बात शुरू हुई एक रस-आयनिक टैटू वाले ट्वीट से -
इस पर पोस्ट लिखने की बात हुई तो याद आया - चित्र देखकर कहानी लेखन जैसा कुछ होता तो था हिन्दी-व्याकरण की किताबों में। हर व्याकरण की किताब में एक तस्वीर जरूर दी ही होती थी। सारस और लोमड़ी. तस्वीर देखते ही कहानी समझ आ जाती कि दोनों ने एक दूसरे को कहा होगा - "कभी खाने पर आओ हमारे घर"... आगे की कहानी तो आप समझ ही गए होंगे। हमारी शिक्षा व्यवस्था ही ऐसी है ! दस बटा दस पाने वाले विद्यार्थी को भी तस्वीर दे दीजिये कहानी लिखने को तो वो उसमें भेड़िया, लोमड़ी, सारस ही तो ढूंढेगा? हमने भी बहुत गौर से देखा लेकिन इसमें ऐसा कुछ दिखा नहीं। मोबाइल उल्टा करके देखना पड़ा तब थोड़ा बहुत समझ आया कि ये चित्र है क्या !
...बैकग्राउंड पर से ध्यान हटा गौर से देखा तो ये संरचना कुछ तो देखी-देखी सी लगी. ख्याल आया कि ओक्सिटोसिन तो नहीं ? गूगल किया तो ख्याल 'अटेस्ट' हो गया। ओक्सिटोसिन माने प्यार-मोहब्बत का रसायन- लव हार्मोन। अब अनुमान तो यही लगाया जा सकता है कि ये टैटू, ये मुद्रा... 'ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा' टाइप्स प्यार से ही जुड़ा होगा. किसी ने कह दिया होगा - यही है असली केमिकल लोचा तो गोदवा ली होंगी अपनी काया पर ! (टैटू से टैटूवाना क्रिया बने न बने हिन्दी में गोदवाना/गुदवाना ही कहते हैं) या फिर हो सकता है बुद्ध के चार सत्य की तरह अनुभूति हो गयी हो मोहतरमा को -
इस दुनिया में प्यार ही प्यार है। प्यार का कारण ओक्सिटोसिन है। प्यार को पाया जा सकता है। और फिर प्यार प्राप्ति के अष्टांग मार्ग में एक टैटू गोदवा लेना होता होगा या अभय मुद्रा, धर्मचक्र मुद्रा इत्यादि की तरह प्यार प्राप्ति के बाद की टैटू-मुद्रा होगी ये.
इस दुनिया में प्यार ही प्यार है। प्यार का कारण ओक्सिटोसिन है। प्यार को पाया जा सकता है। और फिर प्यार प्राप्ति के अष्टांग मार्ग में एक टैटू गोदवा लेना होता होगा या अभय मुद्रा, धर्मचक्र मुद्रा इत्यादि की तरह प्यार प्राप्ति के बाद की टैटू-मुद्रा होगी ये.
अब हम और सोच भी क्या सकते हैं? हमसे कोई पूछे तो। ...टैटू बनवाने में दर्द भी, पैसा भी और ऊपर से परमानेंट... वो भी एक केमिकल का फॉर्मूला ! हम एक और सवाल पूछ बैठेंगे - मतलब... क्यों? कोई मज़बूरी थी?... मान लीजिये कल को पता चला कि हाइड्रोक्साइड गलत जगह पर लग गया हो, कल को ये भी हो सकता है प्यार पर से भरोसा ही उठ जाये, बेहतर केमिकल का आविष्कार हो जाये तब? दाहिने भुजा टैटू बनाए के बाद अहिरावण की भुजा उखाड़े स्टाइल में कुछ करना पड़ जाएगा. (अगर टैटू भुजा पर हो तो नहीं तो जो भी अप्रोप्रिएट हो)। वैसे भी साइंस का क्या भरोसा ! रिलिजन तो है नहीं... किसी ने कह दिया तो वो शाश्वत सत्य हो गया। विज्ञान की तो खूबसूरती ही इसीमें है कि सवाल उठाओ! आइंस्टीन को भी गलत कर दिए तो कोई फतवा थोड़े जारी करेगा. उलटे और वाह-वाही होगी। कल का सही आज तक गलत नहीं हुआ तो कल गलत नहीं होगा इसकी कोई गारंटी नहीं। गलत नहीं भी होगा तो बेहतर सत्य आते रहेंगे ! खैर... इतना सोचने वाले टैटू नहीं बनवाते होंगे।
प्यार की बात आती है तो मुझे तुलसी बाबा कि ये बात जरूर याद आती है। बड़ी रोमांटिक लाइन है -
तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा॥
सो मनु सदा रहत तोहि पाहीं। जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं॥
तुलसी बाबा संत आदमी थे। वैसे हमेशा से संत नहीं थे. मैंने तूफ़ान से लड़ते आशिकों को भी तुलसीदास कहे जाते सुना है। नदी पार करने वाली उम्र में होते तो शायद कुछ और कहे भी होते... लेकिन ये बातें उन्होने आत्मज्ञान और प्रभु दर्शन हो जाने के बाद कही। प्रेम का सार, प्रीति-रस इतने में ही है - विशुद्ध बात। पर टैटू से पता चलता है वो ओक्सिटोसिन नामक प्रेम-रस तक सीमित प्रेम की बात है ! लव-केमिकल यानि प्रीति-रस का नाम पता चला टैटू बनवा लिया - प्रीति रसु एतनेहि माहीं.
