इधर कुछ एकाध लोगों ने ईमेल/फ़ोन/टिपण्णी से पूछा कि मैं आजकल पोस्ट क्यों नहीं लिखता? (ओह ये भी बड़ा सुखद अहसास है, किसी को तो हमारी कमी महसूस हुई !)
फिर हमने भी सोचा की सवाल तो सही है ऐसा भी क्या कर रहा हूँ मैं? कुछ ख़ास उत्तर नहीं मिला बस अच्छा कारण सोचते-सोचते ध्यान आया कि आजकल ४ बजे सुबह सोता हूँ, और १०-१०:३० बजे उठ कर ऑफिस चला जाता हूँ. जिंदगी ख़राब कर ली है मैंने. पर धन्य हो कृष्ण भगवान् और धन्य हो गीता. एक बात तो साफ़ है कुछ नहीं तो संयमी तो बन ही गया हूँ. (खैर मुझे नहीं लगता इस पुस्तक के जितने मतलब निकाले गए हैं उतने किसी और पुस्तक के निकाले गए होंगे. जिसको जो इच्छा होती है एक श्लोक ढूंढ़ लेता है.)
यूँ तो डायरेक्टली एक पोस्ट ही ठेल देता लेकिन कल ऑफिस जाते समय पहली बार एक्सीडेंट बड़े करीब से देखा तो सोचा की अभी एक अनुपस्थिति के कारण पर ही लिख दिया जाय. गाड़ी के सामने एक भीमकाय ट्रक दिखा और अगले क्षण अपने ऊपर असंख्य कांच के टुकडे. कुछ समझ में नहीं आया, थोडी देर बाद एक बात तो साफ़ हो गई इस मिटटी के जीवन में कुछ सार नहीं है ! खैर आगे का प्रवचन आप आस्था चैनल पर सुन लीजियेगा. बाकी चीजों के साथ ये भी ख्याल आया की जिन लोगों को इंतज़ार है उनको तो बताता चलूँ की भाई बहुत दिनों तक पोस्ट ना आए तो कुछ भी हो सकता है, आख़िर हम ठहरे हाड-मांस के पुतले !
(लो इधर एक ब्लॉगर बंधू कह रहे हैं: 'पासवर्ड दे दो कुछ हो गया तो मैं एक पोस्ट लिख दूंगा, बहुत टिपण्णी आएगी... तुम्हारी आत्मा को शान्ति मिलेगी.'
'व्हाट? '
हे भगवान् ये ब्लॉगर कब टिपण्णी की माया से ऊपर उठेंगे? कहाँ मरने की बात हो रही है और इन्हें उस पर भी एक पोस्ट दिख रही है ! 'देख भाई तू अपने ही ब्लॉग पर सूचना दे देना, वैसे भी 'अब मैं नहीं रहा' लिखा देख लोग गरिया जायेंगे की टिपण्णी पाने के लिए लिखा है'
'अबे यार लेकिन उससे तो मेरे ब्लॉग पर टिपण्णी आ जायेगी. मैं तो बस चाहता था की तेरे ब्लॉग पर टिपण्णी आएगी तो तेरी आत्मा को शान्ति मिलेगी.'
'ओह ! भगवान् ऐसे (ब्लॉगर) शुभचिंतकों से बचाए')
कल एक दोस्त को बताया की व्यस्त हूँ तो उन्होंने कहा की ये कोई बहाना ही नहीं है. (तुम्ही एक व्यस्त हों बाकी तो बैठे मक्खी मार रहे हैं !) मैंने निम्न कारण बताये... तो उन्होंने कहा:
'जा रे नालायक मैं होता तो इन सब पर एक-एक पोस्ट लिख मारता, और तू कह रहा है की ये न लिखने के कारण है '
खैर चलिए बेकार की पोस्ट लम्बी होगी तो आप 'बहुत सुंदर' लिखके के भाग जायेंगे अब संक्षेप में कुछ कारण ही बताता हूँ.
