कुछ फर्माटिंग में गड़बड़ हुई और हमारा बड्डे सेलिब्राट हो गया. अब ये वाकया लिखने बैठा तो 'फर्माटिंग' और 'सेलिब्राट' याद आ गए. शब्द चर्चा थोडी देर बाद...
१२ सितम्बर को बिस्तर छोड़ने से पहले ही समीरजी का ईमेल पढ़ा 'जन्म दिन की बधाई और शुभकामनाएं'. खुरपेंची डॉक्टर की तरह थोडा हम भी कन्फ्यूजियाये कि कहीं रामखेलावन के पाड़े का असली जन्म दिन तो नहीं पता चल गया. पहला शक गया ऑरकुट/फेसबुक पर नींद में ही पूछा 'अबे ड्यूड ! आज किसी साईट पे मेरा बड्डे तो नहीं दिखा रहा?'
'नहीं भाई !'
मेरे ये मित्र सोशल नेट्वर्किंग साइट्स के अपडेट बाकी लोगों को दिखने के पहले नहीं तो साथ-साथ तो देख ही लेते हैं. फ्लैश ट्रेड्स की तरह. फिर? मुझे तो हर एंगल से अपने दो ही बड्डे याद हैं ९ दिसम्बर और १ जुलाई. और हम पैदा तो ९ दिसम्बर को ही हुए थे. १ जुलाई की बात फिर कभी पर सेलिब्राट तो ९ दिसम्बर को ही होता रहा है. फिर ख्याल आया... १२/९ और ९/१२. मतलब किसी से तो फर्माटिंग की गलती हुई है. यहाँ भी अमेरिकी हाथ निकला... दिन-महिना-साल फर्माट महिना-दिन-साल हो गया कहीं. वैसे भी ९/११ के बाद ज्यादा करने लोग यही वाला फर्माट पसंद करने लगे हैं. ये गडबडी किधर हुई ये तो नहीं पता चला पर एक ट्रेंड दिख रहा था कि सारी शुभकामनाएं अपने हिंदी ब्लागरों से ही आ रही है. एक बार डाउट तो हुआ... 'किसी ने पोस्ट तो नहीं लिख मारी?'
थोड़े-बहुत काम में व्यस्त रहा पर ये बधाइयों और शुभकामनाओं का सिलसिला शाम तक जारी रहा. शाम को एक दो मेल का सधन्यवाद जवाब भेजा ९/१२ और १२/९ की बात बताते हुए तो (वाया द्विवेदीजी) पाबलाजी का फोन आया. और फिर शुभकामनाओं के पेड़ की जड़ ये पोस्ट निकली.
फिलहाल हमें खुश रहने, जिंदगी में बड़े-बड़े काम करने... और ऐसी ही ढेर सारी शुभकामनायें मिली है. तो हम पूरे वीकएंड हैप्पी च लकी फील करते रहे. आप सबको धन्यवाद ऐसे ही किसी भी बहाने शुभकामनायें और आशीर्वाद भेजते रहिये... धन्यवाद के अलावा कुछ और वापस नहीं करूँगा इसकी गारंटी ! इस बार आप चुक गए तो ९ दिसम्बर को फिर मौका है भूलियेगा मत :) पार्टी-सार्टी लेनी है तो पुणे आइये. वैसे भी जिस ब्लॉगर से मिलता हूँ जूनियर ब्लॉगर होने के नाते पे तो मुझे नहीं ही करने देंगे आप. क्यों? इसे कहते हैं दोनों हाथ में लड्डू...