खैर... हमने भी ट्वीट का जवाब ट्वीट से दे दिया - "तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। ओक्सिटोसिन कहत टैटू मोरा।" ट्वीटर पर अक्सर 140 अक्षर में ही बात वहीँ की वहीँ निपट जाती है। पर जवाब के बाद भी पोस्ट की बात बाकी रह गयी। और आप तो जानते ही हैं कि उधार-बाकी ओक्सिटोसिन का एंटीडोट है... (प्रेम उधार की कैंची है का अनुवाद !)
अब बात निकली तो बता दें कि हम भी टैटू एक्सपर्ट रह चुके हैं। मेरे एक मित्र को टैटू टैटूवाना था - दाहिनी भुजा पर गर्लफ्रेंड का नाम - तमिल में। बिना गर्लफ्रेंड को बताये। तमिल उन्हें खुद आती नहीं थी। समस्या ये थी कि गूगल इनपुट टूल्स पर ज्यादा भरोसा किया नहीं जा सकता। पता चला कुछ और ही गोदवा लिए ! "गोदनाधारी अपने गोदना के लिए खुद ज़िम्मेवार है" टाइप डिस्क्लेमर ना भी हो तो गोदनाहार को तो आप जो देंगे वो तो वही बना देगा। ...रिस्क लेना भारी काम है। जैसे इसी गोदना में... मान लीजिये एक दो हाइड्रोक्साइड गलत जगह पर लग गए और पता चला ओक्सिटोसिन की जगह कोर्टिसोल की तरह काम करने लगा ! केमिस्ट से प्यार होगा तो वो तो पकड़ लेगा कि फार्मूला ही गलत है.
दोस्त-दोस्त के काम आने वाले सिद्धान्त के तहत हमने अपने एक तमिल सीनियर को ईमेल किया। हमारे सीनियर तब हार्वर्ड में थे। बहुत बड़े फिजिस्ट हैं। पर मामला भी गंभीर ही था। गंभीर न भी हो तो अब किसी दोस्त को कल को नोबल प्राइज़ भी मिल जाये तो ऐसा थोड़े न होगा कि पीएनआर कन्फर्म हुआ या नहीं जानने के लिए उसको फोन नहीं करेंगे? (वो बात अलग है कि अब फोन में इन्टरनेट हो गया पर अपने जमाने का डायलॉग मार दिया तो आप दोस्ती के वसूल का मर्म समझ ही गए होंगे)। मेरे सीनियर ने भी इस बात को उम्मीद से कहीं ज्यादा गंभीरता से लेते हुए विस्तृत जवाब भेजा। निष्कर्ष ये था कि वो उत्तर भारतीय नाम तमिल में शुद्ध तरीके से लिखा ही नहीं जा सकता! तमिल भाषा की अपनी सीमाएं हैं। (तभी पता लगा कि त को थ क्यों लिखा रहता है कई तमिल नामो में)। खैर उनके सुझाव के हिसाब से जो सबसे सटीक हो सकता था वो हमारे मित्र ने अपने हाथ पर गुदवा लिया ! गलत नाम गुद जाने के अलावा एक रिस्क ये भी था... जो तनु वेड्स मनु में कंगना ने राजा अवस्थी के नाम का टैटू करा ले लिया था! उसमें उन्होंने हल भी बताया था - सरनेम का टैटू है उसी नाम का कोई और ढूंढ लुंगी। उनके इस डर से ये बात भी सीखने को मिली थी कि आधुनिक इश्क़ में चीजें 'वैरिएबल' होनी चाहिए - परमानेंट कभी नहीं। लभ लेटर हो या टैटू... पुनः इस्तेमाल होने वाले होने चाहिए। रिसाइकल होने वाले। ओरगेनिक - ग्रीन टाइप्स। - मुदित भए पुनि पुनि पुलकाहीं।