1. प्रमुख कारण: आजकल कुछ परीक्षाएं दी जा रही हैं. और साथ में निवेश बैंकिंग का जो हाल है, अगल-बगल से दनादन गोलियाँ गुजरती है. जिन्हें लगती है हम कहते है 'फायर' उसे अखबार वाले कहते हैं 'पिंक स्लिप'. पता नहीं क्या पिंक होता है उसमें ! अब मैट्रिक्स के नियो की तरह इधर-उधर होके कोई बच रहा हो, वो क्या पोस्ट लिखेगा. बुढे बुजुर्ग कह गए ‘बेटा सरकारी नौकरी सरकारी ही होती है'. तब तो पैसा और बोनस दिख रहा था ;-) अभी भी मौका है लेकिन ये मोह-माया… खैर फिर कभी !
2. इधर ऑफिस के चौथे मंजिल वाली एक लड़की बहुत दिनों बाद दिखी और वो भी सिंदूर लगाए हुए, अपना क्या है अपने लिए तो आम बात हो गई है लेकिन जब पता चला की मेरे जानने वाले कईयों पर बिजली ही गिर गई तो... !
3. इधर भारतीय से ज्यादा पाकिस्तानी न्यूज़ साईट पढने लगा हूँ (डॉन और जियो टीवी), पता नहीं कैसे आदत लगी लेकिन, पहले ही अच्छा था ! अब दिमाग कुछ मुद्दों में ही उलझा रह जाता है. इस बीच फितना नाम की एक छोटी फ़िल्म भी देख डाली और कुछ डॉक्युमेंट्री... बस इतना ही नहीं तो फतवा का डर है.
4. इधर अंतुले जैसे लोग कुछ जगहों और लोगों में हीरो बन गए, ये भी पता चला की पाकिस्तानी अखबारों से ज्यादा आगे भारतीय उर्दू अखबार ही हैं. चलो अच्छा है कि उर्दू नहीं आती और व्यथित होने का क्या फायदा? अपने अखबार और चैनल कहते हैं की मुंबई हमलों पर ज्यादा नहीं सोचना है. मनोवैज्ञानिक आजकल भुनाने के तरीके बता रहे हैं. भूल जाओ भाई ! हम भी भूल रहे हैं. पर इस बीच ये भी कारण रहा. शायद लिखता तो पोस्ट की जगह गालियाँ ! हमलों के बाद सब लोग फोकट का चिल्लाते रहे और चुनावों में जाति पर ही राजनीति होती रही...
5. इस बीच कुछ यात्रा भी हुई... गुजरात में सोमनाथ, द्वारका और आस-पास. सोमनाथ के लाईट और साउंड प्रोग्राम के बाद उसके इतिहास पर पुस्तके ढुन्ढी जा रही है आचार्य चतुरसेन के सोमनाथ के अलावा कोई पुस्तक आपको पता हो तो जरूर बताएं. हाँ भारतीय रेल, और स्पाईस जेट के साथ बड़े बुरे अनुभव रहे. भारतीय रेल ने फ्लाईट छुड़वाई और स्पाईस जेट वालों ने एक घंटे तक फ़ोन नहीं उठाया, उनके रिकोर्डेड आवाज को सुन के फ़ोन के पैसे गए वो अलग जब उठाया तो बताया कि 'सर आपने बड़ी देर से फ़ोन किया आपको एक फूटी कौडी भी हम वापस नहीं करेंगे’. अब देर का जिम्मेदार कौन?
