जहाँ तक मुझे याद है बिगिनर्स लक (नौसिखिया किस्मत !) का लाभ इससे पहले मुझे एक ही बार मिला था. पहली बार जब पत्ते खेलते हुए बस जीत गया था एक बिन पैसे का खेल. उसके बाद पिछले दिनों जब मुझे स्टीव बालमर द्वारा हस्ताक्षरित विन्डोज़ ७ का लिमिटेड संस्करण मिला. यूँ तो मैं ऑनलाइन सर्वे, लकी विजेता और फॉर्म भरने वाली ईमेल देखते ही डिलीट कर देता हूँ लेकिन जब कुछ मित्रों ने विन्डोज़ लॉन्च पार्टी की एक पोस्ट रीडर में शेयर की तो पता नहीं क्या दिमाग में आया और मैं अपना नाम पता भर आया. और फिर बिगिनर्स लक ! माइक्रोसॉफ्ट ने विन्डोज़ ७ भेज दिया वो भी पार्टी और प्रचार की कुछ सामग्री के साथ जैसे कुछ पहेलियाँ, झोले, पोस्टर इत्यादि. सोच रहा हूँ किसी दिन कैसिनो हो आऊं पहले दिन तो बिगिनर्स लक चल ही जाएगा !(?)
२ साल तक विस्टा इस्तेमाल के बाद विन्डोज़ ७ पर काम करना एक सुखद अहसास है. विन्डोज़ एक्सपी की याद आई... एक नए परिधान में. किसी ने अपने रिव्यू में कहा था ‘नए मेकअप में पुरानी गर्लफ्रेंड'. मैं भी वही कहूँगा बस 'पुरानी' की जगह 'पहली' गर्लफ्रेंड. हल्का फुल्का और अच्छा ग्राफिक्स (वैसे मेरा डब्बा* ४ जीबी रैम का है, जब एक्सपी इस्तेमाल करता था तब ५१२ एमबी का हुआ करता था). मैं एक्सपी के बाद विन्डोज़ ७ जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम की ही राह देखता... बीच में २ साल के विस्टा को २५ दिनों में ही भूल गया. एक अच्छी बात ये रही कि मुझे फिर से कुछ भी इंस्टाल नहीं करना पड़ा. यहाँ तक की विस्टा के ब्राउजर की हिस्ट्री और टेक्स्टबॉक्स में भरे गए शब्द भी मौजूद हैं.
वैसे मैं एप्पल के प्रोडक्ट्स का फैन हूँ लेकिन मुझे ये भी लगता है कि माइक्रोसॉफ्ट के प्रोडक्ट्स को अनायास ही लोग कोसते हैं. कुछ चीजें फोकट की बदनाम हो जाती हैं. क्या लोग भी फोकट में बदनाम हो जाते हैं? वैसे ये बात मैं मुफ्त के विन्डोज़ ७ मिलने के पहले से भी कहता रहा हूँ. माइक्रोसॉफ्ट के कई प्रोडक्ट लाजवाब हैं.
वैसे मुझे आश्चर्य तब हुआ जब पता चला कि ये प्रोमोशनल पार्टी पैक इबे पर बिक रहा है ! लोगों ने मिलते ही बेचने के लिए ऑनलाइन डाल दिया... इसे कहते हैं साधु के निवाले से पहले चोर के घर पार्टी होना. माइक्रोसॉफ्ट के खाते में चवन्नी नहीं गयी और लोग २०० डॉलर में धड़ल्ले से बेच रहे हैं. खैर... ! जहाँ तक हिंदी का सवाल है तो फोंट्स थोड़े बेहतर दीखते हैं और उससे ज्यादा मैं हिंदी के लिए इस्तेमाल नहीं करता. टाइप अभी भी गूगल ट्रांस्लितेरेशन से ही करता हूँ !
~Abhishek Ojha~
अब ये पोस्ट ना तो विन्डोज़ ७ का रिव्यू ही है, ना टेक्नीकल पोस्ट ही, तुलसी बाबा की आधी लाइन शीर्षक बनी है जिसका पोस्ट में कोई इस्तेमाल नहीं. अब जैसी पोस्ट बनी है वैसी की वैसी ठेले दे रहा हूँ. वैसे इलाहबाद ब्लॉगर महासम्मेलन से लौटे महानुभाव इसे किस श्रेणी में रखेंगे? सुना है बड़ी धुँआधार चर्चा हुई है उधर.
