tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post7793534490725053439..comments2023-10-26T09:37:37.046-04:00Comments on ओझा उवाच: सीट नं ६३ Abhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-77418458523567286352018-02-09T01:05:10.636-05:002018-02-09T01:05:10.636-05:00हम तो यादा-कदा बनारस जाते रहते है, आज पढ़ा तो मैं भ...हम तो यादा-कदा बनारस जाते रहते है, आज पढ़ा तो मैं भी आपके साथ बनारस से बलिया हो लिया। लेखन की यही ख़ासियत होनी चाहिये कि पाठक भी सहयात्री बन जाये। लाजवाब!साथ ही एक शिकायत भी है अगर mail द्वारा आने की सुचना कर देते तो दर्शन लाभ भी मिल जाता। Rahul Shrivastavhttps://www.blogger.com/profile/14917338332002948665noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-21910843095260125512017-12-31T07:39:18.616-05:002017-12-31T07:39:18.616-05:00बहुत खूब ! आनन्दित हुये बहुत दिन बाद बांचकर इसे ! ...बहुत खूब ! आनन्दित हुये बहुत दिन बाद बांचकर इसे ! :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-53552520970294354522017-11-18T11:08:10.782-05:002017-11-18T11:08:10.782-05:00कविता या यूँ कहिये कि बलेसर के गीत सुनते जा रहे थे...कविता या यूँ कहिये कि बलेसर के गीत सुनते जा रहे थे आपके मुंह से बलिया तक! लाज़बाब लेखन! विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-50339652077807930802017-11-15T07:21:52.699-05:002017-11-15T07:21:52.699-05:00jab jab aap ka post padhta hoo to apni umra se 52 ...jab jab aap ka post padhta hoo to apni umra se 52 varsha peechhe chala jata hoon. AAp ki umra shayad 30 ke aas paas ho, yaani 22 varsha ke beech main beech main bhi kuchh nahin badla tha. apne padhne wale dinon main waapas pahunchane ke liye dhanyavad.Giridhari Sarrafhttps://www.blogger.com/profile/03063177190029415784noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-87978887399941681302017-11-13T05:51:34.054-05:002017-11-13T05:51:34.054-05:00/\ gurudev...gajjab ki 'sankhayki' ......b.../\ gurudev...gajjab ki 'sankhayki' ......bakiya 'abhi' bhai.........aap kauno bhulne wale "lairika' thore ho.....grib aadmi hoon 'sone' ke sakhsiyat hoti to aapko 'hire' ke tarah 'jar' leta.....jai ho<br />sanjay jhahttps://www.blogger.com/profile/02653657010635009940noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-64989066263594707962017-11-05T01:06:40.888-04:002017-11-05T01:06:40.888-04:00सुन्दरसुन्दरसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-6825996294702166722017-11-05T01:00:08.567-04:002017-11-05T01:00:08.567-04:00पढ़ने का आनंद (का फ़ैक्टर) = {"एक और ट्रेन या...पढ़ने का आनंद (का फ़ैक्टर) = {"एक और ट्रेन यात्रा-संस्मरण" + ग़ज़ब का हास्य-व्यंग्य}/0<br />:)<br />रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-28166360261074705592017-11-04T02:59:04.870-04:002017-11-04T02:59:04.870-04:00तुम ना लिखते हो तो एकदम से जी उठता है सब आँख के सा...तुम ना लिखते हो तो एकदम से जी उठता है सब आँख के सामने। सारे किरदार चले आते हैं चहलक़दमी करते हुए। वो बग़ल की सीट पर बैठे भाईसाहब। वो टीटी। खिड़की से बाहर दिखते ट्रक। <br /><br />उसपर तुम्हारा ख़तरनाक सेन्स औफ़ ह्यूमर। चीज़ों की बारीकी सहेजने की कमाल की क्षमता। डिटेलिंग तो हमने क्या ही देखी है जैसा तुम करते हो। <br /><br />क्या क्या ना मन करता है तुमको पढ़ के। मालूम। बहुत साल पहले जब पटना में रहते थे ना, तो हमारे पड़ोसी जो थे, वो भोजपुरी बोलते थे। उनके साथ कच्चा पक्का भोजपुरी बोलना सीखे थे। तनी मनी बोलबो करते थे वहाँ। अब बोलोगे कि हमरे घर का भाषा भागलपुरी है तो हमको भोजपुरी बोलने का कौनची शौख चढ़ा था। तो का करें रे बाबू, घरौआ बोली बोले में सब दीदी भैय्या लोग इतना ना चिढ़ाता था कि का बतलाएँ तुमको। भोजपुरी उल्टा पुल्टा भी बोलते थे तो कोई धमकाता नै था। सिखाता था ठीक से। फिर दिल्ली गए। एक तो लड़का था वहाँ। हमारे साथ IIMC में। उससे पहले दिन बातवे यहाँ से शुरू हुआ था कि अच्छा, हम भी बिहारे से हैं। वो भोजपुरी बोलता था। उसके साथ बतियाते थे वैसा ही। 'बूझलू ना' बोल के। वो ख़ूब हँसता था, कि बाबू, बूझलू लड़की के लिए बोलते हैं। बोलो, बूझल...तो ख़ैर। <br /><br />वैसे तो बहुत कुछ सीखा जा सकता है किसी से भी। लेकिन तुम्हारी तरह नॉस्टैल्जिया को ऐसे सब रंग में रखना कैसे आएगा। सिखाओ ना थोड़ा हमको। इतना कुछ जो याद रखते हो तुम। कितना GB है रे तुम्हारे मेमरी में? तुम थोड़ा और नहीं लिख सकते? माने कि इतना कि आदत लग जाए? कि खुराकी जैसा कुछ...तलब जैसा कुछ? लतख़ोर 🤦♀️<br /><br />याद है, ब्लॉगिंग के दिन वाले हमारे डाइयलोग? 'ज़मीन पर गिरा हुआ हूँ कोई आ के उठा ले', या कि हमारा वाला, 'हमारी कोई सल्तनत होती तो तुम्हारे नाम लिख देते'। सब याद आ रहे हैं एक एक करके।<br /><br />जियऽ हो बलिया के बाबू :) तोहरा हमार उमर लग जाई। <br />रऊआ तनी बेसी लिखऽब नईखे? थूरबऽ ओहिं जा के के सौंसे देह दुखाएल बहुत्ते। <br />बूझलऽ?!<br />--<br />(बस बस, इतना ही भोजपुरी आता है हमको :D :D )Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.com