May 27, 2007

सिक्किम... हिमालय में बसा एक छोटा सा स्वर्ग


इस वर्ष उत्तर-पूर्व भारत के कई स्थानों को देखने का मौका मिला।

सिक्किम, दार्जिलिंग (फरवरी-मार्च), गुवाहाटी, शिलांग और चेरापूंजी (मई)। यहाँ सिक्किम की कुछ तस्वीरें हैं... बस थोडा इंतज़ार कीजिये बाक़ी के लिए :-)

सिक्किम

बिना किसी संशय के... सिक्किम इस स्थानो में हमें सबसे अच्छा लगा। एक सप्ताह तक सिक्किम में व्यतीत किया हुआ समय भुला नहीं जा सकता। देवदार के वृक्ष और बर्फ की सफ़ेद चादर, कंचनजंघा, जमीं हुई झीलें, भाँती-भाँती के पुष्प, इलायची के बगान, जल प्रपात, कल-कल करती हुई तीस्ता नदी तथा शांत बौद्ध मठ... ।

सिक्किम की अच्छी कानून व्यवस्था, साफ-सफ़ाई और वहाँ के शांतिप्रिय लोग इसकी खूबसूरती में चार-चाँद लगा देते हैं। कुछ सड़कों की हालत और आधारभूत सुविधाओं को छोड़ दें तो ... मुझे प्राकृतिक रूप से यह जगह स्विट्जरलैंड के कुछ जगहों तथा आल्प्स से ज्यादा मोहक लगी। पर्यटन को दृष्टि में रखकर हो रहे कार्यों को देखकर प्रसन्नता हुई। सिक्किम राज्य के बारे में भी काफ़ी रोचक बातें भी पता चली।

पर्वतारोहण और प्राकृति प्रेमियों के लिए तो ये स्वर्ग ही है। सर्दियों में जाने के कारण हमने कई प्रकार के orchids और फूलों की कमी महसूस तो की परंतु जमीं हुई छंगु झील ने वो कमी पुरी कर दी। भारी हिमपात के कारण हम नाथुला-दर्रा तक नहीं जा सके और हमें छंगु झील से ही वापस लौटना पड़ा पर रास्ते में वृक्षों, पहाडों तथा रास्तों पर पडी हुई बर्फ, और जमें हुए एक जल प्रपात ने वो कमी भी पुरी कर दी। लामाओं तथा बौद्ध मठों की शांति देखकर मन कुछ पल के लिए शांत हो जाता है। रास्तों में रंगीन तथा सफ़ेद झंडे... युम्थांग, लाचुंग तथा गंग्टोक की यात्रा भी यादगार रही। वानस्पति उद्यान में जाने के बाद हमारे अन्दर का फोटोग्राफ़र जाग गया... तस्वीरें देखकर ही ये अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्राकृतिक सुन्दरता के अतिरिक्त भी सिक्किम की कई बातें मनमोहक हैं। पुरे राज्य में पालीथीन और गुटखे पर प्रतिबंध है। कहीँ भी खोमचे वाले नज़र नहीं आये। कोई कुछ बेचने के लिए आपके पीछे लग जाये... ऐसा भी कहीँ नहीं हुआ। लोगों का पर्यटकों के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार भी अपना प्रभाव छोड़ गया। बाक़ी ट्रेवल एजेंट्स का तो पता नहीं पर हमारे एजेंट ने हमें मेहमान की तरह आदर दिया... । आवागमन के लिए अधिकतम किराए निर्धारित हैं ... पर होटलों में या अगर आपको पूरी गाड़ी लेनी हो तो थोडा मोल-भाव तो करना ही पड़ेगा... ।



कंचनजंघा

रास्ते में पडी हुई बर्फ



झील का चक्कर लगाना है तो ... याक है ना !

सिक्किम विधान सभा



गंग्टोक शहर के ऊपर...




कैसे-कैसे बाँस...

एक बौद्ध मठ


नदी अपने उद्गम के समीप

इलायची के पत्ते...





जमीन चाहे जैसी हो... खेती तो हम कर ही लेंगे... ।



अब बर्फ पडी है तो कुछ सृजनात्मक काम भी कर लें।



सिक्किम में तरह-तरह के पुष्प तो मिलने ही थे।


हम भी पढ़ते हैं।

एक प्यारा बच्चा ... ।



ऐसी ठंड की झील ही जम गयी।










सात कन्या झरना।

देश के प्रहरियों को हमारा भी सलाम...

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5 comments:

  1. वाह! बहुत अच्छा यात्रा विवरण। अब तो सिक्किम जाने की इच्छा जागृत हो गयी है।

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  2. अच्छी जानकारी एवं बहुत सुन्दर चित्र. बढिया... :)


    सिक्किम के बारे में और जानकारी यहाँ भी है.

    http://www.tarakash.com/content/view/165/75/

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  3. badhiya chitra pesh kiye aapne. main to sikkim pichli april (2006) mein gaya tha aur jheel pighli huyi thiaur orchids ki to poori bahar thi.. waise Gangtok se aage kabhie North sikkim ghoom kar aayein . Uttari sikkim mein gurudongmar tak pahuchne ke liye ki gayi jeep safari bharat mein one of the best mani jati hai.

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  4. Aapki tasweeren beshak shandar hain. Adhbhut, adveetya parbatiya praant!!! Sikkim abhi tak ek meraa adhoora sapna hai, ummeed hai ki ek din main us jagah ko kabhi na kabhi dekh sakoonga. Yadi aapki aur Sikkim ke tasweeren hain to apply keejiye.
    Ek roosi bhaaratvid.

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