जब से स्वाइन फ्लू ने महामारी का रूप लिया सूअर परेशान ! आनन फानन में सूअर महासभा की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गयी. तमाम तरह के सुरक्षा साधनों की समीक्षा की गयी.
एक सूअर बोल उठा 'ये सब मानव जाति की चाल है हमें बदनाम करने की. ये फ्लू-व्लू तो हमारे अन्दर सदियों से चला आ रहा है. ये हमारा आतंरिक मामला है. किसी का भी हस्तक्षेप बर्दास्त नहीं किया जाएगा. हम सदियों से मनुष्य के लिए जान देते रहे लेकिन मनुष्य को कभी फ्लू नहीं दिया.'
दुसरे ने कहा 'बिलकुल सही बात है, ये दवाई बेचने वाले कंपनियों की साजिश है. कल ही मैंने सिन्डिया टीवी पर देखा है !'
उसी में एक ने कहा 'अबे धीरे बोलो कहीं किसी को खबर लग गयी कि एक साथ इतने सूअर एक जगह हैं तो एक और जीनोसाइड हो जाएगा. इंसान को ज्यादा दिमाग-विमाग तो होता नहीं है. हम बात करे या छींके इंसान को तो सब एक ही लगता है'.
ये फैसला हुआ कि जो भी बोलना है धीरे-धीरे. अब आदमी का कोई भरोसा तो हैं नहीं कब सनक जाय. 'हाँ तो मैं कह रहा था कि ये हमें बदनाम करने कि साजिश है. वाइरस खुद इंसानों ने बनाया है. हमारे अन्दर तो पहले से ही ऐसे वाइरस हैं. हमें कहाँ कुछ होता है? ये नया बनाकर हमें भी मार रहे हैं और खुद भी मर रहे हैं.'
'क्या बात कर रहे हो?'
'और नहीं तो क्या? सिन्डिया टीवी वाले कभी गलत नहीं दिखाते. और-तो-और हमें बदनाम भी किया जा रहा है. कई ऐसे जगहों पर भी स्वाइन फ्लू हुआ है जहाँ सूअर ही नहीं है. आदमी से आदमी में ही फ़ैल रहा है. और आदमी से सूअर में. ये अलग बात है कि हम झेल जाते हैं और जल्दी ही इसके भी अनुकूल हो जायेंगे. अरे ये वाइरस तो प्रयोगशाला में बना है. इसमें भला हमारा क्या दोष? हम फ्लू के विक्टिम है स्पोंसर नहीं.' खुफिया विभाग वाले ने ये अन्दर की बात बताई.
'अबे तू पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी वालों से मिला था क्या? वो भी आजकल रोज यही कह रहे हैं हम टेररिज्म के विक्टिम हैं स्पांसर नहीं. अरे मैं तो कहता हूँ कि ये दुसरे जानवरों कि साजिश है. हमारी शांतिप्रियता उनसे सहन नहीं होती.'
'नहीं-नहीं उनकी साजिश से क्या होगा. मुझे पक्का पता है आदमी बस अपने मन की करता है. मुझे तो ये ओसामा-बिन-लादेन का किया लगता है. सिन्डिया टीवी पर स्पेशल रिपोर्ट आने वाली है. वो क्या है कि ओसामा इस बार दिखाना चाहता है कि वो केवल उन्ही का दुश्मन है जो सूअर खाते हैं.' सिन्डिया टीवी देखने वाला एक बार फिर बोल पड़ा.
'लेकिन ये बीमारी खाने से तो फैलती नहीं? मैं तो कहता हूँ कि स्वाइन फ्लू को छोडो और इस साले सिन्डिया टीवी के भक्त को पीटते हैं. साला कुछ भी नमक मिर्च लगा देखता है. और हमें भी गुमराह कर रहा है. और सिन्डिया टीवी वाले कुछ दिखाने के पहले ये तय करते हैं क्या कि दिखाई जा रही चीज से कुछ भी सेंस ना बने?'
सारे सूअर सिन्डिया टीवी के भक्त पर टूट पड़े. अब भारतीय जनता तो थे नहीं जो कोई कुछ भी दिखाए देखते रहते. उन्हें तो सुनना भी पसंद नहीं आया.
इधर आदमी को खबर लगी कि एक साथ कई सूअर आपस में लड़ रहे हैं. और इस तरह एक और जीनोसाइड हो गया.
पोस्ट-पब्लिशोपरांत अपडेट बनाम 'ब्रेकिंग न्यूज़': अभी-अभी हमारे वरिष्ठ संवाददाता से खबर मिली है कि सूअरों के बढ़ते आन्दोलन को देखते हुए अफगानिस्तान में सूअर महासभा के एकमात्र सूअर सदस्य को नजर बंद कर दिया गया है. विस्तृत खबर आप यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं.
