूनतम -64 ! -64 लाने के लिए इतनी ज्यादा गलतियाँ करनी पड़ेगी कि वो तुक्का मार कर नहीं किया जा सकता। वो तभी संभव है जब कोई हर एक सवाल को हल कर जानबूझ कर गलत उत्तर मार्क करे । उसने ऐसा क्यूँ किया ये मुझे नही पता । पर ऐसे लोगों के लिए मन में एक सम्मान की भावना आती है। उनमें प्रतिभा होती है - विशुद्ध, निःस्वार्थ । अगर मैं किसी संस्थान का डायरेक्टर होता तो इस अभ्यर्थी को बुलाकर नामांकन देता।
मुझे अकादमिक बातों में हमेशा से रुचि रही है। और मैं ऐसे कई अद्भुत सिरफिरे लोगों से मिला हूँ। कई लोग याद आ रहे हैं। आज बात बस उसकी जिसका नाम मुझे नहीं पता । क्योंकि जमाना खराब है कोई अपना नाम सुन भड़क न जाये !
बात है आईआईटी दिल्ली की। प्लेसमेंट के पेपर का एक सेक्शन मैंने सेट किया था। एक स्टूडेंट ने एक सवाल के उत्तर में जो लिखा था उसका मतलब था - "मुझे पता है कि ये सवाल आई ई ईरोड़ोव की पुस्तक प्रॉब्लम्स इन जनरल फिजिक्स के सवाल 1.12 से बनाया गया है। मैं इसे हल कर सकता हूँ क्योंकि मुझे उस सवाल का हल याद है। पर इसका हल देख अगर आप ये मतलब निकालें कि मैं उतना ही मेधावी हूँ जितना चार साल पहले था तो सॉरी मैं उतना मेधावी नहीं रहा।" उसी लड़के ने एक और सवाल के उत्तर में लिखा "सवाल तो जिओमेट्रिक प्रोग्रेशन से बन जाएगा पर हाइअसिन्थ का बैंकिंग से क्या लेना देना?"। सवाल में हाइअसिन्थ प्लांट का ग्रोथ रेट दिया हुआ था और उससे कुछ और निकालना था।
(ये सबसे हल्का सवाल था पर बहुत कम लोग सही हल कर पाये थे, अब आप मुझसे ये मत पूछिएगा कि मैंने इसी प्लांट का नाम क्यों इस्तेमाल किया )।
उसने दोनों ही सवाल हल नहीं किए थे पर उसका इतना लिखना ही ये बता गया कि वो दोनों सवाल हल कर सकता था। अगर वो हल करता तो आसानी से वो बाकियों से ज्यादा अंक लेकर आता। उसी दिन साक्षात्कार में एक लड़का बिन नहाये, बिखरे बाल और चप्पल में भी आया था। मेरा बस चलता तो मैं इन दोनों को ही....
खैर... मैं पहले लड़के से अलग से भी मिला। अच्छी बातें हुई। आते-आते मैंने बस इतना कहा - "नॉट योर लॉस" ! पता नहीं मेरा ये कहना उसे कितना अच्छा लगा होगा.... पर मुझे वो अब तक याद है !
~Abhishek Ojha~
PS: बहुत दिनों से ब्लॉग अपडेट नहीं हो पाया था। कारण ? ऐसा कोई कारण तो मुझे भी नहीं मिल रहा :) आज ये पोस्ट कर दिया... ब्लॉग जिंदा रहे।
कुछ बहुत पुरानी पोस्ट्स -
वो लोग ही कुछ और होते हैं ... (भाग II)
:)
ReplyDeleteहोने को ऐसे लोग ’तुलसी अब क्या होयेंगे, नर को मनसबदार’ ग्रंथि लिये हो सकते हैं लेकिन भीतर कहीं एक फ़्रस्ट्रेशन(जो किसी भी वजह से हो सकती है) तो झलकती ही है।
ReplyDelete"एक स्टूडेंट ने एक सवाल के उत्तर में जो लिखा था उसका मतलब था - "मुझे पता है कि ये सवाल आई ई ईरोड़ोव की पुस्तक प्रॉब्लम्स इन जनरल फिजिक्स के सवाल 1.12 से बनाया गया है। मैं इसे हल कर सकता हूँ क्योंकि मुझे उस सवाल का हल याद है। पर इसका हल देख अगर आप ये मतलब निकालें कि मैं उतना ही मेधावी हूँ जितना चार साल पहले था तो सॉरी मैं उतना मेधावी नहीं रहा।" उसी लड़के ने एक और सवाल के उत्तर में लिखा "सवाल तो जिओमेट्रिक प्रोग्रेशन से बन जाएगा पर हाइअसिन्थ का बैंकिंग से क्या लेना देना?"। सवाल में हाइअसिन्थ प्लांट का ग्रोथ रेट दिया हुआ था और उससे कुछ और निकालना था। "
ReplyDeletekoi baat rahi hogi..aise log "sirfire" nahin hote shayad bahut hi jyada samvedansheel/imaandar hon magar jara bhi dikhana nahin chahte (reason may be peer group/society)...aisi meri soch hai.blog likhate raha kariye .
