(एक मिनी पोस्ट)
'हेल्लो !'
'हेल्लो ! हैप्पी बर्थडे.'
'थैंक्स.'
'ये बताओ पार्टी कहाँ है?'
'कैसी पार्टी बे? तुम तो कभी देते नहीं हो? अपना जन्म-दिन तक तो बताया नहीं तुमने !'
'अब बता भी दूँ तो भरोसा तो करोगे नहीं !'
'मतलब? इसमें भरोसा ना करने वाली कौन सी बात है? '
'अरे भाई सुन तो। मैंने अपनी माँ से अपना जन्म-दिन पूछा तो उसने बताया कि उसे तारीख तो याद नहीं ! इतना बताया कि "उस दिन बारिश बहुत हुई थी और उसी दिन रामखेलावन की भैंस को पाड़ा हुआ था। और बुधन की गैया उसी दिन कुँआ में गिर गई थी बड़ी मुश्किल से उस बरसात में निकल पायी थी।" अब तुम्ही बताओ मेरी माँ ही जब इतना बता पायी तो अब क्या मैं रामखेलावन और बुधन से जाकर पाड़े के जन्म और गाय के गिरने का दिन पूछूँ? हाँ टाइम के बारे में माँ ने बताया कि उसी समय तीन बजियवा पसिंजर गई थी, अब भारतीय रेल का समय तो तुम जानते ही हो ! '
'साले बकर मत करो ! ... पार्टी जब मर्जी हो आ जाओ लेकिन एक दिन तो साल का अपना भी फिक्स कर ही लो बे अब... कम से कम वही जो सर्टिफिकेट में लिखा है।'
'किसी भी दिन कैसे माना ले बे? अच्छा रुको इस बार गाँव गया तो एक बार फिर रामखेलावन से पता करता हूँ, शायद याद आ जाय !'
और इस तरह उन्होंने एक और एकतरफा पार्टी ले ली !
इस सेंट बोरिसीय के स्कूल के बारे में तो आप जान ही चुके हैं, बड़े निराले अंदाज का इंसान है !
~Abhishek Ojha~
--
आजकल मार्केट की उथल-पुथल, नौकरी और पढ़ाई के बीच इस मिनी-माइक्रो-नैनो से बड़ी पोस्ट सम्भव नहीं लगती.
'हेल्लो !'
'हेल्लो ! हैप्पी बर्थडे.'
'थैंक्स.'
'ये बताओ पार्टी कहाँ है?'
'कैसी पार्टी बे? तुम तो कभी देते नहीं हो? अपना जन्म-दिन तक तो बताया नहीं तुमने !'
'अब बता भी दूँ तो भरोसा तो करोगे नहीं !'
'मतलब? इसमें भरोसा ना करने वाली कौन सी बात है? '
'अरे भाई सुन तो। मैंने अपनी माँ से अपना जन्म-दिन पूछा तो उसने बताया कि उसे तारीख तो याद नहीं ! इतना बताया कि "उस दिन बारिश बहुत हुई थी और उसी दिन रामखेलावन की भैंस को पाड़ा हुआ था। और बुधन की गैया उसी दिन कुँआ में गिर गई थी बड़ी मुश्किल से उस बरसात में निकल पायी थी।" अब तुम्ही बताओ मेरी माँ ही जब इतना बता पायी तो अब क्या मैं रामखेलावन और बुधन से जाकर पाड़े के जन्म और गाय के गिरने का दिन पूछूँ? हाँ टाइम के बारे में माँ ने बताया कि उसी समय तीन बजियवा पसिंजर गई थी, अब भारतीय रेल का समय तो तुम जानते ही हो ! '
'साले बकर मत करो ! ... पार्टी जब मर्जी हो आ जाओ लेकिन एक दिन तो साल का अपना भी फिक्स कर ही लो बे अब... कम से कम वही जो सर्टिफिकेट में लिखा है।'
'किसी भी दिन कैसे माना ले बे? अच्छा रुको इस बार गाँव गया तो एक बार फिर रामखेलावन से पता करता हूँ, शायद याद आ जाय !'
और इस तरह उन्होंने एक और एकतरफा पार्टी ले ली !
इस सेंट बोरिसीय के स्कूल के बारे में तो आप जान ही चुके हैं, बड़े निराले अंदाज का इंसान है !
~Abhishek Ojha~
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आजकल मार्केट की उथल-पुथल, नौकरी और पढ़ाई के बीच इस मिनी-माइक्रो-नैनो से बड़ी पोस्ट सम्भव नहीं लगती.
जन्मदिन की हार्दिक बधाई, खैर पार्टी तो देते ही रहना चाहिए | कुछ नहीं तो यही सोचकर की ऊपर स्वर्ग में बदले की पार्टियां मिलेंगी |
ReplyDeleteफ़िर भी जन्मदिन की बधाई, जब भी वो आए।
ReplyDeleteजनाब, पार्टी न देनी तो न दो मगर बहाने के बहाने भारतीय रेल की समय सारणी का मज़ाक तो न उडाएं ;)
ReplyDeleteमज़ा आ गया पढ़कर - आगे भी ठेठ देसी किस्सों का इंतज़ार रहेगा.
कवि गुलकंद जी के यहाँ जन्मदिन की पार्टी हुई। दूसरे दिन एक मित्र मिले, पूछा-कल तीन बार तुम्हारे घर चक्कर काटे, कहाँ थे?
