Apr 14, 2009

क्षीणे पुण्ये ऑफिसम् विशन्ति !

मैंने छुट्टी क्या ले ली जिसे देखो वही परेशान:

१७ दिन?

कहाँ जा रहे हो?

क्यों?

कोई 'यूँही' इतने दिनों के लिए घर जाता है क्या? कोई तो काम होगा?

और इतने दिनों तक ऑफिस का काम?

इतने दिन तो कोई अपनी शादी में भी छुट्टी नहीं लेता ! (चलो ये तो कन्फर्म हुआ की मैं शादी करने नहीं गया था !)

फिलहाल सबको संशय में डाले... हम आनंद मनाते हुए नेट-वेट से दूर छुट्टी मना आये. और जब लौट के आये तो लोगों ने पूछा: 'कैसी रही छुट्टी?' अब क्या बताएं हमें तो लगा 'धत ! ये भी कोई छुट्टी हुई शुरू होने के पहले ही ख़त्म हो गयी.' लगा जैसे कभी का कुछ किया हुआ पुण्य शेष था जिसके क्षीण होते ही हम ऑफिस में आ गिरे*. 

इधर जाने के पहले ब्लॉगजगत से छुट्टी मान्य तो हो गयी पर एक चेतावनी भी दी गयी 'पिछला रिकॉर्ड बड़ा ख़राब है जरा ध्यान रखो ! ' अब जब पुण्य क्षीण हो गया और हम फिर से अपने लोक में आ गए तो इस ब्लॉग रूपी माया का ध्यान आना भी स्वाभाविक ही है. तो हम फिर से हाजिर हैं. वैसे तो हम कुछ यूँ गायब रहते हैं कि अगर आने जाने की सूचना पोस्ट से देने लगे तो सूचना वाले पोस्ट ही सबसे ज्यादा हो जायेंगे. वापस आकर ज्ञान भैया की एक पोस्ट पढ़ी तो सच में लगा की बहुत बड़ा पुण्य करने से आदमी दरोगा होता होगा. सरकारी नौकरी, रॉब, उपरी कमाई और छुट्टी मिले सो अलग. यहाँ तो सब जानने वाले १७ दिन में ही मुर्छाने लगे... इस मंदी में १७ दिन? और कहाँ घर वालों के साथ मुझे भी लगा ही नहीं कैसे ख़त्म भी हो गए ये सारे दिन.

खैर… फिलहाल इस मायाजाल (ब्लॉग) में थोडा रेगुलर रहने की इच्छा है. इस बीच कई रोचक बातें हुई जो ठेली जायेंगी. इन १७ दिनों के कुछ अनुभव भी होंगे. अभी बस यह तस्वीर... इन १७ दिनों में सोचा तो बहुत कुछ पढने/देखने को था पर इन दोनों किताबों (तस्वीर वाली) और कुछ फिल्मों से ज्यादा नहीं हो सका. दोनों किताबें बेजोड़ हैं... लगता था गणित ही अब्सट्रैक्ट होता है पर उपनिषद् ने दिमाग का दही कर दिया. पारिवारिक आनंद, ब्लैक स्वान, ब्रह्म और आत्मा-परमात्मा के बीच सालों बाद एक मेला भी देख आया. डिटेल धीरे-धीरे…  अभी के लिए इतना ही.

Black Swan and upanishad

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* ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति। (वे उस विशाल स्वर्ग लोक को भोगने के कारण क्षीण पुण्य होने पर फिर से मृत्यु लोक पहुँचते हैं।) ॥श्रीमद्भगवद्गीता ९- २१॥

26 comments:

  1. अरे छुट्टी के बाद ,पुनरागमन की बधाई स्वीकारें पर अब आप में दार्शनिकता प्रस्फुटित हो रही है जो कि आज आप के शीर्षक से ही पता चल जा रहा है .