दोस्त-दोस्त के काम आने वाले सिद्धान्त के तहत हमने अपने एक तमिल सीनियर को ईमेल किया। हमारे सीनियर तब हार्वर्ड में थे। बहुत बड़े फिजिस्ट हैं। पर मामला भी गंभीर ही था। गंभीर न भी हो तो अब किसी दोस्त को कल को नोबल प्राइज़ भी मिल जाये तो ऐसा थोड़े न होगा कि पीएनआर कन्फर्म हुआ या नहीं जानने के लिए उसको फोन नहीं करेंगे? (वो बात अलग है कि अब फोन में इन्टरनेट हो गया पर अपने जमाने का डायलॉग मार दिया तो आप दोस्ती के वसूल का मर्म समझ ही गए होंगे)। मेरे सीनियर ने भी इस बात को उम्मीद से कहीं ज्यादा गंभीरता से लेते हुए विस्तृत जवाब भेजा। निष्कर्ष ये था कि वो उत्तर भारतीय नाम तमिल में शुद्ध तरीके से लिखा ही नहीं जा सकता! तमिल भाषा की अपनी सीमाएं हैं। (तभी पता लगा कि त को थ क्यों लिखा रहता है कई तमिल नामो में)। खैर उनके सुझाव के हिसाब से जो सबसे सटीक हो सकता था वो हमारे मित्र ने अपने हाथ पर गुदवा लिया ! गलत नाम गुद जाने के अलावा एक रिस्क ये भी था... जो तनु वेड्स मनु में कंगना ने राजा अवस्थी के नाम का टैटू करा ले लिया था! उसमें उन्होंने हल भी बताया था - सरनेम का टैटू है उसी नाम का कोई और ढूंढ लुंगी। उनके इस डर से ये बात भी सीखने को मिली थी कि आधुनिक इश्क़ में चीजें 'वैरिएबल' होनी चाहिए - परमानेंट कभी नहीं। लभ लेटर हो या टैटू... पुनः इस्तेमाल होने वाले होने चाहिए। रिसाइकल होने वाले। ओरगेनिक - ग्रीन टाइप्स। - मुदित भए पुनि पुनि पुलकाहीं।
खैर... ओक्सिटोसिन को वैज्ञानिक प्रेम-मुहब्बत के लफड़े वाला केमिकल मानते हैं। यही वो केमिकल है जिससे उल्फ़त वाला लोचा होता है। माँ के 'माँ' जैसी होने के पीछे भी लोग-बाग इसका होना ही कारण बता देते हैं। और भी कई चीजें - भरोसा वगैरह। दरअसल भोले लोग बहल जाते हैं। इतना आसान होता तो... दो चार सुई घोंप देते(-लेते) इश्क़ कम पड़ने लगता तो. नहीं? दरअसल बस इतना भर है कि किसी न्यूज चैनल वाले को बता दीजिये तो 'गॉड पार्टिकल' की तरह इस पर भी आलंकारिक भाषा में प्रोग्राम कर देंगे - वैज्ञानिकों के ढूंढा लोचा-ए-उल्फ़त का केमिकल। और वो देख बायोलॉजिस्ट-केमिस्ट वैसे ही सर पीट लेंगे जैसे गॉड पार्टिकल पर प्रोग्राम देख फिजिसिस्ट ! इस बात पर कैसी कैसी हेडलाइन बनाएँगे न्यूज बेचने वाले वो आप यहाँ एक ब्रेक लेकर सोच-सोच मुस्कुरा लीजिये।
ब्रेक के बाद -
ऐसे ही एड्रेनालीन, डोपामिन जैसे कई केमिकल लोग बताते हैं ख़ुशी वगैरह के लिए। पर खुशी, प्रेम... जैसी जटिल चीजों को एक केमिकल में सिमटा देना वैसे ही हो जाएगा जैसे भोले लोग खुशी का फॉर्मूला दे देते हैं - माइनस और माइनस मिला के प्लस बन जाता है। बिल्कुल सही बात है ! पर यहाँ कर्ल-डाइवरजेंस-इंटेग्रेशन-स्टो कास्टिक-अगैरह-वगैरह भी लगा दीजिये तो संभव है कभी खुश हो जाने का फॉर्मूला लिख पाना?
