भय...
क्षुब्धता....
आतंक...
गुस्सा...
निष्फलता...
अव्यवस्था...
समाप्य बेकार संसाधन...
जूझते जांबाज...
१५ घंटे बाद भी जारी है.
इस बार कायरता कम, हमला ज्यादा?
क्यों? कैसे? कौन?
आख़िर कब तक?
इस मुद्दे पर राजनीति... क्यों नहीं? पर आज नहीं, कुछ दिनों के बाद !
सलाम उनको जिनके सरकारी 'बुलेट-प्रूफ़' जैकेट को चीर कर गोली लगती है.
श्रद्धांजली उन्हें जिनकी जगह 'हम' कभी भी हो सकते हैं.
शोक ! शोक !! शोक !!!
~Abhishek Ojha~
सलाम उनको जिनके सरकारी 'बुलेट-प्रूफ़' जैकेट को चीर कर गोली लगती है.
ReplyDeleteश्रद्धांजली उन्हें जिनकी जगह 'हम' कभी भी हो सकते हैं.
"सही अल्फाज "
Regards
धमाके...
ReplyDeleteभय...
क्षुब्धता....
आतंक...
गुस्सा...
निष्फलता...
अव्यवस्था...
समाप्य बेकार संसाधन...
जूझते जांबाज...
१५ घंटे बाद भी जारी है.
क्या हमारी यही नियति है ? या हम लिजलिजापन छोड़ कर कभी खडे होंगे ?
इस सशक्त और दिल को चीरती हुई रचना के लिए आपको धन्यवाद और शहीदों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि !
रामराम !
हार्दिक श्रद्धांजली।
ReplyDeleteजिन की जगह
ReplyDeleteहम कभी भी हो सकते हैं।
बिलकुल सही अहसास है, इसी के अभाव ने इस दुर्दशा तक देश को पहुँचाया है।
श्रद्धांजली उन्हें जिनकी जगह 'हम' कभी भी हो सकते हैं.
ReplyDeleteकौन जाने कब कहाँ इनके साये में अपनी जान गंवा दे ..क्यों की यह तो कहीं थमता हुआ ही नजर नही आ रहा है
ReplyDeleteकबाड़खाना पर जाकर वह कविता भी पढ़िये जो अशोक भाई ने लगाई है।
ReplyDeleteक्या कहूँ बस मन में बहुत गुस्सा है ...हताशा है ओर कुछ न कर पाने का दर्द भी .....कितने निर्दोष लोग बेवजह सरफिरो ,पागलो के कारण अपनी जान खो बैठे ?क्यों हम सिर्फ़ लफ्फाजी करते है ?क्यों हम देश पर भी एकमत नही हो सकते ?क्यों इस देश का खून इतना पतला हो रहा है ?क्यों हमारे राजनेता इतने नपुंसक ?घटिया सोच वाले हो रहे है ?अब नही चेते तो ये देश अफगानिस्तान ओर पकिस्तान बन गया समझो........
ReplyDeleteअब क्या इतनी हिम्मत जुटानी होगी कि हर रोज एक एक हादसा झेलकर हम इन लोगों को श्रद्धांजली देते रहें। बस अब बहुत हुआ... ये सिलसिला कैसे खत्म होगा। अपनी मजबूरी पर तरस आता है।
ReplyDeleteअपना रोष व्यक्त करेँ - ये वही लोग हैँ जो अपनी स्कुल जाती बेटीयोँ के मुँह पर तेजाब फेँकते हैँ :-(((
ReplyDeleteऔर अनगिनत निर्दोष व्यक्तियोँ की जान लेने रोज नये प्लान बनाते हैँ और बम + ए.के. ४७ राईफल का भारत मेँ जमकर प्रयोग करते हैँ -
- भारत की शाँति, सफलता और बढता उन्नत भविष्य इन्हेँ नापसँद है -
- लावण्या
समझ नहीं आ रहा क्या कहें? अभी तो कार्रवाई चल ही रही है।
ReplyDeleteजिनकी जगह हम भी कभी हो सकते है , बिल्कुल सही कहा अभिषेक भाई मै तो अभी भी शहर से बाहर हूँ लेकिन लडाई तो अभी तक जारी है और मै अभी थोड़ा बीजी चल तो आप भी कभी हमारा हालचाल नही पूछते है,
ReplyDeleteअब समय आ गया है कि देश का प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को, राष्ट्रपति लालकृ्ष्ण आडवाणी को, रक्षामन्त्री कर्नल पुरोहित को, और गृहमन्त्री साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बना दिया जाय। सोनिया,मनमोहन,शिवराज पाटिल,और प्रतिभा पाटिल को अफजल गुरू व बम्बई में पकड़े गये आतंकवादियों के साथ एक ही बैरक में तिहाड़ की कालकोठरी में बन्द कर देना चाहिए। अच्छी दोस्ती निभेगी इनकी।
ReplyDeleteउन्होंने जंग में भारत को हरा दिया है.
ReplyDeleteअपने ड्राइंग रूम में बैठ कर भले ही कुछ लोग इस बात पर मुझसे इत्तेफाक न रखे मुझसे बहस भी करें लेकिन ये सच है उन्होंने हमें हरा दिया, ले लिया बदला अपनी....
हार्दिक श्रद्धांजली।लेकिन मन मै नफ़रत ओर गुस्सा अपनी निकम्मी सरकार के लिये
ReplyDeleteॐ शान्तिः।
ReplyDeleteकोई शब्द नहीं हैं...।
बस...।
बहुत बढ़िया ओझा जी /आपने कह ही रहे थे कि गागर में सागर भरने को आपका मन कुलबुला रहा है आज तो आपने एक साथ सारे समुन्दर गागर में भर दिए /बहुत बढियां
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