चेरापूंजी को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। वर्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध ये जगह प्राकृतिक रुप से काफी धनी है। गुवाहाटी से शिलांग और फिर चेरापूंजी जाते हुए अद्वितीय हरियाली देखने को मिली। मेघालय की बात हो और बादलों की चर्चा ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। हरी -भरी घाटियों में तैरते हुए बदल ... और फिर बादलों से होकर गुजरना... ।
शिलांग से चेरापूंजी के मार्ग में बने व्यू प्वाइंट से हरी घाटी मन को मोह लेती है। चेरापूंजी पहुचने के बाद अगर आप भाग्यशाली हैं तो बादलों के बीच से नोह-कलि-कई जलप्रपात दिख ही जाएगा। ये तो आपके मन को मोह ही लेता है। दूर से गिरते हुए स्वच्छ जल का दृश्य अत्यंत ही मनोरम होता है। फिर घाटी की दूसरी तरफ से सात कन्या जलप्रपात का दृश्य हो या फिर ठंग्खारंग पार्क से बंगलादेश का दृश्य। मनोरम दृश्यों के मामले में कहीं भी निराशा नहीं हुई।
और फिर वो अनुभव जो शायद मेघालय के अलावा कहीं और नहीं मिल सकता। गुफाओं से गुजरने का मज़ा... । मेघालय सैलानियों को कई गुफाएं देता है। पर एक-दो को छोड़कर बाक़ी आम अनुभवहीन लोगो के लिए खुले नहीं है। मव-समाई गुफाओं ने प्रकृति के करीब पंहुचा दिया। अगर आप थोड़े मोटे हैं तो फंस भी सकते हैं :-) । गुफाओं की दीवारों की अद्वितीय प्राकृतिक संरचना और उन पर चमकती पानी की बूँदें... गुफा से निकलने के बाद की हरियाली भी तो ध्यान आकर्षित करते हैं। मेरे कमरें से उतनी अच्छी तस्वीरें नहीं आ पायी पर इस Link पर कुछ अच्छी तस्वीरें हैं।
इन सब के बाद भी अव्यवस्था तो मन में खटकती ही है। इन सभी जगहों पर सुविधाओं का अत्यंत ही अभाव देखने को मिला। और फिर स्थानीय युवकों की 'फाइट माँगता है'... कानून व्यवस्था की धज्जिया उड़ाते हुए लोग भी मिले। यहाँ फाइट माँगता हैं के बारे में आपको बताता चलूँ... हमारी गाड़ी को कुछ युवकों ने शिलांग के कुछ पहले रोका तो ड्राइवर ने बिना कुछ पूछे उन्हें ३० रुपये पकड़ा दिए। बाद में उसने बताया कि उन सभी गाड़ियों से जिनका नंबर मेघालय का नहीं है, वे पैसे वसूलते हैं। अगर किसी पर्यटक या गाड़ी वाले ने मन किया तो फिर... 'फाइट माँगता है... ' अर्थात् उनसे लडाई करनी पडेगी। अपने देश में ही अपने हमउम्र युवकों कि दशा देखकर तथा उससे जनित सोच को देखकर बहुत दुःख हुआ... ।
शिलांग में एलिफैन्टा जलप्रपात दर्शनीय है... पहले कभी ये हाथी की तरह दिखता था... पर भूकंप के कारन क्षति ग्रस्त होने के बावजूद आपको निराश नहीं करेगा । अगर आप म्यूजियम और चर्च में ज्यादा रूचि नहीं रखते तो फिर शिलांग व्यू प्वाइंट सबसे अच्छी जगह है। यहाँ से आप शिलांग देख सकते हैं और फिर पहाड़ियां तो दिखती ही हैं। हाँ मेघालय का मजा तभी है जब मौसम साथ दे... अन्यथा आप कई दृश्य नहीं देख पायेंगे। और फिर वहाँ की बारिश का भी अपना ही मजा है। आपको पता ही नहीं चलेगा की कहॉ तक बादल हैं ... और कहॉ से बारिश शुरू हो रही है। हमारी किस्मत अच्छी थी हमने बारिश के साथ-साथ दृश्यों का भी अनंद लिया।
गुवाहाटी और शिलांग के बीच में बड़ा पानी झील भी रुकने लायक जगह है। गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र, कामाख्या, फैंसी बाज़ार , कला क्षेत्र, महर्षि वशिष्ठ का आश्रम इत्यादी दर्शनीय है। ब्रह्मपुत्र की चौड़ाई और धार देखकर आप एक बार जरूर मोहित होंगे और फि टापू पर बना उमानंदा मंदिर भी तो है।
अच्छा लगा आपका यात्रा संस्मरण !
ReplyDeleteअच्छा लगा यात्रा वृतांत-फाईट मांगता है-पर तो सरकार को ऐसे फेमस टूरिस्ट स्पॉट के लिये कुछ करना चाहिये. मंत्रालय को पत्र भेजा जा सकता है. कुछ तो असर होगा.
ReplyDeleteचित्र भी अच्छे हैं. बधाई.