शनिवार की सुबह मुझे एक स्वप्न दिखाई दिया... स्वप्न में विश्वकर्मा भगवान् के दर्शन हुए... हाथ में मोबाइल लैपटॉप लिए हुए, सोच रहा था की हथौडा जैसा कुछ होना चाहिए पर उनका तेज और परिचय देखकर चुप रह जाना ही बेहतर समझा. बस एक झलक देखि तो लैपटॉप पर एक से एक 3D मॉडल... इससे ये तो पता लग गया कि वहाँ भी बहुत विकास हुआ है. और कमाल की बात ये की वो मुझ पर प्रसन्न थे. पहले आश्चर्य हुआ फिर सोचा की अरे महापाप तो किया नहीं अब तक और पाप शब्द तो इतना व्यापक है कि कुछ कहा ही नहीं जा सकता तो शायद बेनेफिट ऑफ़ डाउट दिया गया हो!
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भगवान् ने कहा 'वर मांगो !'
मैंने कहा: 'भगवान् माँगने को तो बहुत कुछ है, लाखों चीज़ें दिमाग में घूम रही हैं पर लग रहा है कहीं आप भी न कह दें...वर दे दिया अब इसके लिए एसेमेस भेजो और हर एसेमेस का १० रुपया. कुछ तो तिकड़म होगा मुझे अपनी किस्मत पर बहुत भरोसा है. साथ में येभी डर लग रहा है कि शनिवार सुबह-सुबह कि नींद ख़राब न हो जाय. कहीं ये मजाक कि तरह कि बात हो तो मेरी नींद तो गई... अभी २ घंटे पहले ही तो सोया हूँ.'
भगवान् मुस्कुराए बोले: 'तुम्हे नींद इतनी प्रिय है?'
'भगवन प्रिय तो बहुत कुछ है पर प्रिय चीज़ें मिलती कहाँ हैं... आपके जैसा तो आराम है नहीं कि हाथ घुमाओ और पूरा हो गया. मुझे तो लगा था कि आप लोग पृथ्वी भूल ही गए होंगे किसी और ग्रह को टारगेट करके आराम की जिंदगी जी रहे होंगे! अब आप आ भी गए हैं तो आपको क्या पता... आपको तो लग रहा होगा कि अभी भी लंगोटी पहने हम घूम रहे होंगे... अभी-अभी ४ फिल्में निपटा के सोया हूँ. अभी यही कोई ५-५.३० बज रहे होंगे, बड़ी मुश्किल से तो वीकएंड पे समय मिलता है. अभी आप जगा दो तो वो भी ख़राब. और ये यंत्र जो मेरे बगल में पड़ा है और हाँ ये आपके हाथ में भी तो है... आपका ही आशीर्वाद होगा मानव को... ये मेरे जीव का जंजाल बना हुआ है.' मैंने बगल में पड़े हुए मोबाइल कि तरफ़ इशारा करते हुए कहा.
'अरे इसने क्या कर दिया, ये तो बड़े काम कि चीज़ है'
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'सुना तो था कि आप लोग अन्तर्यामी होते हो ! देखिये भगवन ये जितने साले-ससुरे कभी फ़ोन नहीं करते वो शनिवार-रविवार कि सुबह ही क्यों घंटा बजाते हैं? अगर सायलेंट करके सो जाओ तो अलग बवाल, बंद कर दो लोग जीने ही नहीं देंगे सब कुछ उसी दौरान अर्जेंट हो जायेगा. माफ़ कीजियेगा अगर कुछ ग़लत शब्द बोला हो तो लेकिन आजकल गुस्सा ऐसे ही दिखाया जाता है... मैंने तो कम ही शब्द इस्तेमाल किए हैं. अब आप ही बताइए इन्द्र दरबार में उर्वशी का नृत्य चल रहा हो और मैं आपके इस यन्त्र की घंटी बजा दूँ तो... अब आपकी जैसी किस्मत कहाँ कि नृत्य देखूंगा लेकिन अब तुलना तो रिलेटिव करनी ही पड़ेगी. कहाँ आप और कहाँ मैं !'
उर्वशी का नाम सुनकर भगवान् भी सीरियस हो गए... सीरियस कैसे नहीं होते मुद्दा ही ऐसा छेड़ दिया था. अपने सर पर पड़े तो सबको समझ आता है. बोले 'अरे ये तो महापाप सा प्रतीत होता है... मैंने मानव कि भलाई के लिए ये यंत्र दिया... पर तुम रात्रिचर हो गए तो मेरी क्या गलती है?' एकाएक उनके दिमाग ये आईडीया आया.
मैं भी कब हारने वाला था बोला: 'देखिये भगवन बात अब पहले जैसी नहीं रही... मामला बहुत दूर तक बढ़ गया है, अगर मैं कब, क्यों और कैसे रात्रिचर हुआ बताने लगूं तो आपका बहुत समय ख़राब हो जायेगा. वैसे भी मैं अकेला विनर तो हूँ नहीं और भी होंगे. मुझे अपना लक पता है... लाखो और होंगे जिन्हें आपको निपटाना होगा.'
इस बात में भी सच्चाई निकल गई.
भगवान् बोले: 'चलो मैं तुम्हारी समस्या सुलझाए देता हूँ... शनिवार-रविवार को सुबह ११ बजे के पहले तुम जैसे २ दिवसी रात्रिचर लोगों को फोन करना महापाप माना जायेगा.'
'पर भगवान् ये बात लोगो तक कैसे पहुचेगी?, मैं धार्मिक पुस्तकों में सुधार तो नहीं कर सकता और कर भी दिया तो मानेगा कौन? उल्टे लोग धार्मिक/रेसिस्ट बोल के आन्दोलन चला देंगे तो बस राजनीती में ही कैरियर बनाना पड़ेगा.'
'देखो पुत्र, अब ये लोगों को बताना तुम्हारा काम है, तुम्हारे पूर्वज तो इस काम को बड़े मजे में कर डालते थे... चित्रगुप्त के डाटाबेस में महापाप अपडेट कराने कि जिम्मेदारी मेरी, बाकी तुम संभालो. और हाँ अगर कोई अनजाने में कर दे तो वो पाप नहीं होगा ये भी याद रखना. वो पाप क्षमा के योग्य हो जायेगा क्योंकि ये स्पेसल महापाप है. अब इससे ज्यादा बोल दूँ तो पास नहीं करा पाउँगा. ऊपर जाके अभी अमेंडमेंट लाने में जो दिक्कत होगी वो मैं ही जानता हूँ, गुटबाजी वहां भी पहुच गई है. अभी दस तरह के सवाल होंगे की क्यों दे आए वरदान ' मैं बोलने वाला था कि देखिये भगवन पूर्वजों के किए का इतना कुछ सुनना-सहना और भोगना पड़ता है और अब आप भी चालु हो गए. पर भगवान् अर्जेंसी दिखाकर निकल लिए.
जैसे रोज अमीर बनाने के ईमेल और लकी होने के एसेमेस आते हैं वैसे ही भगवान् भी ठगा हुआ सा छोड़कर चलते बने. कहाँ झांसा दिखाया था कि वरदान मिलेगा और कहाँ इस हाल में छोड़ गए. रोकता भी कैसे... जाते-जाते बोल गए की राजभवन से फ़ोन आ रहा है अप्सरा-नृत्य प्रारम्भ होने वाला है.
खैर मैंने सोचा की आप को तो कम से कम बता दूँ. आप इस महापाप से बचियेगा क्योंकि सुना है कि चित्रगुप्त का सिस्टम बड़ा मस्त है और उसमें कोई बग भी नहीं है.
~Abhishek Ojha~