यूपी बिहार के लोग बड़े धार्मिक होते हैं... आप कुम्भ में देख लीजिये सबसे ज्यादा लोग कहाँ से आते हैं? मुझे आंकड़े तो नहीं पता पर जानता हूँ यूपी-बिहार ही टॉप करेगा. किसी भी 'आम आदमी' से बात कर लीजिये ये गारंटी है कि पाँच मिनट के अन्दर भगवान का नाम आना ही है ! फोकट की चीज़ है... कर लो प्रयोग जैसे मर्जी. लूट सको तो लूट लो... राम नाम की लूट. इसका भरपूर पालन होता है भाई.
कुछ भी हुआ, ठोंक दो भगवान की मर्जी पर. कुछ बड़े ही प्रचलित किस्से और वाक्य भी लोग इस्तेमाल करते हैं... जैसे 'लक्ष्मी उल्लूओं के पास ही रहती हैं...', 'आत्मा अमर है इत्यादि'.
आदमी जितना 'आम' होता जाता है ये उतना ही बढ़ता जाता है... ठेठ गाँव में जाइए, खेती-बारी की तो चर्चा चालु ही होती है... भगवान भरोसे ! और ऐसे हर गंवई चौपाल में चर्चा भले ही कुछ भी हो निष्कर्ष तो ऐसे ही होते हैं...
'फलनवां के दिन बड़े अच्छे हैं... अरे भगवान जिसको देता है...'
'भगवान ने भी क्या दिन दिखाए बेचारे को...'
'करने दो भाई अपनी मर्जी का, एक दिन तो सबको जाना है उनके दरबार में...'
'अब भगवान के आगे किसकी चलती है...'
वैसे ये अच्छा भी है... कई लोगों के पास ये ना हो तो बेचारे मर ही जाय, भगवान की इच्छा मान कर कुछ भी झेल जाते हैं लोग... जी हाँ कुछ भी. फिर दो शून्य की क्या कीमत? वो भी जब गंगा मैया के नाम पर हो तो.
भगवान के साथ किस्मत भी बड़े जोर पर चलती है... भगवान और किस्मत कहीं भी एक दुसरे की जगह ले लेते हैं...
'अरे क्या किस्मत है भाई... बड़ी उपरवार कमाई है, भगवान ने तो दिन ही फेर दिए... '
ये ऊपर वाली कमाई तो भगवान के हिस्से में जानी ही है, नीचे वाली भले अपने नाम कर लें... उसे भी अपने नाम करने में थोडी दिक्कत ही होती है... अरे भाई सब उन्हीं का तो है. और वैसे भी ऊपर और नीचे में कोई चीन की दीवार तो है नहीं... नीचे वाली तो होती ही रहती है पता नहीं कब (भगवान और किस्मत का खेल) कमाई ऊपर वाली हो जाय !
अब किस्मत हो, भगवान हो ! जो कुछ भी हो ! ईमानदार आदमी की तो हर जगह इज्जत होती है...
'अरे बड़ा अच्छा अधिकारी आया है... फ़टाफ़ट काम करता है, मजाल है की काम रुक जाय. सबको टाइट कर के रखता है... अब थोड़ा-बहुत तो हर जगह देना ही पड़ता है, अब भाई भगवान ने उसको ऐसी पदवी दिला दी है तो लेना तो पड़ेगा ही ना... पर काम तो करता है.' (लेना तो पड़ेगा ही ! उफ़ क्या हसीन मज़बूरी है)
'हाँ भाई... उ ससुरा पहिले वाला ना ख़ुद पैसा ले ना किसी को लेने दे तो काम कहाँ से होगा?'
'और उ ससुर तो हदे किए थे... पैस्वो ले लेता था और कामो नहीं... यही अच्छा है भाई बड़ा ईमानदार है.'
(हम इ सब सुन रहे थे और इधर चौपाल में बैठे एक बिलागर बंधू बोल पड़े: अब गंगा मैया वाली बतवा पे आओगे... यहीं पे दिन भर नहीं बैठना है, कई जगह टिपियाना है और कुछ जम गया तो ठेल भी आयेंगे एक पोस्ट! इ बिजली का कउनो भरोसा नहीं है... मौसम भी गडबडा रहा है भगवान को भी अभी...)
