1.वो बारिश:
पत्तों से छन कर जो बूंदें
तुम्हारे गालों पर टपक पड़ी थी
आज तक मुझे भिगो रही हैं !
2.खोज:
तुम ढूंढ़ती रही...
बड़ी महफिलों में जो प्यार
वो आजकल सड़कों पर रहता है!
3.गरीबी:
मेरे कदम जो लड़खडाए भूख से,
- पी के आया है साला.
तुम जो लुढ़के नशे में,
- यारों की महफ़िल थी !
4.पलकें:
उनकी याद में जो खुली रह जाती हैं पलकें,
वो कहते हैं के खुली आंख सोने की आदत है !
5.मोबाइल:
वो मुफ्त के मिले मिनट जाया करते रहे -
हम समझ बैठे की उन्हें हमसे मुहब्बत है !
6.बॉयफ्रेंड:
उन्हें चाहिए था बाईक और ड्राईवर,
हम मुफ्त में मजनूं बने रहे !
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यूँही २ मिनट में लिखा गया बकवास है, मुझे ख़ुद अच्छा नहीं लगा आपको क्या लगेगा, इसलिए पहले ही क्षमा मांग लेता हूँ ! पर बकवास लिखने के लिए ही तो ब्लॉग है...
बात तो सही लिखी है आपने ..
ReplyDeleteदो मिनट में ऐसा लिखा है तो फ़ुरसत में क्या लिखोगे भाई, :-)
ReplyDeleteवो मुफ्त के मिले मिनट जाया करते रहे -
हम समझ बैठे की उन्हें हमसे मुहब्बत है !
और इनकमिंग के पैसे भी भरते रहे :-)
साभार,
हद करते हो भाई!!!
ReplyDeleteगणित छोड़ यह लफड़े..हम क्या दुकान बंद कर दें..जब दो दो मिनट में ऐसा रचोगे..तो घंटा भर बैठ गये तो हम जैसे तो तुरंत नमस्ते हो लेंगे.
बढ़िया है। दो मिनट की मैगी पोस्ट!
ReplyDeleteउन्हें चाहिए था बाईक और ड्राईवर,
ReplyDeleteहम मुफ्त में मजनूं बने रहे !
भाई हम भी ड्राईविंग जानते है और आजकल बेकार हैं !
कोई जगह खाली हो तो .....? :)
खैर मजाक बंद , सुन्दरतम और आनंद दायक ! शुभकामनाएं !
मस्त लाइना...
ReplyDeleteबढ़िया है .कभी कभी यूँ भी बहना अच्छा लगता है अपने दिल में चलते विचारों के साथ :)
ReplyDeleteतुम ढूंढ़ती रही...
ReplyDeleteबड़ी महफिलों में जो प्यार
वो आजकल सड़कों पर रहता है!
बहुत अच्छे साहब जी ! अब माजरा समझ आया !
जो अंतिम बात लिखी है बकवास वाली वही बकवास है बाकि में तो कई मतलब छुपे है. अभिषेक जी पाठकों को भी फैसला सुनाने का मौका दिया कीजिए. देख लीजिए पाठकों को कैसा लगा.
ReplyDeleteकमाल कर दिया अभिषेक भाई। आपने इन छोटी छोटी क्षणिकाओं में जीवन के कठिन सत्य उतार कर रख दिये हैं।
ReplyDeleteवो कहते है यूँ ही लिखा है .....हम इस इन्तजार में थे कि वो कब दिल का हाल लिखेगे ?सच कहूँ तो मुझे तो तुम्हारी बाकी ढेर सारी पोस्टो से बहुत अच्छा लगा ....ऐसा लगा जैसे अभिषेक ..असली अभिषेक नजर सा आया ...एक तुमने जो माँ के लिए बकलम ख़ुद में लिखा था आज तक झंझोड़ता है मुझे
ReplyDelete"यूँ ही… कुछ भी" बहुत मस्त है। अगली बार फ़ुर्सत से लिखना।
ReplyDeleteउन्हें चाहिए था बाईक और ड्राईवर,
ReplyDeleteहम मुफ्त में मजनूं बने रहे !
किस ने कहा था मियां मजनू बनाने को,
अब मुंडु भी बनो.
बहुत सुन्दर.
धन्यवाद
दो पंक्तियां आपकी नज्र करता हूं
ReplyDeleteकि
देख शर्मनाक हो गई
ज़िंदगी मज़ाक हो गई
मौत ने इशारा किया
ज़िंदगी हलाक़ हो गई
antim teen ki soch achchi lagi, aaj ke yug mein bahuton ke sath aisa hota rahta hai.
ReplyDeleteबढ़िया! आई लाइक्ड द इंस्टेण्ट (मैगी) नूडल्स!:)
ReplyDeleteवो मुफ्त के मिले मिनट जाया करते रहे -
ReplyDeleteहम समझ बैठे की उन्हें हमसे मुहब्बत है !
ye batao bhaiya..tumhari haalat par hanse ki roye.n
बहुत सुंदर! अभिषेक भाई, आगे और भी पढने की इच्छा है!
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ "" कृपा बनाए रखें /
ReplyDeleteगरीबी:
ReplyDeleteमेरे कदम जो लड़खडाए भूख से,
- पी के आया है साला.
तुम जो लुढ़के नशे में,
- यारों की महफ़िल थी !
हकीकत लिखा आपने.. यह एक अच्छी लगी
तो बस आप दो मिनट इन लाइनों और उसके बाद उस पर पाठकों की टीप के लिए निकाल लिया करें. और हाँ कई शब्द और हैं जिन पर दो मिनट सोचें. प्रतीक्षा सभी को रहेगी.
ReplyDeletebahut accha likha hai aapne. kam shabdon me gahre maayne.ise bakwas kahna nainsafi hai
ReplyDeletemujhe bahut hi pyaare lage...aapke 2 minute ke vichaar....imaandaari se kahu to shayad aap sach likh gaye aur phir use chupaane ka man kiya aapka.....kintu sachhi samvednayen hamesha hi itni hi pyaari lagti hai....
ReplyDeleteउन्हें चाहिए था बाईक और ड्राईवर,
ReplyDeleteहम मुफ्त में मजनूं बने रहे !
aapke 2 minute mein baat hai
bahut sahi vo bhi furasat me badhai .
ReplyDeleteतुम ढूंढ़ती रही...
ReplyDeleteबड़ी महफिलों में जो प्यार
वो आजकल सड़कों पर रहता है!
yeh bakwaas bahut pasand aayi ojha ji, jite raho aur likhte raho, yeh bakwaas ji aajkal arth liye hoti hai.
क्या उवाचा है भाई। मजा आ गया। जारी रखिए। जमाए रहिए।
ReplyDeleteअच्छी क्षणिकाएं। पसंद आयीं।
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