एक दिन शाम बीरेंदर ने कहा - "चलिये भईया आज थोड़ा घूम-टहल के आते हैं, चाय तो रोजे पीते हैं। आज गांधी मैदान साइड साइड चलते हैं। बिस्कोमान भवन के पास भी जूस वाला सब ठेला लगाता है।" हमें कोई ऐतराज तो होना नहीं था अभी थोड़ी दूर ही चले थे कि सदालाल सिंग दिखे। बैरी ने हमेशा की तरह उनकी चुटकी ली और मुझसे बोला - "एकरा बारे में तो आप जानिए रहे हैं। ई जिस कटेघरी का सायर है उसी कटेघरी का आजकल बिदवान-बिसेसज्ञ भी होता है।"
"फेसबूक-ब्लॉग पर लिखने वालो की बात तो नहीं कर रहे? " मैंने तुरत पूछा।
"आप धर लिए भईया। वईसे फेसबूक-ओसबूक तो सब भरल है अइसा आदमी से लेकिन ओइसा आदमी हर जगह है। अइसा अइसा बिदवान कि कुछ का कुछ, माने कुछ भी बोल सकता है। फूल कन्फ़िडेंस में.... आ अपने हिसाब से उ गलत भी थोड़े होता है। "
"अपने हिसाब से माने?"
"अब देखिये। हमारा गाँव का एक ठो लरका दिल्ली गया था काम करने। लौट के आ रहा था त उ सुना होगा किसी को इलाहाबाद स्टेसन पर बतियाते कि वहाँ से गया जाने का कोई डायरेक्ट गारी है। त हुआ का कि एक दिन गाँव में कोई बात कर रहा था गाया जाने का त उ बोलता है कि - इलाहाबाद चले जाओ वहाँ से सीधा सुपर फास्ट मिलेगा गया का। अब उ त सहीये कह रहा है। आ गाँव वाले को भी लगा कि लरका दिल्ली रह के आया है उसको त सुपर फास्ट भी पता है त सहिए कह रहा होगा ! हो गया सदालाल सिंग ब्रांड बिदबान ! आ उसी में जिसको पता है कि पटना से गया जाना है तो... समझ गए न आप ? साला उ इलाहाबाद का करने जाएगा ?"
"हा हा हा , यार तुम इतना सॉलिड एक्जाम्पल देते हो कि अब क्या कहें..."
"आरे नहीं भईया हसने का बात नहीं है। सच्ची बात है। कसम से ! बना के नहीं बोल रहे हैं। आजकल नया जमाना का अइसा अइसा बिदवान हो गया है। जानते हैं पहिले हम टीबी बड़ा ध्यान से देखते थे लेकिन धीरे धीरे हमको बुझाया कि जो जेतना जादे टीबी पर दिखता है ओतने बड़ा सादलाल सिंग ब्रांड बिसेसज्ञ होता है। देखिये हम जादा पर्हे लिखे नहीं है लेकिन जब उ सब अर्थबवस्था आ ग्लोबल बारमिंग जैसा सब्द बोलता है न त हमको एकदम कीलियरे दिखता है कि उसको कुछों नहीं आता है। हम गारंटी से बोल सकते हैं कि उ सब से जादे तो सदालाल सिंगवा को सायरी आता है। आ टीवी का तो का कहें... हिंहे खरा हो के सब जो रोज बोलता है 'पटना ब्यूरो'... हम नहीं जानते हैं उ सब को... साला अइसा अइसा भी है कि मजबूरी में बिसेसज्ञ बन गया है सब... और कुछ करने लायक हइए नहीं था... "
"मजबूरी में विद्वान और विशेषज्ञ बन जाना तो अल्टिमेट है बीरेंदर ! गज़ब है। "
"अल्टिमेट नहीं भईया, अब हम त आप जानबे करते हैं कि केतना मजा लेते हैं। एक दिन मेरा मुहल्ला में सब कोई टीबी पर पैनल डिस्कसन देख के बतिया रहा था क्राइम पर। अर्थसास्त्र, राजनीति, साहित्य ये, वो, सिनेमा कुछों कारन दे रहा था। हम एकदम सिरियस होके बोल दिये कि कल एक ठो इन्टरनेट पर आर्टिकल पढे हैं कि ग्लोबल बारमिंग सबसे बरा कारन है क्राइम का... आ मजा का बात देखिये किसी को नहीं लगा कि हम मज़ाक कर रहे हैं। सबको लगा कि बीरेंदरवा सही में पढ़ा होगा इंटरनेट पर। आधे को इंटरनेट नहीं पता था बाकी सब को ग्लोबल वरर्मिंग। आ शुरू में एक दू ठो को मज़ाक लगा पर बाद में सब सीरियसली सुनने लगा ! जाम के समझाये भी हैं हम। आ सही भी है जो उ सब टीबीया पर बोलता है उससे हम कम सच थोरी बोले थे? त जो टीबी पर आता है उसब को त सब सीरियसली लेगा ही। उ बात अलग है कि कोई समझदार हमको सुना होता त या त हमको थपरिया देता नहीं त अपना मूरी पटक के मरिए गया होता।"
"हा हा यार कह तो बिलकुल सही रहे हो पर कुछ सही में विशेषज्ञ भी तो होते ही हैं।"