'अरे हाँ ससुर हम भूल ही गए... उ गुप्ता जी हैं न अपने... अरे वही जेइ बाबू, अरे भगवान ने का किस्मत दी है भइया इस बार तो गंगा मैया ने दिन ही फेर दिए उनके'
'भइया इंजिनियर तो सरकारी ही कामात है... अब इ तो बेचारा बड़ा ईमानदार है! इ तो दुइयेठो शुन्ना (दो शून्य) जोड़ा था लेकिन ऊपर तक जाते-जाते...सुने हैं की कागज जोड़ना पड़ गया !'
'अरे लेकिन शुन्ना बढ़ा है तो इसकी भी तो कमाई बढ़ी होगी?'
'हाँ हिस्सा तो मिलेगा ही... गंगा मैया के नाम पे बेईमानी कौन करेगा भाई !'
'नया पन्ना जोड़ना पडा?... तभी बंगला बनाने को जगह देख रहे थे...'
चलो भइया जैसे गंगा मैया ने उनके दिन फेरे वैसे सबके फेर दें !
अब इतने में सब निकल गए और हमें ये गंगा मैया के नाम पर पन्ना जोड़ने की बात ही नहीं समझ आई ! हमने एक चाचा को पकड़ लिया... अरे वही जिनसे एक बार और मिला था. चाचा ने समझाया देखो बबुआ, तुम लोग इ सब का जानोगे... बाढ़ आई तो तुम्हारे टीवी वाले आके खूब नौटंकी रिकार्ड किए और तुम बिलागर लोग भी खूब बिलाग रंगे. लेकिन इसी बीच हमारे गाँव के पास वाले बाँध पर कटाव चालु हो गया... और जेइ बाबू जांच करने गए तो बोले की पत्थर और बालू भर के बोरी डलवाना पड़ेगा. उन्होंने १०० ट्रक का हिसाब बैठाया था, ईमानदार ठहरे बस २ शून्य जोड़ दिए कागज पे कर दिए... १००००. उनके और ठीकेदार के बीच का मामला बना... अब जब कागज ऊपर गया तो चीफ इंजिनियर साहब ने कहा 'अरे भाई तुम ईमानदार ही रहोगे... अरे बहती गंगा है भाई, गंगा मैया के नाम पर २ शुन्य और जोड़ दो... क्या फर्क पड़ना है, अब गंगा मैया तो कितना भी बहा ले जायेंगी कौन रिकॉर्ड रखेगा हम लोग आपस में देख लेंगे' अब कागज पास होने को ऊपर बढ़ता गया और गंगा मैया के नाम पर २ और शून्य जुड़ते गए... सुना है इतने जुड़े की कागज जोड़ना पड़ा.
और जहाँ भी जाए हिस्सा तो जेइ बाबू को मिलना ही था... आख़िर सबसे नीचे के आदमी हैं, और आईडिया भी तो उन्ही का था.
'पर चाचा आया कितना ट्रक?'
'बबुआ, एक दिन तुम्हारे अखबार, टीवी वालों के सामने एक ट्रक आया तो था पर सुना की शाम को जेइ बाबू के नए वाले घर के लिए चला गया.'
'और कटाव?'
'कटाव इ का रोकेंगे बेटा, उ तो सब भगवान की इच्छा है... गंगा मैया जिसको देना देके फिर सीधी हो गई...'
'पर ये सब अखबार में नहीं आया?'
'अरे कमाल करते हो, कटाव हो रहा था... जलमग्न कहाँ हुआ कुछ... कोई मरा भी नहीं... बस २-४ घर बह गए, तो उनको कौन पूछता है... टीवी में ये सब दिखाने से अच्छा पिर्लय नहीं दिखाएँगे? अरे ये सब तो गंगा मैया की माया है !'
जय हो गंगा मैया की !