ऐसे ही लोगो से संसार चलता है
ReplyDeleteसुना था किसी महापुरुष ने एक बार अपने पेपर में लिख दिया था कि कोई ५ सवाल जांच लें |पर ये वाला दोस्त तो अलग लगा | इंजीनियरिंग में मुझे भी रिपीटेड सवाल देखकर गुस्सा आता था | सवाल लगाने की बजाय जवाब याद आता था | पर क्या करते , फिर भी करने पड़ते थे :) :) :)
ReplyDeleteऔर ये जो PS में जो लिखा है , सब समझ में आ रहा है :) :) | ब्लॉगर लोग वैसे भी कहाँ बताते हैं कि वो काहे नहीं लिख रहे हैं | एक और हैं, तुम्हारे गाँव ( हाँ हाँ गाँव ) पहुँच रहे होंगे कुछ घंटों में :) वो भी नहीं बता रहे कि काहे नहीं लिख रहे हैं :) :) :)
करवाचौथ की बिलेटेड शुभकामनाएं :) :) :)
हाँ हाँ आज मालिक आए थे। इतना पैदल चलना पड़ा कि, नहीं आए होते तो सैंडी की तबाही का एहसास नहीं होता सही से :) हमारे फोन के मुताबिक हमको लगभग नौ किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। पैदल, नाव और टॅक्सी सब इस्तेमाल हो गए तब जाकर मालिक के दर्शन हुए :) 15 मिनट का कम्मयुट दो घंटे में हुआ ! :) मालिक ने एक बार कहा 'अभिषेक, रहने दो अगर ऐसा है तो हम फिर आयेंगे"। हमने कहा तब का तब देखेंगे फिलहाल आज तो दर्शन कर ही लेते हैं !
Deleteकरवा चौथ पर हमें काहे घसीट रहे हो मालिक :)
अरे बड़े लोगो के दर्शन इतनी आसानी से होते भी कहाँ हैं :) :)
Deleteअरे हम घसीट नहीं रहे हैं, बस शुभकामनाएं दे रहे हैं :) :)
जय हो ऐसे लोगों की।
ReplyDeleteमहान लोगों का सानिध्य जो न करा ले जाय :)
ReplyDeleteमस्त !
जब आपका पेट भरा हो तो थोड़ी शरारत सूझती है।
ReplyDeleteयह शो ऑफ का एक अंदाज भी हो सकता है...
ReplyDeleteकि मैं जानता हूं पर बताउंगा नहीं... :)
राजस्थान भाजपा के एक पूर्व अध्यक्ष हुआ करते थे, महेश शर्मा। उन्होंने समाजशास्त्र के एमए की परीक्षा में पूछे गए पांच प्रश्नों में से केवल एक का जवाब लिखा। पूरी कॉपी और दो सप्लीमेंट्री कॉपी लेकर भरी। फिर उठकर आ गए। कॉपी जांच के लिए गई तो राजस्थान विवि के प्रोफेसरों ने कॉपी को जांच के लिए जेएनयू भेज दिया। वहां प्रोफसर्स के एक मण्डल ने कॉपी जांच की और महेश शर्मा को सौ में से 55 नम्बर दिए। एक सवाल जो बीस नम्बर का था उसके लिए 55 नम्बर मिले। बाद में उन्हें जेएनयू में ही पीएचडी के लिए एनरॉल कर लिया गया। शर्मा ने जेएनयू से पीएचडी की थी। यह सुनी सुनाई बात है। पर स्रोत पक्के हैं... :)
यह उनका शो ऑफ का तरीका थ्ज्ञा।
kya baat hein. I know that we Indians are extraordinary brilliant.
ReplyDeleteजिंदाबाद -
ReplyDeleteअपरंच ,ऐसी भीषण प्रतिभायें मैंने भी देखी है भैया !
मुझे लगता है कि पोस्ट में एक पंक्ति और होनी थी कि कुल कितने सवाल थे, सही जवाब और गलत जवाब के लिए अंक योजना क्या थी. लेकिन माइनस मार्किंग की ऐसी संभावनाओं पर पहली बार ध्यान गया मेरा.
ReplyDeleteमैंने सोचा था ये भी लिखूं पर लगा कि बोझिल न लगने लगे पोस्ट। पोस्ट में जो जेईई 2012 का लिंक दिया है उसमे पेज 13 पर ये जानकारी दी गयी है। "JEE-2012 Result Analysis" शीर्षक से।
Deleteno wonder everyone seems to like your posts ... thanks abhishek ji :)
ReplyDeleteतरह तरह के लोग । बहरहाल प्रवीण जी से सहमत ।
ReplyDeleteजलकुम्भी या वॉटर हायसिन्थ की ग्रोथ रेट बहुत ज्यादा होती हैं क्या इसलिये या ये हायसिन्थ कुछ और है ।
बहुत सही बात काही आपने |
ReplyDeleteஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
वास्तव में हमारे मध्य कोई एक विशेष व्यक्ति होगा, जो विभिन्न प्रकार का होगा.
ReplyDeleteवास्तव में हमारे मध्य कोई एक विशेष व्यक्ति होगा, जो विभिन्न प्रकार का होगा.
ReplyDeleteवास्तव में हमारे मध्य कोई एक विशेष व्यक्ति होगा, जो विभिन्न प्रकार का होगा.
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