Sep 22, 2011

खतरनाक मस्त ! (पटना ५)

 

जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से एक बार फिर निकालना हुआ और इस बार एक 'आइये भैया ! ऑटो होगा?' का जवाब मैंने 'हाँ' से दिया.

'भैया, जो सही किराया हो आप बता दो, कुछ ऐसा मत बोल देना कि मुझे मना करना पड़े.' - मैंने ऑटो में बैठने के पहले कहा.

'अब सर जब आप हमीं पर छोर दिए त आपसे नाजायज थोरे लेंगे. बइठीये. कहाँ चलियेगा' -  बाएं हाथ से ऑटो चालु करने वाला डंडा नीचे से उपर खींच दाहिने हाथ से ऑटो को हुर्र-हुर्र कराते ऑटोवाले ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.

'आपका ऑटो तो बिल्कुल चकाचक है.' मैंने हाथ जोड़ स्वागत करती ऐश्वर्या, दाहिनी तरफ कैटरीना, बायीं तरफ करीना और सामने शायरी के साथ मादक मुद्राओं में अदा बिखेरती बॉलीवुड अभिनेत्रियों की तस्वीरों को देख कर कहा.

'हे हे हे...हाँ सर, अब दिन भर एही में रहते हैं त लगवा लिए हैं. मन लगा रहता है... आ सवारी को भी त आछा लगबे करता है.'  ऑटो बढाते हुए उसने कहा.

'हाँ वो तो है. कल भूकंप आया था इधर? कुछ नुकसान तो नहीं हुआ?'

'हाँ सर. ...लेकिन बहुते मामूली था. कुछो हुआ नहीं है. खाली राजा बाजार में एक ठो बिल्डिंगिए हइसे लप गया है' - ऑटो वाले ने बायां हाथ ऊपर उठा कर तिरछा करते हुए बताया. 'आ हमको तो एकदम साफा बुझाया कि पलट जाएंगे. अइसा लगा... कि पाटारा प खारा हैं आ उ जो है सो हइसे-हइसे लप-लप कर रहा है.' हवा में हथेली लपलपाते हुए उसने समझाया.

'सर, आगे सवारी बइठा लें? पीछे आप अकेलहीं रहिएगा आ हमको बस एक ठो पचस टकिया दे दीजियेगा. मान लीजिए दू सवारी पांच-पांचो रुपया देगा त हमको कुछ एक्स्टारा कमाई हो जाएगा. अब आप हमरे प छोर दिए हैं त आपसे का कहें… नहीं त एयरपोर्ट से थोरा जादे लेते हैं हमलोग.'

'हाँ हाँ, बैठा लीजिए'

इस अप्रूवल के बाद दो लड़के आगे की सीट पर बैठा लिए गए. दोनों संभवतः बीए-बीएससी प्रथम या द्वितीय वर्ष के छात्र थे. उनके आने के बाद हमारी बातचीत बंद हो गयी. और उनकी चालु...

'अबे प्रियांकावा को देखा? दिल्ली जाके एकदम भयंकर हो गयी है - बिल्कुल मस्त'

'तू कहाँ देख लिया ?'

'भाई का बड्डे मनाने आई है. साला एतना खतरनाक हो गयी है कि मत पूछ.' खतरनाक और भयंकर का अद्भुत उपयोग किया लडके ने. कौन अलंकार होता है जी ये सब? फिलहाल मुझे उनके बातों में रूचि आने लगी. IMG-20110916-00403

'अबे एक बात है जो भी बाहर जाती है. मस्त हो जाती है. वैसे आजकल तो सभे चली जाती है. सब बेकार वाली ही इधर रह जाती है. इहाँ कम कोचिंग है?... बेटा ! एक बात जान लो एतना कोचिंग हिन्दुस्तान के किसी सहर में नहीं है... लेकिन दिल्ली-कोटा का जो फईसन है न...'

'हाँ पढाई इहाँ बुरा थोरे है, एक से एक टीचर है'

'अबे हम उ वाला फईसन नहीं कह रहे हैं... असली वाला भी त फईसन है. इहाँ त वीमेंस कोलेजवा में वइसा कपरवे नहीं पहनने देगा. आ घर में रहेगी त का पहिनेगी. घर वाला भी नहीं पहनने देता है. दिल्ली-कोटा में सब ओइसही पहनता है. सलवार सुट भी पहनेगा त दूसरे तरह का '

'हाँ बे, यहाँ तप एक-दू ठो बची है थोडा ठीक... लेकिन साला उ सब भी पढ़ने वाला सब को ही भाव देती है. हम तो साला दुए दिन में सोच लिए कि बाप का पैसा बरबाद नहीं करेंगे... कोचिंग छोर दिए.'