पर जिसने टैटू कराया उससे कह दीजिये कि ये प्यार का फॉर्मूला नहीं है तो बिगड़ ही जाएगा ! भोले लोग हैं... साइंस, फिलोसोफी, गायक, भगवान, शंख, चक्र, गदा, क्रॉस, चिड़िया, फूल, पत्ती, जो पसंद आये छपवा लेते हैं. किसी ने भेजा था मुझे एक मैथ वाला टैटू...
Math Tattoo |
लीजिये लिखते लिखते एक किताब में मिले मॉडलस-ऑन-मॉडलस वाला आलंकारिक गोदना भी याद आ गया - मॉडल मॉडल ते सौ गुनी मादकता अधिकाय-
Models on Models |
कुछ लोग संस्कृत के मंत्र ही गुदवा लेते हैं। श्लोक के उच्चारण का महत्त्व तो पढ़ा है। गुदवाने का भी कुछ तो फायदा होता ही होगा। नहीं तो कम से कम संस्कृत तो पढ़ ही लेते होंगे थोड़ा बहुत। जैसे केटी पेरी का टैटू देखा तो लगा ये सबसे अच्छा तरीका हो सकता है लोट लकार, प्रथम पुरुष का उदाहरण पढ़ाने के लिए। खट से याद हो जाएगा !
और कुछ लोग - अजंता एलोरा के भित्ति चित्र की तरह पूरा शरीर ही चलता फिरता कला का संग्रहालय बनवा लेते हैं! खैर हमसे किसी ने एक बार पूछा था धार्मिक कुछ बताओ टैटू करवाने को तो हमने कहा था कीर्तिमुख बनवा लो !
...टैटू का अच्छा मार्केट है. एक टैटू सलाहकार की दुकान खोली जा सकती है. बढ़िया चलेगा।
...टैटू का अच्छा मार्केट है. एक टैटू सलाहकार की दुकान खोली जा सकती है. बढ़िया चलेगा।
अभी ही देखिये बात निकली तो तमिल भाषा की सीमा से लेकर, प्रेम, ओक्सिटोसिन, किर्ति मुख, फ़र्मैट... कितना कुछ है जी जो अभी चर्चा में आ गया। प्रेम और टैटू का तो खैर गहरा संबंध है।
वैसे... गोदना की डिजाइन के साथ साथ अंग चयन की भी बड़ी महिमा बताई है टैटू-विद्वानो ने :)
(टैटू पर बहुत अच्छा पढ़ना हो तो यहाँ पढ़िये)
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~Abhishek Ojha~
बाबा, आपके चरण कमल कहाँ हैं??? हम ज ने वि में भी बैठ के इतना बढ़िया बीसी करने और सुनने के लिए तरस गये और आप ब्लॉग पे बैठे बैठे एक्दम्म हाइ कलौटी का बीसी कर दिए... और हाँ, अब सिरियसली पढ़ा जाय जो मैं लिख रहा हूँ - अपने भाग्य को सराहता हूंकि, ब्लॉग के द्वारा ही सही, आपसे परिचय तो हुआ और अपने भाग्य को कोसता हूंकि आज तक आपसे मिलने का सौभाग्य नही प्राप्त हुआ...
ReplyDeleteha ha :)
Deleteओझा जी मोबाइल उल्टा किया तो ऑटो रोटेशन भी ऑफ किया होगा।
ReplyDeleteवो क्या है कि आपने बताया नहीं सो...
:)
Delete:)
Deleteजय हो जय हो!
ReplyDeleteमस्त है भाई
ReplyDeleteचलिए आप मिले तो.. :)
ReplyDeleteSNAKE BOY: खतरनाक सांपों से खेलना है इनका शौक
ReplyDeletehttp://mp.patrika.com/landing_preview.php?catslug=chhindwara&newslug=his-hobby-is-playing-with-dangerous-snakes-saved-the-lives-of-more-than-500-snakes-18599
मस्त !! :)
ReplyDeleteबाबा, आपके चरण कमल कहाँ हैं??? अति सराहनीय लिखा है आपने ,जितनी भी प्रशंशा की जाये कम है , ऐसे की हमें ज्ञान से परिपूर्ण जानकारी देते रहिएगा...सादर -आभार
ReplyDeleteपिता की मौत के बाद मां ने मेहनत करके बेटी को पाला, 21 साल उम्र में बन गई डिप्टी कलेक्टर http://news24india.co/?p=1548
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