tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post7947514077017828106..comments2023-10-26T09:37:37.046-04:00Comments on ओझा उवाच: घूस दे दूँ क्या?Abhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-29711793275610041802009-06-26T09:59:16.875-04:002009-06-26T09:59:16.875-04:00पोस्ट की अन्तिम लाइन में आपने लिखा कि वह अन्न मसूर...पोस्ट की अन्तिम लाइन में आपने लिखा कि वह अन्न मसूर है जिसे काली दाल कहते हैं।<br />मेरे हिसाब से यह सही नहीं है काली दाल उड़द की दाल को कहते हैं। मसूर- मसूर दाल लाल होती है, हां छिलका उतरने से पहले वह काली नहीं कुछ कुछ मेरून सी होती है।<br />दक्षिण भारत में मसूर की लाल दाल बहुत खाई जाती है और इसे तेलुगु में एर्रापप्पू कहते हैं।<br />एर्रा(लाल) पप्पू (दाल)सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-31484603581300908192009-05-20T13:05:26.403-04:002009-05-20T13:05:26.403-04:00यूं ही चलते-फिरते जब इस तरह व्यवस्था की कड़वी सच्च...यूं ही चलते-फिरते जब इस तरह व्यवस्था की कड़वी सच्चाई सामने आती है, तो एक अजीब सी उलझन में ख़ुद को पाते हैं। हमदर्दी जताएं, किसी को दोष दें... क्या करें ?Meenakshi Kandwalhttps://www.blogger.com/profile/03328636440950300322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-87200089302756231992009-05-19T09:23:00.000-04:002009-05-19T09:23:00.000-04:00hmm ghoos dene se bache rahna aur lachari mahsoos ...hmm ghoos dene se bache rahna aur lachari mahsoos nahi hona bhi bahut badhi baat hai<br />halaki ghoos bhi kayi tarah ki hoti hai<br />zaruri nahi sirf paise hi ghoos kahlate hai<br /><br />aajkal waqayi mein kathin ho gaya hai jeevanश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-48930285006959720652009-05-17T15:26:00.000-04:002009-05-17T15:26:00.000-04:00मन कुछ अजीब सा हो गया आलेख पढ़ कर...शायद इसलिये भी ...मन कुछ अजीब सा हो गया आलेख पढ़ कर...शायद इसलिये भी कि आलेख का नायक फौजी था और अब ये दशा...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-20511958767104739842009-05-17T09:05:00.000-04:002009-05-17T09:05:00.000-04:00पुलिस और बिजली विभाग तो जायज काम भी घूस के बगैर नह...पुलिस और बिजली विभाग तो जायज काम भी घूस के बगैर नहीं करता. जिनका दावा है कि उन्होंने कभी घूस नहीं दी, मेरा मानना है कि उन्हें कभी ढंग का काम कराने की जरूरत नहीं पड़ी.. खैर...योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-4227997128721578262009-05-16T09:24:00.000-04:002009-05-16T09:24:00.000-04:00लोग भले ही कितनी साफ़ सुथरे दावे करे .पर हकीक़त ये ...लोग भले ही कितनी साफ़ सुथरे दावे करे .पर हकीक़त ये है की इस देश में घूस सरकारी सिस्टम का एक अनिवार्य हिस्सा है...अब तो अपना जायज काम करवाने के लिए भी कचहरी या यूनिवर्सिटी में घूस देनी पड़ती हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-36515701573423746722009-05-16T07:27:00.000-04:002009-05-16T07:27:00.000-04:00मैंने आजतक घूस नही दिया है ..पर बहुत गुस्सा आता है...मैंने आजतक घूस नही दिया है ..पर बहुत गुस्सा आता है उन लोगों पर जिन्होंने इसे सामाजिक परंपरा बना दिया है ..बाकि आपकी पोस्ट पढ़कर मुझे कुछ और भी महसूस हुआ ..वह बाद में कहूँगीL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-54631588386062037722009-05-15T14:22:00.000-04:002009-05-15T14:22:00.000-04:00अभिषेक भाई,