6. इधर अमेज़न और एचएसबीसी ने भी चुना लगाया. अमेज़न ने बिना हमसे पूछे $७९ चार्ज कर दिया ये मानकर की हम उनकी कुछ मुफ्त सुविधाओं का लाभ उठाना चाहते हैं ! लो भाई जब वापस किया तो क्रेडिट कार्ड वालों ने कहा की एक्सचेंज रेट बदल गया है और ५०० रुपये तो भरने ही पड़ेंगे. बड़े संयम से क्रेडिट-कार्ड इस्तेमाल करने का ढिंढोरा पिटते थे अब लो मजा. लेकिन हमने भी डिफौल्ट करने का निर्णय लिया है वो भी चुनौती देकर :-)
7. इधर भारतीय स्टेट बैंक के लाभ का इतिहास देखकर बड़ा दुःख हुआ. कैसे लाभ में जाते हैं ये? फोर्चून ५०० का डंका पीटते हैं. और उनका ग्राहकों पर अहसान… किसी तरह समय निकाल कर तीन बार चक्कर काटा वो भी उन्हें पैसे देने के लिए. अंत में हार मानकर एचडीऍफ़सी में २ मिनट में काम करके आया. ये संस्थायें जिस दिन डूबेंगी मुझे तो खुशी होगी. पता नहीं कब अक्ल आएगी इन्हें.
8. हमारे घर पर काम करने वाली बाई महीने में ८ दिन आती है, और उसमें से ४ दिन:
'भइया आपके फोन से एक मिस्ड कॉल कर लूँ'
'हाँ कर लीजिये'
उसके बाद एक घंटे... ! अफेयर चलाने के लिए मेरा ही फोन मिला एक शादी-सुदा भारतीय नारी को. और धोबी पहले इनवेस्टमेंट बैंको की तरह कपड़े इधर से उधर करता था... लेकिन अब गायब भी करने लगा है.
लो भाई ये सुरसा की तरह पोस्ट लम्बी हुई ही जा रही है. अगर आप यहाँ तक पढ़ रहे हैं (वैसे क्यों पढेंगे बकवास !) तो धन्यवाद. ऐसे और भी कारण है, मेरे दोस्त का कहना है की ये बहाने अपने आप में एक-एक पोस्ट होने चाहिए.
अंततः बताता चलूँ की ज्यादा संयमी हो जाने के कारण तबियत थोडी ढीली है और आज डॉक्टर के पास जाना है कल मकर संक्रांति (खिचडी) है... आप सब को शुभकामनायें !
मराठी में: 'तिल गुड घ्या आणी गोड़ गोड़ बोला'
~Abhishek Ojha~
बहाना चुनने की ऑप्शन हम पर छोड़ दी यह बड़ा उपकार रहा आपका. Interesting post anyway!
ReplyDeleteअभिषेक जी, व्यस्तता बहुत अच्छी है। पर बीच बीच में ब्लाग हाजरी भी जरूरी है, भले ही साप्ताहिक हो। मकर संक्रांति पर शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteअभिषेक भाई,
ReplyDeleteपुणे से "तिल गुड खावा " तो सीखे :)
बाकि इत्ती सारी मुसीबतेँ आप पे आन गिरीँ सुनकर चिँता हो आई है :-(
Thank god you were saved in that nasty Truck encounter
"गुजरात नो नाथ " और
" पाटण नी प्रभुता "
कनैया लाल मुँशी की कथाएँ हैँ
अगर अनुवाद मिले
तो अवस्य पढियेगा -
सोमनाथ, द्वारिका, वेरावळ की पुरानी ऐतिहासिक कथाएँ हैँ
स्नेह सहित,
-लावण्या
मकर संक्रांति पर शुभ कामनाएँ,,,
ReplyDeleteअभिषेक जी अन्यत्र व्यस्तताओं की लम्बी लिस्ट रही आपकी. मेरे मन में भी सोमनाथ पर कन्हैअलाल माणेकलाल मुंशी का नाम ही आया. शायद 'जय सोमनाथ ' उनका प्रसिद्ध उपन्यास है. संक्रांति की बधाई.
ReplyDeleteacha raha bhai
ReplyDeleteआपने व्यस्तता के कारण तो बता दिए अगर मुझसे पूछा जाए तो मैं वो भी नहीं कर पाउँगा हालाँकि इतने लंबे अरसे तक मैं गायब नहीं रहता.
ReplyDeleteलोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, घुघूती - सभी की शुभ कामनाएं.
मकर संक्रांति पर शुभ कामनाएँ...
ReplyDeletekaafi accha aur interesting post tha
कौन कम्बखत कहता है की तुम्हे याद नही करते .....खूब करते है भाई....पर जिंदगी सिर्फ़ ब्लॉग ही नही है ये भी सच है...पर कोम्पुटर के परदे पे बने रिश्ते भी अब उलझाने लगे है......
ReplyDeleteपहले तो बाल बाल बचे उससे शुक्रिया कहो भगवान् का....इसका मतलब ये इशारा था की जीवन कितना नश्वर है बालक .....तुम व्यर्थ ही भागे भागे फ़िर रहे हो....
दूजे अब जेट की flight बस वालो की तरह हो गई है...एअरपोर्ट पर खड़े आवाज लगते है....हमारा तो जहाज ही रुका रहा....मालूम चला कोई ब्रिटेन के गोरे थे....जो लेट हो गए थे...हम भूरे हिन्दुस्तानियों को कोई नही पूछता....
जब हमारे मोहल्ले की खूबसूरत लड़कियों का ब्याह तय होता था तब हम मोहल्ले के लड़के एक जगह इकठ्ठा होकर शोक मनाते थे .....ये लाल रंग कब मुझे छोडेगा ..
अंतुले जैसे लोग अपने असली रंग में आ जाते है फ़िर भी सोनिया उन्हें अभयदान दे देती है....येसिर्फ़ राजनीति के गंदे खेल है..उर्दू अखबार वाकई अपनी सोच से ऊपर नही उठ पाते है...अभी अभी हमारे शहर में भी रैली हुई जिसमे १० हज़ार से लोग सिर्फ़ इस्राइल के हमले के विरोध में इकठ्ठा हुए ..हैरान हूँ इतना वक़्त कहाँ से निकाल पाते है...ओर आप कह रहे है वक़्त नही है
खैर खिचडी हमने कल ही खा ली थी .....आज चावल राजमा काप्रोग्राम है ..
ट्रक वाले का शुक्रिया जिसकी महिम से आप की आज की पोस्ट पढ़ने को मिली...! वैसे सारे ब्लॉगर्स मेरी ही तरह सोचते हैं क्या...! मैं भी यही सोच रही थी कि खुदा न खास्ता मुझे कुछ हो गया तो मेरा पासवर्ड भी किसी को नही मालूम है..! कम से कम मरने की खबर मिलने पर एक पोस्ट तो लिख ही दी जाती...हृदय गवाक्ष की अंतिम बयार के नाम से :)
ReplyDeleteबहुत शानदार पोस्त है जी. आपने काफ़ी कसर ूरी करदी इतने दिन नही लिखने की. वैसे विद्द्यामाता की कसम हमने पूरी पोस्ट पढ कर आनन्द लिया है. और आपसे गुजारिश है कि आगे भी आप लिखते रहें, और मकर सक्रांति की आपको भी रामराम.
ReplyDeleteबाप रे, इतना कुछ कर लेते हो अभिषेक! मैं तो पहले ही इप्रेस्ड था, अब हाईली इम्प्रेस्ड हूं।
ReplyDeleteब्रदर, मेरा छोटा भाई नहीं है - यू आर!
ऑफ कोर्स शिव कुमार मिश्र मेरे भाई हैं! ऐण्ड यू आर लाइक हिम!