ReplyDeleteजवाब - गुलकंद जी के जन्मदिन की पार्टी में।
अरे! अभी पिछले महिने तो मैं भी उन के जन्मदिन की पार्टी में था।
जन्मदिन? जब जी चाहे मना लो।
जन्मदिवस की कोटि कोटि शुभकामनाए... मेसेज कर नही पाया.. फ़ोन में कुछ गड़बड़ है..
ReplyDeleteहा! हा! मेरी आजी उम्र पूछने पर कहती थीं - असाढै असाढ़ गिन लो! अब कौन से असाढ़ से यह पता नहीं!
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत शुभकामनाए और बधाई !
ReplyDeleteआपने जो लिखा ये हमारे ग्रामीण जीवन की सहज बातें हैं !
भले लोगो को मजाक लगती हों पर हैं सही !
बिल्कुल आनंद आ गया छुट्टी के दिन !
आफिस की परेशानियों का जिक्र आपने किया ,
सो वाकई समय तो मुझे और भी कष्टकर दिखाई दे रहा है !
पर चलिए आपके हमारे पास ब्लागिंग में समय काटने का साधन तो है ही ! :)
वैसे भी आशावान रहे तो क्या बुराई है ?
रामराम !
जन्मदिन की बहुत शुभकामनाए और बधाई !
ReplyDeletehappy birthday sir
ReplyDeleteलोग पार्टी से बचने के बहाने गढ़ लेते है ओर ऐसे अंदाज में गढ़ते है की सामने वाला भी कहता है .रहने दो.....अरे रहने दो....आपका जन्मदिन है तो ढेरो बधाई .नही है तो कोई तारीख फिक्स करके सूचना दे
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक बधाई,मुझे सिर्फ़ इतना पता है आप खाना अच्छा बनाते हैं ..बाकि कोई बहाना नही चलेगा
ReplyDeleteजन्म दिन की ढेरो शुभकामनाये! हप्पी बर्थ डे.
ReplyDeleteअभिषेक जी, ये इतनी बधाइयाँ समेटे जा रहे हैं, लेकिन मैं ये तय नहीं कर पाया कि मुख्यतः जन्मदिन की खबर उस सेण्ट बोरिस स्कूल वाले मित्र के बहाने देना था यह उनका यह परिचय देने के लिए गढ़ा गया किस्सा भर था।
ReplyDeleteफिलहाल बधाई मेरी ओर से भी... आप ऐसे ही हमारी मिट्टी की खुशबू बाँटते रहें।
हमारा तो यही कहना है जन्मदिन की बधाई स्वीकार कर लो। इसके बाद मस्त हो जाओ। चाय हम अपने आप पी ले रहे हैं। शुभकामनायें।
ReplyDeleteचलिये आप को जन्मदिन की बधाई, ओर पार्टी भी अदल बदल लेते है, यानि आज हमारी बीबी का जन्मदिन भी है, उस का केक मे तुमहारी तरफ़ से समझ कर खा लेता हू, ओर तुम अपना केक हमारी तरफ़ से समझ कर खा लेना.
ReplyDeleteवेसे हम दोनो अपना जन्मदिन नही मनाते, क्योकि मेरा जन्म दिन तो एक नही बिलकुल तुम्हारी कहानी के हिसाब से है, अब कोन सा मनाऊ???
फ़िर से जन्म दिन की बधाई
अभिषेक भाई
ReplyDeleteउथल-पुथल, नौकरी और पढ़ाई के बीच आपने मिनी-माइक्रो- नैनो पोस्ट लिख डाली यह भी कम नही बहरहाल यह बताईये की जन्मदिन की पार्टी कब दे रहे हैं .
जन्म दिन पर लिखी आपकी पोस्ट किसी साहित्य से कम नहीं है. ओझा भाई को बधाई. डॉ. अनुराग जी के ब्लॉग से आप तक पहुंचा सच मानिये आप लोंगों से जलन होती है. सोचा टेप दूं आप का पोस्ट अपने आने वाले जन्मदिन पर फिर लगा गुरु कभी कहीं भाई जी लोग पकडे न तो दौड़ा दौड़ा के मरेंगे, कहेंगे की बलिया का होके चोरी करता है. वेसे भी किसी महँ साहित्य चोर ने कहा है उसकी चोरी करो जो दुनिया में नहीं है अब कबीर थोड़े मारने आएँगे. १००० से ऊपर दोहे लिखे उन्होंने दो चार उडा लिए तो क्या फर्क पड़ता है. एक बार फिर अच्छे पोस्ट के लिए धन्यबाद .
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteparty dijiye..chahe kisi bhi din... Happy Birthday :)
ReplyDeleteजन्म दिन की बधाई तो बाद में, पहले यह शोक कि उस पार्टी में हम क्यों न हुए।
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाई!!!
ReplyDeleteफ़िर से!!!!!!
अरे बाप रे, बहुत लेट पंहुचा. जो भी हो अगर वाकई में जन्मदिन है तो ढेरों बधाइयाँ, अगर नहीं है तो रिटर्न कर दीजियेगा. वैसे यह रहस्य अभी खुलना बाकी है, की दस्तावेजों में डीओबी क्या,किसने और कितनी सोच कर लिखवाई थी?
ReplyDelete
ReplyDeleteतुम्हारी टिप्पणी देख, यह पोस्ट दुबारा पढ़ रहा हूँ । एकदम्मैं बिसर गया था ।
वाह, क्या समानता है, एक खूबसूरत इत्तेफ़ाक़ !