रीटाय्र्ड फौजी बुजुर्ग की कथा से दुख ह...अभिषेक भाई,<br />रीटाय्र्ड फौजी बुजुर्ग की कथा से दुख हुआ क्या करना जब सारे कूँए मेँ भाँग मिली हो ? :-(<br />मेरे पापा जी जैसे लोग जिन्होँने सत्य के मार्ग पर चलते हुए जीवन पूरा किया बहुत सारे <br />अभावोँ मेँ जीये परँतु आज उन्हीँकी जीवनी सुवर्ण की चमकती रेखा के सामान मार्ग दीखलाती है<br />आपने गर्मी मेँ बोतल खरीदकर पानी पी लिया वो अच्छा किया :-)<br />स स्नेह,<br /><br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-7629595543683179662009-05-15T11:09:00.000-04:002009-05-15T11:09:00.000-04:00jab tak bache rahein is lene dene ke chakkar se ut...jab tak bache rahein is lene dene ke chakkar se utna hi achchha hai. par shayad ye baat insia ki ho bharat humne bhi kahan dekha hai?Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-84804505576895648692009-05-15T06:29:00.000-04:002009-05-15T06:29:00.000-04:00यह स्थितियां वाकई विचलित करती हैं। पर अफसोस इसका क...यह स्थितियां वाकई विचलित करती हैं। पर अफसोस इसका कोई उपाय नहीं निकल रहा।<br /><br /><A HREF="http://alizakir.blogspot.com/" REL="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</A> <br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </A><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">& SBAI }</A>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-30962116701521908932009-05-14T21:48:00.000-04:002009-05-14T21:48:00.000-04:00बेहक रोचक घटना का वर्णन आपने किया है । क्या हमारे ...बेहक रोचक घटना का वर्णन आपने किया है । क्या हमारे देश की स्थिति यही है कि बिना घूस के नौकरी नही होती । सवाल यह है कि फौज की नौकरी के लिए भी अगर घूस चाहिए तो निश्चित रूप से हमारी सेना को कमजोर बनाना है । घूस पर गए बाबू क्या देश की सुरछा कर पाएगे । वैसे तो अपने विहार में बिना घूस के कोई काम होता नही है तो इस घटना पर ज्यादा बहस नही होनी चाहिए। आभारkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-83078856930520639312009-05-14T11:06:00.000-04:002009-05-14T11:06:00.000-04:00ये लेन देन तो हमारी रोजमर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा...ये लेन देन तो हमारी रोजमर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया है. हम कितनी बार ही जल्दी के चक्कर में रेड लाइट क्रॉस करते है... हमें पता होता है की आगे 'मामा' खडा होगा और हाथ के इशारे से गाड़ी किनारे लगवायेगा.... पर ये भी पता होता है की उससे कैसे छूटा जाता है...... <br /><br />अगर काम आसानी से होता है तो कौन लफडे में फंसे.......Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-44782682900554449062009-05-14T06:42:00.000-04:002009-05-14T06:42:00.000-04:00ये इमानदारी भी न.. बहुत सवाल पैदा ्करती.. बहुत परे...ये इमानदारी भी न.. बहुत सवाल पैदा ्करती.. बहुत परेशानियों में डालती है.. बहुत परिक्षाऐं लेती है... बड़ी कठीन है राह पनघट की.. पर जमे रहो... कहीं तो मिलेगी... कभी तो मिलेगी...रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-46878332431258563172009-05-14T04:37:00.000-04:002009-05-14T04:37:00.000-04:00आश्चर्य होगा आप को कि मैं ने कभी घूस नहीं दी और न ...आश्चर्य होगा आप को कि मैं ने कभी घूस नहीं दी और न कभी इस के लिए किसी को प्रोत्साहित किया। फिर भी रोजमर्रा के काम होते हैं। हाँ कुछ समय अधिक लगता है कुछ श्रम भी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-68200183334930634262009-05-14T04:29:00.000-04:002009-05-14T04:29:00.000-04:00जिन्दा रहना है तो लेन देन की रस्म निभाते रहो.. वर...जिन्दा रहना है तो लेन देन की रस्म निभाते रहो.. वरना दूध में से मक्खी की तरह निकाल फेंक दिए जायेंगे हम.. वैसे हमारी एक मित्र मंडली है जिनका फैसला है कि न कभी घूस देंगे ना लेंगे.. हमने तो अब तक निभाया है अपना धर्म.. इसी वजह से पासपोर्ट का फार्म वेरीफाई नहीं हुआ और साहब देख लेने की धमकी और दे गए.. वैसे हमारे एक साथी इसमें फिसल गए और दौ सौ रूपये देकर पासपोर्ट बनवा लिए.. पर हम बेवकूफों की तरह अब भी बैठे है सोच कर कि राम राज्य आएगा..