कभी ऐसे सेलिब्राट होगा सोचा न था. कई बार ये सलाह जरूर मिली: 'करले बर्थडे सेलिब्रेट और बुला ले पार्टी में यही एक तरीका है...'. जो भी हो बढ़िया रहा :)
और अब फर्माटिंग: हमारी एक ट्रेनिग में एक उड़िया इंस्ट्रक्टर थे उनसे हमने सीखा संसार कि सारी समस्याएं या तो भर्जनिंग (version) से होती हैं या फर्माटिंग (Formatting) से. कम से कम प्रोग्रामिंग में तो यही होता है. तब से ये दोनों शब्द हमारे तकिया कलाम हैं :)
सेलिब्राट: कानपूर में एक बार बड्डे पार्टी से लौट कर आते हुए फैसला हुआ कि मेन गेट से हॉस्टल तक पैदल चला जाय. रास्ते में एक टुन्न सज्जन मिल गए... बड़े हैप्पी थे और वो बार-बार कहते 'आज मैं बहुत खुश हूँ और तुम सब मेरे दोस्त हो... आज हम सेलिब्राट करेंगे. लेट्स सेलिब्राट !' ये कह कर वो रुक जाते और एक क्लासिकल गाना गाने लगते. हम कहते 'रुक क्यों गए? चलते-चलते गाइए...' और वो खड़े-खड़े फिर तान छेड़ देते 'चलते-चलते मेरे ये गीत....'.
~Abhishek Ojha~
ऐसे अवसर नसीब वालों के ही मिलते हैं -हाँ तारीख लिखने का अमेरिकी अंदाज सचमुच कन्फ्यूजिया है ! मगर जन श्रुतियां ऐसी हैं की अगर आपका पुण्य दिवस (ईश्वर आपको कम से कम शतायु करें ) मना होता तब आप वह हो गए होते जिसे 'कोवेटेड' भाग्य कहा जाता है -यह उकताई दुनिया ऐसे कर्मकांड भी महापुरुषों के साथ कर चुकी है !
ReplyDeleteजुलाई में जन्म और रिकार्ड में दिसम्बर -मुझे नहीं भूलेगा क्योंकि अपुन की भी जन्म कथा यही है !
इस कन्फ्यूज़न में आपसे फोन पर बात हो गई :-)
ReplyDeleteऔर 9 दिसम्बर को आपसे पार्टी लेने का निश्चय भी कर लिया।
अपने दोनों हाथों में लड्डू रख कर मिलिएगा।
हा हा
बी एस पाबला
वाह क्या बात है। हर भारतीय के कम से कम दो-तीन बड्डे होते ही हैं। एक सौर जो अंग्रेजी कलेण्डर से चलता है। दूसरा चांद्र जो विक्रमी सम्वत से तिथियों के हिसाब से चलता है। तीसरा स्कूल वाला जो सारे सरकारी रिकार्ड में चलता है। अब यह चौथा पता लगा फर्माटिंग वाला। पाँचवें का इंतजार हैं। वैसे एक सज्जन 9/11 को भी जन्मदिन मनाते हैं, वे वहाँ जुडवाँ इमारत में नहीं थे इस लिए। वैसे उन्हों ने अभी पासपोर्ट के लिए एप्लाई नहीं किया है।
ReplyDeleteKisi baat se khushi milti hai to vo theek hai iske liye b'day Asali ya nakali. Vaise aap ka day jab bhi ho.... badhi
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ReplyDeleteहम आपसे सीनियर नही हैं :-)
ReplyDeleteबाकि जन्मदिन की कथा बढ़िया रही.
बहुत रोचक रही जी ये कथा भी. जन्मदिन तो रोज सोकर ऊठने के बाद मनाए जाने चाहिये. हां आपका जुलाई वाले बड्डे का राज हमको भी मालूम है...वही हमारे साथ भी पंगा है.:) पर कभी आप बतायेंगे तो ज्यादा मजा आयेगा.
ReplyDeleteरामराम.
जन्मदिन की हार्दिक शुभकानाएं. अमेरिका भला है जी. अमेरिकी सिस्टम भी....:-)
ReplyDeleteअरे जुनियर सीनियर की कोई बात नही ,हम अकसर अपना पेसो का पर्स घर भुल जाते है:) फ़िर करते रहो जुनियर सीनियर, वेसे अब पार्टी भी दो दो होनी चाहिये, जल्दी से उस होटल का पता लिखवा दो हम समय पर पहुच जायेगे फ़ुलो का गुलदस्ता ले कर, वेसे हमारे भी तीन चार जन्म दिन है, कोन सा सही है यह किसी को नही पता.