'अबे हमको तो फीरी-बॉडी डायग्राम में आज तक इहे नहीं नहीं बुझाया कि कब किधर तीर लगाना है. जिस दिन सिनाहावा बताया कि साइकिल का कौन पहिया में किधर फ्रिक्सन लगेगा तभिये हमको बुझा गया कि आगे पढ़ के बस पैसा बर्बादे है. लाइन मारने के लिए बाप का पैसा नहीं बर्बाद कर सकते बॉस... अपने बाप के पास एतना पैसा नहीं है'

'साले दिमाग में से बॉडी आ फ्रिक्सनवा निकालोगे तब न बुझायेगा'

'हे हे हे'

'अबे इ देख क्लियर कंसेप्ट वाला भी टेम्पू पर प्रचार लगवा दिया.' - बगल से जाते ऑटो के पीछे एक कोचिंग का ऐड देखकर एक ने कहा.

'साला इ तो सही में एकदम कंसेप्टवे क्लियर कर देता है. एकदम जड़ से पूरा माइंडवे क्लियर कर देता है. अइसा क्लियर कि कुछो बचबे नहीं करेगा फिर समझने को... हा हा हा'

'सब कोचिंग वाला साला हरामी होता है. एक ठो माल लइकी का फोटो जरूर लगाता है. जेतना प्राइभेट कोलेज वाला है, मीडिया-सीडिया, एमबीए, जावा, बीटेक, सीटेक सबमें एक माल का फोटो... '

'सेकपुरा मोरवा के आगे एक ठो एतना मस्त इलियाना का फोटो लगाया है... उ तो साला गजबे कर दिया है.'

'इलियानावा वही न... साउथ वाली?'

'हाँ, उ भी भयंकर मस्त है. हिंदी में उ भी एक दिन जरूर आएगी.'

'उधर देख.. इसको त हम एक दिन फोन करके पूछेंगे कि इ लरकी कौन है तुम्हारा पोस्टर में?. उसका नंबर जुगाड़ता हूँ'... सामने एक मीडिया कोर्स के प्रचार में लगे बड़े होर्डिंग की तरफ इशारा करते हुए एक ने कहा.

'हाँ इ तो लोकले लग रही है कोई. लेकिन बताएगा नहीं.'

'अबे बताएगा कइसे नहीं. साला कुछ करते हैं. चन्दनवा के भैया हैं न उनका जान पहचान है इस इन्स्टिच्युट में'

तब तक मैं अपने ठिकाने पर पहुँच चूका था....

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Recently Updated--

~Abhishek Ojha~

- राजाबाजार की वो 'लपी' हुई बिल्डिंग अभी पटना का सबसे बड़ा आकर्षण हैं. गोलघर से ज्यादा भीड़ लगती है वहाँ.

- दीवार: रंगाई के बाद की चमचमाती दीवार पर फिर लाल परतें चढनी शुरू हो गयी हैं. कुल चमचमाते दिन: ८-१० रहे होंगे. बस पहली बार का संकोच होता है. एक बार किसी ने परत चढा थी फिर क्या ! अब तो आते जाते कोई भी...

- शायरी (ऑटो से):

१. दुल्हन वही तो पिया मन भाये, गाडी वही जो मंजिल तक पहुँचाये.
२. ऐ सनम तू जन्नत की हूर है, कमी यही है कि तू मुझसे दूर है.
३. ड्राईवरी में हम दुनिया के नज़ारे करते हैं, हम नहीं चाहते लेकिन वो इशारे करते हैं.

- पटना: बस कुछ दिन और !

पटना १, पटना २, पटना ३, पटना ४

29 comments:

  1. चलिए तो इस बार फिर आप आ गए काथा-कहानी लेकर। बन्हिआ लगा। आ ई दूनो जो लड़कवा था, ऊ बीएस-सी नहीं, पक्का इंटरे का लइका था। ओइसे अधिक बात त सहिए बोला था दूनो। कोचिंग वाला से लेकर चाट वाला तक साँचो बिना लइकी के फोटो के रहता कहाँ है, जइसे लइका सब पढ़ता-लिखता ही न है।…ई लपकते हुए घर का पता नहीं है हमको। ओइसे बाढ़ में एक बार छत को आधा टूटकर तिरछा लटकते देखे हैं।

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  2. वाह! क्या गजब पोस्ट है। पुरानी चार भी अब पढ़नी हैं। मलाल है कि नियमित पढ़ना नहीं हो पा रहा।
    एक बार खुद भी ऐसे ऑटो में बैठने का मन है। :)

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  3. खतरनाक नहीं मस्त पोस्ट है।

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  4. तुमको बता नही सकते हैं दोस की तू केतना दर्द उखाड़ दिया है. पटना पर हम भी ऐसे ही लिखना चाहते थे... यकीन करो हम अपने आँख से आगे ऐसा होता हुआ देखे......

    तुम्हारे शुक्रगुजार हैं जो ये जीवंत तस्वीर देखने पढने को मिला...

