tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post7442488870108253117..comments2023-10-26T09:37:37.046-04:00Comments on ओझा उवाच: ...मॉडर्न आर्टAbhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-91234480773775535832015-08-30T09:23:34.523-04:002015-08-30T09:23:34.523-04:00चित्र तो एक पशु की बत्तीसी का एक्सरे लग लहा है। वै...चित्र तो एक पशु की बत्तीसी का एक्सरे लग लहा है। वैसे इन झंझटों से बचने के लिए ही मैंने दो कला सिद्धान्त बनाये हैं <br />1) अगर बैठ सको तो कुर्सी वरना कला (कला सौंदर्यबोध है, जुगाड़ नहीं)<br />2) खाट अपने पायों पर टिकती है, कला को कद्रदाँ चाहिए (मूल्य वही जो जोहरी समझे) Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-88010753547295437982015-08-27T01:56:32.443-04:002015-08-27T01:56:32.443-04:00Very interesting and soulful article. ..Very interesting and soulful article. ..Jyoti Vermahttps://www.blogger.com/profile/02814484837719531079noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-59416804562654953422015-08-16T14:32:28.614-04:002015-08-16T14:32:28.614-04:00:):)Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-6706228806605539042015-08-08T01:17:53.707-04:002015-08-08T01:17:53.707-04:00हेंस प्रूव्हड - कैनवस खाली है, परंतु वहाँ पर घास ...हेंस प्रूव्हड - कैनवस खाली है, परंतु वहाँ पर घास चरती गाय (अदृश्य) है - {घास कहाँ है, वह गाय खा गई, गाय कहाँ है - गाय घास खाकर चली गई }<br /><br />पत्नी ड्राइंग टीचर हैं, मॉडर्न ऑर्ट ही पढ़ाती हैं, तो मैं भी उपर्युक्त समीकरण हल करने में यदा कदा सफल हो जाता हूूँ, परंतु कभी कभी फ़ॉर्मूला सही नहीं लगता या केल्कुलेशन बिगड़ जाता है. :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-67672802384324436352015-08-07T15:27:40.699-04:002015-08-07T15:27:40.699-04:00Agreed !
मैं बहुत जाता हूँ आर्ट गैलरीज़ और म्यूजिय...Agreed !<br /><br />मैं बहुत जाता हूँ आर्ट गैलरीज़ और म्यूजियम्स में। मोमा, जिसके बारे में लिखा है वहाँ कम से कम पाँच बार तो गया ही हूँ।<br />अब्स्ट्रैक्ट की समझ मुझे थोड़ी कम है। पर तुमने जैसा कहा वैसी तस्वीरों के अलावा कुछ में तो गज़ब की क्रिएटिविटी होती है। जहां भी एक खास किस्म की क्रिएटिविटी दिखती है मेरे अंदर कुछ पिघल जाता है। मुश्किल है लिख पाना कि क्या अच्छा लग जाता है... कई बार बहुत सिम्पल सी चीज देख के लगता है - वॉव ! तो कई बार बहुत कॉम्प्लेक्स। <br /> <br />मुझे थोड़े आउट ऑफ बॉक्स टाइप के आर्ट पसंद आते हैं। या फिर जहां बिलकुल ही दो अलग चीजों को मिला के आर्ट बना हो... वैसी चीजों से जिनमें हमें लगता है कि आर्ट इसमें हो ही नहीं सकता। पेंटिंग, स्कल्प्चर्स, इमेजिनेशन, कान्सैप्ट... कंप्यूटर, इंटरनेट, मैथ, टेक्नोलोजी... कुछ भी !<br /><br />जैसे एक देखा था 'विजुअलाइजिंग साउंड'। या एक जिसने उन आवाजों को औडिबल बनाया था जो हम नहीं सुन पाते हैं। हवा में जो तरंगे हैं जिन्हें हम देख नहीं पाते। खैर... ईट इज समथिंग कि लिखने बैठा तो लिखता ही चला जाऊंगा :)<br /><br />अब काम की बात - <br />ये फोटो आर्ट गैलरी का नहीं है रे :)<br />ये तो मैंने बनाया है खुराफात करके। फ्रेम-उरेम भी सब डिजिटल है। ये बात बता नहीं रहा था कि बता दिया तो कोई सीरियसली लेगा नहीं :) :) Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-85927764310353406632015-08-07T09:32:36.689-04:002015-08-07T09:32:36.689-04:00इतना ज्ञान दे दिये हो मगर असल मुद्दे पर आओ, ये कमब...इतना ज्ञान दे दिये हो मगर असल मुद्दे पर आओ, ये कमबख्त चीज़ है क्या? <br /><br />वैसे मॉडर्न आर्ट का नहीं पता. मैं आर्ट गैलरीज में जाती हूँ तो कुछ तसवीरें होतीं हैं जिन्हें देख कर कुछ महसूस होता है. ऐसा भी हुआ है कभी कभी कि कुछ इतना खूबसूरत है कि आँख भर आई है. किसी क्षण को जैसे किसी ने हमेशा के लिए पेंट कर दिया हो वैसा. कभी शांत सा लगा है मन. मगर मॉडर्न आर्ट वाकई बहुत बार समझ नहीं आता है. <br />इसी सिलसिले में इक नावेल पढ़ी थी...आधी...क्लॉकवर्क ऑरेंज...बहुत सुना था उस बारे में मगर किताब बहुत ही बोझिल लगी. शायद मुझे भी आर्ट अप्रिसियेशन की जरूरत है. <br />आखिर में. ये फोटो सच में आर्ट गैलरी का है या तुम कोई खुराफात किये हो और जेनरली पब्लिक को बुड़बक बना रहे हो...मजे मजे में. विदेशी होने का गलत फायदा यु नो. Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.com