*कम्प्यूटर को डब्बा कहने की आदत उस जगह पर लगी जहाँ की आदतें छूटती नहीं !
यह तो पहले वाली की मेक अप में कोई नयी वाली का मामला लगता है -बधाई !
ReplyDeleteबधाई भेजे देते हैं
ReplyDeleteसाथ साथ ,
आपकी पहलीवाली गर्ल फ्रेंड से
परिचय भी हो गया :)
स स्नेह,
- लावण्या
साधु के निवाले से पहले चोर के घर पार्टी होना.
ReplyDelete-माईक्रोसॉफ्ट आदी है इसका. :)
वैसे उसके लिए बधाई ले लो... :) फोटो??
बधाई!
ReplyDeleteवैसे, जुये में घुसना सब जानते हैं। पर निकलते द्रौपदी को हारने और कालान्तर में महाभारत के बाद ही हैं! :)
बहुत बढ़िया, जब एक लाटरी खुल जाती है तो दूसरी का चस्का लग जाता है पर कंट्रोल करें भई ये लत बुरी होती है। कभी कभी सब चलता है।
ReplyDeleteविंडोज ७ का अच्छा रिव्यू दिया। मेरे शब्दों में "नये कपड़ों में पुरानी घरवाली"
कभी कभी फार्म भरना गुनाह नहीं है। सौगात अच्छी मिल गई है। बधाई!
ReplyDeleteमैंने आजतक कभी किस्मत के भरोशे कोई काम नही किया. कोई फोकट का फॉर्म मुझे भी मिले तो अबकी भर ही डालूंगी :-)
ReplyDeleteविस्ता के साथ मेरा अनुभव ठीक नही रहा है ..विण्डो ७ के बारे में दोस्तों की प्रतिक्रिया अच्छी है ..मैं धीरे -धीरे ओपन सोर्स की तरफ उन्मुख हो रही हूँ.
बहर हाल बधाई अच्छी किस्मत के लिए.
द्यूतक्रीडा अच्छी बात नही है.
ReplyDeleteरामराम.
Wah bhai wah.....
ReplyDeleteहमे तो भाई विंडोज विस्टा भी कुछ परेशान नहीं कर पायी.. हमें तो वो भी ठीक ही लगा था और अभी भी उसी पर काम कर रहे हैं.. देखते हैं विंडोज 7 पर काम करने को कब मिलता है.. वैसे हम भी किसी साफ्टवेयर का प्रयोग नहीं करते हैं हिंदी में लिखने के लिये, क्योंकि अगर मैं अपने कंप्यूटर पर नहीं हूं तो परेशानी हो जाती थी.. हम भी गूगल महाराज या फिर कुछ अन्य साईट पर ही निर्भर रहते हैं.. :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर,साथ मे बधाई भी, वेसे मेने आज तक जिन्दगी मै कभी भी कोई भी लाटरी नही भरी... ओर हां आज कल मे मेरे पास भी विंडिओ ७ आ रहा है, तब बतायेगे कि केसा है, वेसे मेरे बच्चे उस की बहुत तारीफ़ करते है,मेने पहले बुक किया है ओर मुझे २८ से २ तक कभी भी भेज सकते है,
ReplyDeleteआप की यह बात बहुत सुंदर लगी...
साधु के निवाले से पहले चोर के घर पार्टी होना
ओझा जी अब लग रहा होगा की कितनी गलती करते थे आप लकी प्रतियोगिताएं वाले फोर्म्स को बिना पढ़े डिलीट कर देना................चलो कोई बात नहीं.......विंडो जीतने की लाख लाख बधाई..
ReplyDeleteअरे वाह, अभिषेक जी। ये तो जल-भून उठने वाली गाथा सुनायी आपने।
ReplyDeleteहम तो वैसे जाने कब से अपनी "पुरानी" {विंडो एक्सपी} से ही काम चला रहे हैं।
हाँ, आखिरी का पंच-लाइन उस जगह के बारे में जहाँ की आदतें नहीं छूटतीं...ने मन मोह लिया।
hmmm iske kuch achche aur kharab features ke bare mein bhi likhna thode din use karne ke baad
ReplyDeleteइस टेक्नीकल पोस्ट को पढ़ते ही बड़ी इन्फियरटी कोम्प्लेक्स हो गया यार ...वैसे जो ठेले हो उसी को असल ब्लोगिंग कहते है ...