ReplyDeleteराम राम
हम पहले ही जानते थे इसलिए तो मेसेज नहीं किये.. सोचा आज फोन करके पूछेंगे कि क्या लफडा हुआ.. पर आप तो बड़े तेज़ निकले पहले ही पोस्ट कर दिए.. वैसे चिंता मत करिए हम आ जायेंगे सेलिब्रत करने और आपसे ही बिल दिलवाएंगे.. अजी बिल के लिए किसी का दिल तोड़ना अच्छी बात थोड़े ही है..
ReplyDeleteभगवान प्रसन्न रहने के निमित्त देते हैं - फार्मेटिंग की गड़बड़ी भी एक निमित्त है! :-)
ReplyDeletekya bat hai......senior junior wala formula to hamesha hit raha hai
ReplyDeleteहाय ये आखिर वाले सज्जन बड़े क्यूट से लगे .अक्सर कुछ लोग पीने के बाद क्यूट हो जाते है .नहीं .....उनका सफ़र गेट तक ही रहा या आगे भी चला ...जिस तरह से सेलिब्रेशन चल रहा है उससे यही मालूम चलता है ....तुसी बड़े आदमी हो गये है...
ReplyDeleteगलती से ही सही, शुभकामनाएं तो मिली, इसी बहाने असली-नकली और अमेरिकन डेट के कारण कन्फुजिंग बर्थ डेट की जानकारी मिली. टिप्पणियों में तो द्विवेदी जी ने भारतीय पंचांग के हिसाब से भी बर्थ डेट मनाने की आपको जानकारी दे दी. अहो भाग्य आपके, साल में पॉँच दिन दोनों हाथों में लड्डू.............
ReplyDeleteवैसे छोटी सी ही सही घटना को आपने अत्यंत रोमांचक रचना का रूप बहुत खूबसूरती से किया है.
आपको हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
चलो दिसम्बर वाला भी नोट कर लिये हैं. सही समय पर चूक नहीं होगी.
ReplyDeleteहा हा हा ...याद आया ,
ReplyDeleteमेरी साल गिरह भी इसी तरह सितम्बर में मनी थी --
चलिए , चलते चलते ....मेरे ये गीत याद रखना ..
यादगार रह जायेग्गा
अरे वाह, देर स ही सही, पर जन्मदिन की बधाई तो दी ही जा सकती है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
"जिस ब्लॉगर से मिलता हूँ जूनियर ब्लॉगर होने के नाते पे तो मुझे नहीं ही करने देंगे" भई जूनियर उम्र मे या ब्लॉगिंग में ? चलिये 9/12 की राह देखते है , वैसे भी पाबला जी अपने पड़ोसी हैं साथ तो ले ही चलेंगे - शरद कोकास दुर्ग छ. ग.
ReplyDeleteKOI BAAT NAHI ..... MUBAARAK BAAD HI TO HAI CHAAHE JITNI BAAR LE LO .... KI FARAK PAINDA HAI .......
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteमैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी"में पिरो दिया है।
आप का स्वागत है...
Mishra jee ki bat se sahmat ki aapko hawa hee nahee aur log aapka birdday celebrat kar rahe hain. Bahar hal amarikee janm din mubarak, angreji ke liye disamber ki bat dekhenge.
ReplyDeleteतारीख पे तारीख पे तारीख....
ReplyDeleteलेकिन पूरी प्रस्तुति खास ओझा-स्टाइल में खूब रोचक बन पड़ी है।
दिसम्बर की अग्रीम बधाई अभी से। क्या पता, भूल-भाल जायें तब तक हम।
Khub bhi ho par ye wakya majedar raha...sundar prastuti !!
ReplyDeleteशारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें !!
हमारे नए ब्लॉग "उत्सव के रंग" पर आपका स्वागत है. अपनी प्रतिक्रियाओं से हमारा हौसला बढायें तो ख़ुशी होगी.
ReplyDeleteतो आपका बर्थडे पखवाड़ा चल रहा है, और हक़ीम खुरपेंची लाल को अब तक पतै नहीं,
चलो आप आगे आगे बढ़ते रहो, किसी दिन सारा देश यह दिन याद रखा करेगा !
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