~Abhishek Ojha~
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*सिन्डिया टीवी के भक्तों से क्षमा याचना सहित. ऐसा ही 'खबर' के नाम पर कुछ भी तो दिखा देते हैं !
भीतर का सारा दबा हुआ विचार निकल गया । सुअर के बहाने आदमी की बात । आभार ।
ReplyDeleteअलग सोच, अलग बात, अच्छी लगी.
ReplyDeleteसूअर के बहानें बढिया पोस्ट .
ReplyDeleteजे हुई न बात...सुअर महासभा...और इत्ती सारी बात.
ReplyDeleteबहुत सही। शाब्बाश। मज़ा आ गया। सिन्डिया टीवी वाले ही सूअरवाड़ा फैला रहे हैं। और भी न जाने कौन कौन से वाइरस...कई बीमारियों पर तीर छोड़ दिया महाराज आपने...
ReplyDelete'लेकिन ये बीमारी खाने से तो फैलती नहीं? मैं तो कहता हूँ कि स्वाइन फ्लू को छोडो और इस साले सिन्डिया टीवी के भक्त को पीटते हैं. साला कुछ भी नमक मिर्च लगा देखता है. और हमें भी गुमराह कर रहा है.
ReplyDeleteबडी समझदारी की बात है. चोर को क्या चोर की मा को मारो.:)
रामराम.
खबरें या तो अखबार में या फिर नेट पर। ये कम से कम चिल्लाते तो नहीं!
ReplyDeleteदेर आये दुरुस्त आये ..वाह!!
ReplyDeleteओर अभी अभी हमारे संवाददाता से खबर मिली हे की सुअरों के बड़ते आन्दोलन को देखते हुए अफगानिस्तान में सूअर महासभा के एकमात्र सूअर सदस्य को नजर बंद कर दिया हे.
ReplyDeletehttp://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/8038368.stm
http://www.reuters.com/article/lifestyleMolt/idUSTRE5444XQ20090505
"'खबर' के नाम पर कुछ भी तो दिखा देते हैं !"
ReplyDeleteha ha ha ha ha
अच्छा व्यंग्य
नमस्कार स्वीकार करें
क्या कहे भाई....वेजिटेरियन होकर ऐसी बात लिखते हो...चलो अब छिडको गंगाजल कम्पूटर पे.....
ReplyDeleteक्या बात है मिंया अंदर की बात भी नेट पर....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .सत्य वचन कह दिए ..अब तो "एस "वर्ड देख कर ही छींक रोक लेते हैं हम :)
ReplyDeleteये सुअर नही सु वर है किसी सिरफ़िरे वकील के सुवरो को उकसा दिया तो पंगा पै जायेगा
ReplyDeleteआप की बात एकदम सही है....
ReplyDeleteआप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
मजा आ गया अभिषेक भाई !
ReplyDeletemust say, you have a very fertile imagination ..
warm rgds,
- L
दुनिया के सुअरों एक हो जाओ!!!!!!
ReplyDeleteअच्छा वाराह चिंतन !
ReplyDeleteवैसे सुअरों की चिन्ताएं
ReplyDeleteवाजिब है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Suaro ke bahaane apne kafi kuchh kah diya...
ReplyDeleteहमें यह कहना है कि यह महासभा हमारे घर के पास हुई थी। उसके बाद सुकुरू और उसके गदेला गण टूट पड़े परिपक्व सूअरों पर।
ReplyDeleteअब बड़के सूअर दिख नहीं रहे हैं। :)
बहुत ही सही महासभा जो सुअरो ने लगाई..........इसी बहाने भडास निकल गई ......... एक सार्थक पोस्ट
ReplyDeletekamaal ka post hai...exceptional sense of humour
ReplyDeletewww.pyasasajal.blogspot.com
हमसे पूछा गया कि; "आपका क्या कहना है?"
ReplyDeleteहमारा यही कहना है कि कमाल कर दिए हो लिखकर.
hum confooz ho gaya hoon ki yahan suar kaun hai. Ee sasura suar, suar hai ya suaro ko suaro ki tarah kuch suaro ko bachane liye, marne wale kuch suar, susure?
ReplyDeleteसामयिक व्यंग्य की बेहतरीन प्रस्तुति.... वाह.. ऒझा जी
ReplyDeleteदुनिया के खात्मे की खबर भी यह सिन्डिया टीवी वाले ही लाये होंगे शायद!
ReplyDeleteसुअर के बहाने....अच्छा व्यंग्य...
ReplyDeleteआप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
मेरी ग़ज़ल/प्रसन्नवदनचतुर्वेदी