ReplyDelete" कम्प्यूटर को डब्बा कहने की आदत उस जगह पर लगी जहाँ की आदतें छूटती नहीं " कहना अतिशयोक्ति नही होगा , आपका हिंदी प्रेम अच्छा लगा
ReplyDeleteमेरे दोस्त का मेसेज आया 'साले इसी पर भाग्य की इतनी बड़ाई कर रहे हो. मैं २ महीनो से इस्तेमाल कर रहा हूँ, चाहिए तो मुझिसे ले लेते ! वैसे भी पैसे देके हिन्दुस्तान में कोई विन्डोज़ खरीदता है क्या?' खैर आपको बता दूं कि फिलहाल मैंने कैसिनो जाने का आईडिया ड्राप कर दिया है !
ReplyDeleteअरे बबुआ यी 'विंडो ७ ' का होला .हम त जब से ' Dabbabajee ' कर रहे हैं तब से एक्कै खिड़की दीखती है .आप सात सात मुफ़त माँ लाटरी माँ पायी गए ? का याई को लक्की सेवन कहते हैं ?
ReplyDeleteमस्त रहो . हम भी ट्राई कर लेंगे किसी दिन :).
वैसे वकील साहब बिन पैसे की द्युत्क्रीदा माँ का हर्ज़ है ? फरक तो तब जब हारने का रिस्क हो .
ha ha ha....computer ko dabba ham bhi kahte hain....
ReplyDeleteTakneek ka vikaas to dinodin sahuliyaton ko badhayega hi...
मैंने विन्डोज़ ७ का बीटा वर्सन यूस किया था (मुफ्त था!) अच्छा लगा. विस्टा और ७ वही फर्क है जो की हाथी और घोडे का है. यार पर मंहगा बहुत है. पाइरेसी एक्सिस्ट्स फॉर अ रिसन. अपने विस्टा होम प्रीमियम से ७ अल्टीमेट पर अपग्रेड करने का अलमोस्ट ११,००० INR मांग रहा है माइक्रोसॉफ्ट !
ReplyDeleteअरे मित्र! इस छोटी सी बात से भाग्य को न जोडो. आपका भाग्य ये है कि आप इतना रोचक लिखते हैं, चाहे विंडोज हो या गांधी.
ReplyDeleteभाग्य इतना बढिया है तो आजमाकर ज़रूर देखना चाहिए.
ReplyDeleteहम भी इस बार बेटा और कम्युनिटी प्रीव्यू से बचे रहे और असली माल आने पर ही प्रयोग किया. विस्टा पर काम नहीं किया था इसलिए "प्रोग्राम हटायें" जैसे विकल्प ढून्श्ने में थोड़ी तकलीफ हुई. बाकी सब तो ठीक ही है अब तक. अलबत्ता, नए कार्यक्रम इंस्टाल करने में अक्सर इन्कम्पैतिबिलिती की चेतावनी दीख पड़ती है.
हमें तो लगता है कि एकपत्नीव्रत ही श्रेयस्कर है। गर्लफ्रेंड पहली वाली ही सही होती है, अगर जँचनी बंद हो गई हो तो थोड़ा रंग रोगन हो ले, लेकिन होनी वही चहिये....
ReplyDeleteबधाई जी आपके बिगिनर्स लक को । ऐसे ही आप नये नये इनाम जीते और हमें बतायें । मुझे तो शुरू से ही माइक्रोसॉफ्ट के प्रॉडक्ट अच्छे लगते हैं और यूजर फ्रेंडली भी ।
ReplyDeleteबधाई बिगिनर्स लक के लिये ।
ReplyDeleteविण्डोज ७ का इस्तेमाल करने का मन हो रहा है अब तो ।
बिगनर्स लक मुबारक हो।
ReplyDeleteचलिए इसी बहाने नये नये फीचर्स तो पता चले। वैसे असली जानकारी अपने हाथ लगने पर ही होगी।
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और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।