आजकल ब्लॉग भ्रमण नहीं हो पा रहा है... आप सब के पोस्ट रीडर में उसी गति से बढ़ रहे हैं जिस गति से 'लिहमैन ब्रदर्स' के स्टॉक गिरे थे. इस ग्राफ को देख कर आप ये रेट निकालिए... तब तक मैं चचा की थोडी और बातें सुनता हूँ ! 'लिहमैन ब्रदर्स' का हश्र जो हुआ वो मैं नहीं होने दूंगा, और पोस्ट पढ़े जायेंगे... वैसे रिचर्ड फूल्ड को भी कहाँ लगा था की ये हश्र होगा :-)
~Abhishek Ojha~
चचा तो एकदम मस्त निकले और लीमन भाईयों को छोडो और वकोविया के बारे में कुछ बताओ, कुछ स्टाक खरीद लिये जायें क्या?
ReplyDeleteवाह चचा..सही है.जय हो गंगा मैया की !
ReplyDeleteकाफी रोचक लेख।
ReplyDeleteभारतीयोँ के इसी व्यवहार से उन्हेँ फ़ेटेलिस्टीक कहा जाता है
ReplyDeleteऔर लीहमैन ब्रदर्स से बात को मिलाया वो बहुत मन भाया अभिषेक भाई,
कैसे कटे दिन ? बढिया ना ? :)
स्नेह,
- लावण्या
यह प्रदेश ही शून्य है और सबके आगे शून्य जोड़ता जाता है!
ReplyDeleteफूल्डजी के लिंक से कॉर्पोरेट रेपेसिटी का शब्द मिला! धन्यवाद।
गंगा का कटाव न हुआ मियां जी का पजामा हो गया। जो आता है 2 इंच काट जाता है।
ReplyDeleteअच्छा बुरा सब उसी के नाम है, अपना कुछ नहीं। इस से ऊँचे ईश्वर विश्वासी कहाँ मिलेंगे दुनियाँ में?
ReplyDeleteबाढ़ की विभीषिका तो बरसात में दिखाई देती है। लेकिन यह विभीषिका पूरे साल अनवरत चलती रहती है। भ्रष्टाचार शिष्टाचार हो गया है।
पढ़कर आनंद आ गया . जय हो गंगा मैया की . धन्यवाद्.
ReplyDeleteबढ़िया बांचे है । :)
ReplyDeleteतो छुट्टियाँ बढ़िया कट रही है ।
sahi drishtant diya is loot ka chacha ke madhyam se :)
ReplyDeleteजयहो गंगा मैया की ! बेहतरीन सिक्सर है जी !
ReplyDeleteअति रोचकता लिए हुए है ये रचना ! बहुत शुभकामनाएं !
ReplyDeleteमोजे (मजे)कर रहे हो, चलिये गगां माई की जय हो
ReplyDeleteपापनाशिनी गंगा मैया की जय हो! कभी पापों के साथ-साथ इन पापियों को भी धो डालें तो आनंद ही आनंद हो!
ReplyDeleteझकास लेख लाये हो भाई ,हम तो सोच रहे थे की छुट्टी पर गए हो ?जय हो गंगा मैय्या की
ReplyDeleteबहुत खूब....गंगामैया की जय...
ReplyDeleteजय हो गंगा मैया की :-)
ReplyDeleteदोनों तरह की कमाई का अंतर और स्पस्ट कर देते / अपन कुछ भी लिखते रहो कोई असर नहीं / फिर भी अच्छा लिखा है और चांटा भी मारा है , वशर्ते की पिटने वाला समझ जाए
ReplyDeleteतो आप यहाँ बिजी हैं, चलिए इसी बहाने इतनी अच्छी पोस्ट पढने को मिली, ख़याल रखियेगा अपना ...
ReplyDeleteवाह...मस्त लिखे हो! जय हो गंगा मैया की!
ReplyDeleteABHISEK,
ReplyDeleteEK VYAKTIGAT PRASHNA.KAHEEN AAP MERE PARAM MITRA AWADESH OJHA KE PUTRA TO NAHEEN HO JINHONE RIT JAMSHEDPUR SE MERE SATH ENGG.KEE THEE ?VE RANCHEE ME KARYA RAT THE AUR UNKE PUTRA KA NAM BHEE ABHISHEK THA.
Bihaar, Uttar pradesh se waqif hun...Varanasime rahee hun kuchh avadhike liye...wahee yaad aa gaya..aiseehee bhashaka prayog...!
ReplyDeletePadhke bada maza aaya!
Mere blogpe aaneka snehsahit aamantran detee hun! Bohot khushee hogi!