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  5. लेकिन तुमने इन सब के लिए कोई विशेष जोर नहीं दिया. जो दिखा वही लिखा है.. हम लोग रिसर्च करने उतर जाते थे... काहे की इ ज्ञान हो गया था कि हम पढ़े वाला बच्चा नहीं हैं... अकीले नहीं था उतना..... सो रसायन के जगह रस लेने लगे :-)

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  6. एक दम से 'चौचक' पोस्ट है ......

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  7. अरे भाई जी...हम भी "खतरनाक" का भयंकर प्रयोग करते हैं हो :)
    बाकी पोस्ट से तो एकदम मिजाज टनटना गया..:) :)

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  8. दिल्ली का तो पता नहीं, पर कोटा में तो कोचिंग वाले सभी छात्रों को अपनी अपनी यूनिफॉर्म पहिना देते हैं। यदि छात्र वाकई पढ़ रहा हो तो कोचिंग और वहाँ से मिले काम के सिवाय इतना समय नहीं बचता कि वह कहीं आ जा सके।

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  9. वाकई मे खतरनाक और मस्त का अद्भुत मेल है
    आ लइका सब इहे बाते करते हैं,कब्बो हम लोग भी इलाहाबाद मे इहे सब बात करते थे.सब पुराना दिन याद दिला दिये आप

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  10. देश में जितनी चिन्ता प्रियंका की होती है, तभी न इतनी सुन्दर है।

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  11. जियो बचवा ....सच्छात भरमन करा दिए...

    बहुत्ते आनंद आया....

    ई भासा आ इस्टाइल में जो रस है न....आ हा हा हा...गज्ज़ब ...बेजोड़...

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  12. ई फोटुआ काहे लगा दिए......

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  13. हर एक शहर की अपनी ऎसी कई कहानियां होती हैं... और पटना शहर को हम तुम्हारी आँखो से देख रहे हैं दोस्त...
    You are a great observer...

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  14. चलिए आज आपकी कृपा से पटना भी घूम लिए.

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  15. खतरनाक से भयंकर चकाचक मस्त पोष्ट

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  16. खूब बात बनी है, पीछे लगे रहें इनके.

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  17. कल खाली पढ़ के चले गए थे..टेम नहीं मिला था टिपियाने का....फोटुआ सब काहे हटा दिए हैं...कटरीना..करीना के ओब्जेक्सन का डर था का.

    बाकी बर्हीयां लिक्खे हैं.

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  18. जीयो भतीजे जीयो, ई पटना पुराण कभी अबंद नाही करना, जितने दिन वहां हो, भविष्य के लिये भी दायरी में नोट करलो, बहुत गजब पटना पुराण.

    रामारम.

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  19. ये लड़की की फ़ोटू वाला सवाल अपने नैरोमाईंड में बहुत छुटपन से ही उठता रहा है। एक साईकल रिक्शा टायर का विज्ञापन देखा था, उसमें बड़ी स्लिम ट्रिम लड़की की फ़ोटो थी, अब तक स्साला जवाब नहीं मिला कि टायर के अंगने में लड़की का क्या काम है?

    सही निरीक्षण\पर्यवेक्षण कर रहे हो, लगे रहो मुन्ना भाई:)

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  20. बाँच लिये भाया!
    आप भी अपने मिजाज के साथ खतरनाक मस्ती में परगटे हैं।

    आज ही गिरिजेश जी से बात हुई थी, पढ़ने को लेकर निश्चय किया तभी से खतरनाक की ओझाई दिमाग में चढ़ी हुई थी।

    आनंदम्‌!

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  21. खतरनाक है प्रभु! :)
    पटना घुमा रहे हैं एकदम साक्षात।
    और फीरी-बॉडी डायग्राम तो वाह!
    छा गए :)

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  22. खतरनाक, भयंकर ये सब विशेषण लड़कियों के लिए तो पूर्वी यू.पी. और बिहार में ही अधिक प्रयुक्त होते हैं.
    तो भैया ये तो भयंकर पोस्ट है :)

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  23. वाह! ऐसे साथ चलने वाले मुसाफ़िर रोज़ नहीं मिला करते!

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  24. खतरनाक मस्त पोस्ट है.

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  25. बहुत ही मंनोरंजक वाकया है. गुरुदेव ने आपके ब्लॉग का पता बताया था, और हम सबसे पहले यहीं कम्मेंट करने आ पहुंचे.
    जो हुए, जिसे सुना, जैसे सुना और जिस तरह लिखा. वो सब के सब इस खतरनाक पोस्ट के दिलचस्प हिस्से हैं.
    पढ़ कर बढ़ा मज़ा आया. ऐसे ही कान लगायें रखे और हमे बढ़िया पोस्ट पढने को मिलेंगी :)

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  26. वाकई भयंकर पोस्ट है जी यह तो ...........बहुत दिनों बाद आपका लिखा पढ़ा ....खतरनाक लिखते हैं आप हमेशा की तरह ....:)पटना शहर साथ साथ चलता रहा आपके लिखे के संग ,,,,,,,,,,,,

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  27. Bhaiya Kamal ka likhate ho. Maja aa gaya. Jiyo raho Raja .........

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