ReplyDeleteअभिषेक आजकल हम भी ब्लॉग जरा कम ही पढ़ और लिख रहे है । काफ़ी रोचक अंदाज मे पोस्ट लिखी है ।
ReplyDeleteभगवान का शुक्रिया कि आप ठीक है और हाँ गाड़ी जरा संभल कर चलाया कीजिये ।
परीक्षा के लिए शुभकामनाएं ।
अब आपने इतने सारे कारण बता दिए पोस्ट ना लिखने के तो आपसे क्या गिले शिकवे करें...चलिए देर से ही सही आए तो सही...जगजीत सिंह जी की इक ग़ज़ल याद आ गयी..."देर लगी आने में तुझको शुकर है फ़िर भी आए तो...आस ने दिल का साथ ना छोड़ा वैसे हम घबराए तो.."
ReplyDeleteहम भी महाराष्ट्र में रहते हैं इसलिए तिल गुड कल खाईये और गोड़ गोड़ बोलिए...मकर संक्रात्री की शुभकामनाएं...
नीरज
भई आपका बीते दिनों का हाल तो न्यूज चैनल वालों के लिए दिन भर का मसाला हो गया।
ReplyDeleteअरे जी!! आप तो पहले सलामती से रहे !!
ReplyDeleteफ़िर हफ्ते में ही सही एक ही थो पोस्ट ठेल दिया करें !!
और हाँ यह पक्का !!!! मौलिक और ओरिजनल लेखन है जनाब!! बधाई!!!!मकर संक्रांति पर शुभ कामनाएँ!!!!
चलिए इसी बहाने कुछ खटटे कुछ मीठे अनुभव तो हुए।
ReplyDeleteआपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteअभिषेक जी, आप लम्बे अन्तराल के बाद सकुशल लौट आए हैं तो हम ईश्वर को धन्यवाद देते है। आपने अन्ततः मौन तोड़ा इसके लिए आपको भी शुक्रिया।
ReplyDeleteआपने पोस्ट ‘न लिखने’ के जो कारण गिनाए हैं उन सबको पोस्ट ‘लिखने के’ कारण बना डालिए। जोरदार मसाला जमा हो चुका है। बस आधा घण्टा का मामला है आपके लिए। शुरुआत काम-वाली की मोबाइल मेनिया की ट्रिक से। आपका ट्रैफिक जो पहले से ही व्यस्त है वह तब जाम हो जाएगा।
पुनः शुभकामनाएं।
दिखते रहे समय समय पर, बस काफी होगा. :)
ReplyDeleteबड़े हो लिये तुम तो कम से कम लोग पूछ तो रहे हैं, वरना तो कोई कुछ दिनों गायब रहे तो लोग भूल ही जाते हैं, अब अपने बुश को ही ले लीजिये, मीडिया वाले लगभग भूलने से लगे हैं :)
ReplyDeleteआपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
ReplyDeleterochak andaaz mai kafi kuchh kaha gaye aap.
ReplyDeleteआपके दोस्त ने सही कहा। ये पोस्ट नहीं लिखने के कारण कहां हैं..ये तो पोस्ट लिखने के कारण हैं। लिखने के कारण हैं, तभी तो आपने लिखा :) अब बारी-बारी से हरेक कारण पर एक पोस्ट ठेलते जाइए :)
ReplyDeleteगीता (मतलब कृष्ण ने कही वो ) का ज्ञान दे दिया अपने मजबूरी बतादी /वैसे तो जिंदगी ज़िंदा दिली का नाम है
ReplyDeleteबाल-बाल बच गये। बधाई। मंगलकामनायें। बाकी पोस्ट का मजा पूरा लिये।
ReplyDeleteहे भगवान मुझसे बहुत बड़ा अनर्थ हो जाता.. अगर मैं ये पोस्ट नही देखता तो..
ReplyDeleteएक ही साँस में पूरी पोस्ट पढ़ डाली.. मज़ेदार लिखा है.. एक ही पोस्ट में इतना कुछ समेत लिया.. क्या बात है..
बहुत शानदार..
kya baat hai mitra GADYA me bhi PADYA sa anand... wah..wa.. maine to ise kahaani sa maan kar pad liya...
ReplyDeleteसचमुच बड़े संयमी हैं आप...
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