Nov 27, 2008

मुंबई

धमाके...
भय...
क्षुब्धता....
आतंक...
गुस्सा...
निष्फलता...
अव्यवस्था...
समाप्य बेकार संसाधन...
जूझते जांबाज...

१५ घंटे बाद भी जारी है.

इस बार कायरता कम, हमला ज्यादा?
क्यों? कैसे? कौन?
आख़िर कब तक?
इस मुद्दे पर राजनीति... क्यों नहीं? पर आज नहीं, कुछ दिनों के बाद !

सलाम उनको जिनके सरकारी 'बुलेट-प्रूफ़' जैकेट को चीर कर गोली लगती है.
श्रद्धांजली उन्हें जिनकी जगह 'हम' कभी भी हो सकते हैं.


शोक ! शोक !! शोक !!!



~Abhishek Ojha~

17 comments:

  1. सलाम उनको जिनके सरकारी 'बुलेट-प्रूफ़' जैकेट को चीर कर गोली लगती है.
    श्रद्धांजली उन्हें जिनकी जगह 'हम' कभी भी हो सकते हैं.
    "सही अल्फाज "

    Regards

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  2. धमाके...
    भय...
    क्षुब्धता....
    आतंक...
    गुस्सा...
    निष्फलता...
    अव्यवस्था...
    समाप्य बेकार संसाधन...
    जूझते जांबाज...

    १५ घंटे बाद भी जारी है.


    क्या हमारी यही नियति है ? या हम लिजलिजापन छोड़ कर कभी खडे होंगे ?
    इस सशक्त और दिल को चीरती हुई रचना के लिए आपको धन्यवाद और शहीदों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि !
    रामराम !

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  3. हार्दिक श्रद्धांजली।

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  4. जिन की जगह
    हम कभी भी हो सकते हैं।

    बिलकुल सही अहसास है, इसी के अभाव ने इस दुर्दशा तक देश को पहुँचाया है।

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  5. श्रद्धांजली उन्हें जिनकी जगह 'हम' कभी भी हो सकते हैं.

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  6. कौन जाने कब कहाँ इनके साये में अपनी जान गंवा दे ..क्यों की यह तो कहीं थमता हुआ ही नजर नही आ रहा है

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  7. कबाड़खाना पर जाकर वह कविता भी पढ़िये जो अशोक भाई ने लगाई है।

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  8. क्या कहूँ बस मन में बहुत गुस्सा है ...हताशा है ओर कुछ न कर पाने का दर्द भी .....कितने निर्दोष लोग बेवजह सरफिरो ,पागलो के कारण अपनी जान खो बैठे ?क्यों हम सिर्फ़ लफ्फाजी करते है ?क्यों हम देश पर भी एकमत नही हो सकते ?क्यों इस देश का खून इतना पतला हो रहा है ?क्यों हमारे राजनेता इतने नपुंसक ?घटिया सोच वाले हो रहे है ?अब नही चेते तो ये देश अफगानिस्तान ओर पकिस्तान बन गया समझो........

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  9. अब क्या इतनी हिम्मत जुटानी होगी कि हर रोज एक एक हादसा झेलकर हम इन लोगों को श्रद्धांजली देते रहें। बस अब बहुत हुआ... ये सिलसिला कैसे खत्म होगा। अपनी मजबूरी पर तरस आता है।

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  10. अपना रोष व्यक्त करेँ - ये वही लोग हैँ जो अपनी स्कुल जाती बेटीयोँ के मुँह पर तेजाब फेँकते हैँ :-(((
    और अनगिनत निर्दोष व्यक्तियोँ की जान लेने रोज नये प्लान बनाते हैँ और बम + ए.के. ४७ राईफल का भारत मेँ जमकर प्रयोग करते हैँ -
    - भारत की शाँति, सफलता और बढता उन्नत भविष्य इन्हेँ नापसँद है -
    - लावण्या

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  11. समझ नहीं आ रहा क्या कहें? अभी तो कार्रवाई चल ही रही है।

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  12. जिनकी जगह हम भी कभी हो सकते है , बिल्कुल सही कहा अभिषेक भाई मै तो अभी भी शहर से बाहर हूँ लेकिन लडाई तो अभी तक जारी है और मै अभी थोड़ा बीजी चल तो आप भी कभी हमारा हालचाल नही पूछते है,

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  13. अब समय आ गया है कि देश का प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को, राष्ट्रपति लालकृ्ष्ण आडवाणी को, रक्षामन्त्री कर्नल पुरोहित को, और गृहमन्त्री साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बना दिया जाय। सोनिया,मनमोहन,शिवराज पाटिल,और प्रतिभा पाटिल को अफजल गुरू व बम्बई में पकड़े गये आतंकवादियों के साथ एक ही बैरक में तिहाड़ की कालकोठरी में बन्द कर देना चाहिए। अच्छी दोस्ती निभेगी इनकी।

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  14. हार्दिक श्रद्धांजली।लेकिन मन मै नफ़रत ओर गुस्सा अपनी निकम्मी सरकार के लिये

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  15. ॐ शान्तिः।

    कोई शब्द नहीं हैं...।
    बस...।

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  16. बहुत बढ़िया ओझा जी /आपने कह ही रहे थे कि गागर में सागर भरने को आपका मन कुलबुला रहा है आज तो आपने एक साथ सारे समुन्दर गागर में भर दिए /बहुत बढियां

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