"हाँ लेकिन आपको एक और मजेदार बात बताते हैं उसमें से बहुत सारा जो है उसको लगता है कि उ सच में बिदवान है। अब धीरे धीरे बिदवान का माने ही यही हो रहा है। जब छोटे थे तो सक्तिमान देख के हम लोग उंगुली घूमा के लगता था उड़िए जाएँगे हावा में उहे हाल ई विदबान सब का भी है। हवा में उंगुली घूमा के अपना आप को सक्तिमान बुझता है।"
"यार इस मामले पर तो तुमसे लंबी बात हो सकती है" मैंने कहा।
इसी बीच बीरेंदर को जानने वाले कोई ठीकेदार मिले। तीन चार लोगों के साथ वो रिवोल्विंग रेस्टोरेन्ट डिनर करने जा रहे थे। बीरेंदर ने कहा "बरी माल कमाए हो, चलो हम भी आते हैं थोरी देर में" । थोड़ी देर उनसे बीरेंदर ने बात की तो बात बदल गयी। और पता नहीं कहाँ से बातें "वाद" पर आ गयी। बहुत सी बातें हुई। उन लोगों पर जो हर बात में अपना 'वाद' ही देखते हैं। सामने वाला चाहे जो कहे। सारे तर्क और सिद्धांतों का नाम देते हुए, जिनका उनकी कही गयी बातों से कोई लेना देना तक नहीं होता। बैरी ने बताया कि 'विद्वान' और 'वादी' होना भी एक प्रोफेशन हो चला है –फैशन और स्टाइल।
इन्हीं संदर्भों में एक उदाहरण उसने दिया था - "भईया, हमारे साथ एक ठो लरका पर्हता था। उ बस एक मगरमच्छ पर निबंध रट लिया था आ कुछो आ जाए परिछा में उहे लिख के आता था। एक बार आ गया महात्मा गांधी पर लिखने को । हम खुश हुए कि साला इस बार देखते हैं का लिखता है । बाहर आए त उ बोला कि साले इसमें क्या है ! गांधीजी सुबह नदी किनारे घूमने जाते थे तो नदी में उनको मगरमच्छ दिखबे करेगा ! आ फिर लिख आया उ मगरमच्छ पर... ओइसही है आजकल का जादेतर बिदवान-बिसेसज्ञ आ वादी सब"।
फिर हम थोड़ी देर के लिए रिवोल्विंग रेस्टोरेन्ट भी गए। वहाँ किसी को फोन पर जोश में चिल्लाते हुए सुना था - "कब तक आओगे बे तुम लोग, बरी मजा आ रहा है, जल्दी पहुँचो हम लोग गोलघर क्रॉस कर रहे हैं"।
मेरी मुस्कुराहट देख बीरेंदर ने समझाया कि वो झूठ नहीं बोल रहे हैं जब आए होंगे दूसरी तरफ होंगे अब घूम कर इधर आ गए हैं तो उन्हें गोलघर और गंगा किनारे का व्यू दिख रहा है उन्हें वो सच में गोलघर क्रॉस कर रहे थे !
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~Abhishek Ojha~
अब अईसे निबन्ध तो हमने भी लिखे हैं ,खुदा झूठ न बुलवाए :-)
ReplyDeleteबहुत खूब मानना पड़ेगा विद्वता को .सादर नमन .शुभ प्रभात
ReplyDeleteबरिहां बात को बरिहां से लिख्खा गया है....निक लागल पढ़ के
ReplyDeleteजय हो, इलाहाबाद से गाड़ी पकड़ने वालों की संख्या कम होने वाली नहीं..
ReplyDeleteThe Best one " जो जेतना जादे टीबी पर दिखता है ओतने बड़ा सादलाल सिंग ब्रांड बिसेसज्ञ होता है। "
ReplyDeletebahut hi sundar prstuti dihli bhai ji.
ReplyDeleteइस पटनियां पोस्ट मे आनंद आगया. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
एकदम रिबाउंड मार के गोट पिला लिया.
ReplyDeleteफेसबुक की ऐसी आदत पड़ गई है कि यहां लाईक बटन ढूंढ रहा हूँ ;)
ReplyDeleteमस्त चकाचक।
’सदालाल सिंग’ टाईपों की सदा जय हो :)
ReplyDeleteबिरेंदर ने तो आज फेसबुक, टी वी , तमाम वाद सबको लपेट लिया, बड़ी चौकस नज़र है :)
ReplyDeleteमगरमच्छी बिदवान का झण्डा ऊंचा रहे
ReplyDeleteक्या बात है? तुम तो गजबे हो. मूड अपसेट था, इहाँ आके एकदम चकाचक हो गया :)
ReplyDelete"आरे नहीं भईया हसने का बात नहीं है। सच्ची बात है। कसम से !" :)
अरे बाप रे !
ReplyDeleteई त हम परहे तो पहर्ते रह गंयें ...एकदमे अल्टीमेट हो :)
जय हो...
ReplyDeleteजय हो। ई त हम पर्हे ही नहीं थे अभी तक!
ReplyDeleteग्लोबल बारमिंग सबसे बरा कारन है क्राइम का . वाह मजा आ गया पटनहिया एक्सप्रेस मे। पोस्ट पहली बार कम्पयूटर के बजाय न्यूजपेपर मे पढ़के मजा आ गया। I-Next मे छपा था हमारे शहर मेँ।
ReplyDeleteजय हो गुरुदेव !!! चकाचक है !!!
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