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  2. ईशादि नौ उपनिषदों के पारायण से बिलोया नवनीत भी प्रतीक्षित है । प्रविष्टि दें ।

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  3. १७ दिन के विवरण पर १७ पोस्ट का मसाला तो बनता ही है। छुट्टी मिलने पर बधाई, ये भी बताना कि १७ दिनों में कितने रिश्ते आये/गये पक्के होने के करीब पंहुचे वगैरह वगैरह...पता तो चले कि शादी का मार्किट कैसा चल रहा है। वैसे सुना है कि सरकारी नौकरी वालों के दिन फ़िर आये हैं इस रिसेशन के चलते, ;-)

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  4. ये हुक्म दिया जाता है कि १७ दिन की डायरी पेश की जायेयेये..........:)

    रामराम.

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  5. गणित कक्षाओं के बाद अब उपनिषद दर्शन की क्‍लास :) बहुत खूब...हमें इंतजार है।

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  6. ठीक है हम १७ ठेल के लिए तैयार है .....वैसे बात सही है शादी के लिए १७ दिन की छुट्टी आज के लिए कोई नहीं लेता ....कम से कम अपनी शादी की तो नहीं....किताब की फोटू दिखाने की अदा ज्ञान जी भी है .हम वैसे इन दिनों मुंबई रैन पढ़ रहे है ...तुमसे inspire होकर सोच रहे है एक फोटू उस किताब का भी ठेल दे.....अब सच बता ही दो यार १७ दिन की छुट्टी काहे ली ??

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  7. आपके रोचक अनुभवों का इंतजार रहेगा।

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  8. मेरे विभाग में महत्वपूर्ण पोस्ट पर बैठा व्यक्ति १७ दिन की छुट्टी बड़े रिस्क पर ही ले सकता है।
    वापस आने पर उसकी कुर्सी पर कोई दूसरा फेवीकोल लगा चिपका मिले तो यह गरीब बेकार कुर्सी/ट्रान्सफर झेले! :-)
    वैल्कम बैक!

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  9. स्वर्ग लोक से मृत्यु लोक और छुट्टी लोक से ऑफिस लोक..

    यदि सुचना पोस्ट की भी सुचना दे डी जाए तो बेहतर है.. वैसे अच्छा है कि कुछ देर ठहरोगे..

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  10. इस दौरान हुए अनुभवों को जानने की प्रतीक्षा रहेगी।
    ----------
    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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  11. घर (स्वर्ग लोक ) को छोड़ फिर ऑफिस (मृत्यु लोक ) में आ गए . यही तो जीवन चक्र है .

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  12. छुट्टी का मज़ा ही कुछ और होता है।

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  13. आप छुट्टी बिताकर आये हैं....ये तो बधाई देने की बात है! छुट्टी में उपनिषद ? सोचकर ही घबराहट हो गयी.....

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  14. आप आये तो सही ..अब आगे का हल देखते हैं :-)

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  15. ईशावाश्यमिदम सर्वम ....!

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  16. स्वागत है। आप तो छुट्टी क बहुत सदुपयोग करके आए हैं।
    घुघूती बासूती

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  17. १७ दिन की बाते बेहिसाब होंगी .इन्तजार रहेगा .लगता है इन दिनों खूब किताबों से बतिया गया ..:) शुक्रिया

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  18. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

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  19. छुटियाँ कितनी भी हों हमेशा चुटकी में बीत जाती हैं...कारन ये है की जब आप खुश होते हैं समय कहाँ उड़ जाता है पता ही नहीं चलता...लेकिन छुट्टी लेकर इतनी भारी भरकम किताबें पढने का विचार समझ नहीं आया...
    नीरज

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  20. @Neeraj Rohilla:
    मार्केट की खबर: अभी मेरा नंबर नहीं आया है. भैया की बात चल रही है. पर मार्केट इतना बुरा भी नहीं है जितना आप सुन रहे हैं. अपना नंबर आते-आते मार्केट में सुधार हो जाने की पूरी संभावना है :-)

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  21. बहुत खूब अभिषेक भाई ..ब्लेक स्वान पुस्तक पर भी लिखियेगा और मेले की तस्वीरेँ भी होँ तो लगाइयेगा :)
    " Welcome back Kotter "
    ( This was a famous T.V series from '70's here in USA )

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  22. ओह! मैं देर से आया। आपने तो आदत ही छुड़ा दी थी। उपनिषद चर्चा की प्रतीक्षा रहेगी।
    अब रेगुलर रहेंगे?

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  23. जय हो! सब कहानी सुनाई जाये!

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