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-82186376072543619992009-05-14T03:42:00.000-04:002009-05-14T03:42:00.000-04:00शायद घूंस आज अनिवार्य बन गया है. और अंकल जी ने सही...शायद घूंस आज अनिवार्य बन गया है. और अंकल जी ने सही कहा, की "उन्होंने दूनिया देखी है" और "सभी ओवर क्वालिफाइड ही हैं". पर क्या करें हम, यही आज का यथार्थ है.<br /><br />http://merekhwab.blogspot.com/Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-74076418430823755832009-05-14T01:50:00.000-04:002009-05-14T01:50:00.000-04:00अंकल जी ने 'दुनियाँ देखी है.' शायद ठीक कह रहे होंग...अंकल जी ने 'दुनियाँ देखी है.' शायद ठीक कह रहे होंगे.<br />वैसे उन्हें घूस नहीं देना चाहिए.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-14791084270205908852009-05-13T22:53:00.000-04:002009-05-13T22:53:00.000-04:00बड़ी परेशानी है..सहूलियत मिल जाती है घूस देकर तो यह...बड़ी परेशानी है..सहूलियत मिल जाती है घूस देकर तो यह नासूर हटता भी नहीं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-15559174804774033352009-05-13T22:35:00.000-04:002009-05-13T22:35:00.000-04:00यह यथार्थ ही है भाई ,अक्सर लोग -बाग़ समय बचानें के...यह यथार्थ ही है भाई ,अक्सर लोग -बाग़ समय बचानें के लिए अपने कम वाले पटल पर घूस दे देंते है ,सामने वाले को नोट गिनने की इतनी बुरी आदत पद जाती है की फिर बगैर उसके उससे कुछ भी नही होता .फिर हम जैसे लोंगों की मुसीबत बढ़ जाती है जो कि नतो लेते है और न ही देंते हैं ,अब आप ही बताइए उनके काम कैसे होतें हैं वह भी आराम से सहजता के साथ .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-68566157987833936122009-05-13T21:47:00.000-04:002009-05-13T21:47:00.000-04:00बड़ी आफ़त है!बड़ी आफ़त है!अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-88239735138398132712009-05-13T21:40:00.000-04:002009-05-13T21:40:00.000-04:00अपने यहाँ तो कुछ मास्टरों को छोड़ कर सरे मास्टर घू...अपने यहाँ तो कुछ मास्टरों को छोड़ कर सरे मास्टर घूश पाएंगे कहाँ से!! इसलिए हम तो आज तक इमानदार हुए न??<br /><br />कुछ मास्टर घूश वुश न ले तो सर्व शिक्षा अभियान को गति कैसे मिलेगी?<br /><br />सब पढें - सब बढ़ें की जगह समझा जाये -------> सब खाएं - सब कमायें !!<br /><br /><br />बकिया घूश लेने में हमारे अधिकारी व बाबू का कोई जवाब नहीं!!<br />और तो और अब तो यह दावा भी कि यह तो ऊपर तक जाती है!!<br /><br /><br /><br />रब ही जाने रब की माया !!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-29043937458228177312009-05-13T20:59:00.000-04:002009-05-13T20:59:00.000-04:00भाई बडा मुश्किल है बिना घूस के जीवन. बिना हवा के क...भाई बडा मुश्किल है बिना घूस के जीवन. बिना हवा के कोई कैसे जियेगा? आज के जमाने मे इसको आक्सीजन कहा जाता है.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-44851810577732384762009-05-13T20:15:00.000-04:002009-05-13T20:15:00.000-04:00मैं घूस देने के मामले में अब तक बचा रहा हूं। लेने ...मैं घूस देने के मामले में अब तक बचा रहा हूं। लेने से बचना तो व्यक्तिगत प्रवृत्ति का सवाल है - लिहाजा वह कष्ट नहीं देता। पर देने के मामले में कभी कभी सोचता हूं कि बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी। नौकरी के बाद का जीवन, जब आपको स्वयं बहुत कुछ करना होगा, आपको काट कर रख देगा। <br /><A HREF="http://feedproxy.google.com/~r/blogspot/REZH/~3/7Gj6308-2GU/blog-post_13.html" REL="nofollow">इष्टदेव जी लिखते भी हैं</A> - एकदम अकेले. जैसे हमारे देश में रिटायर होने के बाद ईमानदार टाइप के सरकारी अफसरों को कर दिया जाता है. <br />आगे की राह कठिन है। और वह तब, जब आदर्श का जोश थकने के कगार पर है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com