tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post6737731685105961652..comments2023-10-26T09:37:37.046-04:00Comments on ओझा उवाच: मन्ना हटाAbhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-14106278439315925182011-10-23T07:59:30.533-04:002011-10-23T07:59:30.533-04:00excellentexcellentAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11291818100696183607noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-58755826220796280422011-07-12T00:48:43.694-04:002011-07-12T00:48:43.694-04:00खूबसूरती पर लिखी एक खूबसूरत पोस्ट...इस नए शहर को आ...खूबसूरती पर लिखी एक खूबसूरत पोस्ट...इस नए शहर को आपकी आँखों से देखा...और शायद कहीं दिल दिमाग में खूबसूरती रही होगी इसलिए शहर अच्छा लग रहा है...धुला धुला सा. नदी किनारे शहर वैसे भी बेहद खूबसूरत लगते हैं मुझे.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-90487899547288706532011-07-12T00:06:35.384-04:002011-07-12T00:06:35.384-04:00@संजयजी: विषयान्तर, अच्छे विषय की ओर लेकर जाए तो क...@संजयजी: विषयान्तर, अच्छे विषय की ओर लेकर जाए तो कोई बुरे नहीं :)<br />@अविनाशजी: धन्यवाद.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-82996275883107630662011-07-08T14:41:33.265-04:002011-07-08T14:41:33.265-04:00पढ़ा, लिंक्स भी देख/पढ़ आया।
इस सुन्दर आलेख को पढ़ा र...पढ़ा, लिंक्स भी देख/पढ़ आया।<br />इस सुन्दर आलेख को पढ़ा रुचिकर था, विषयांतर जो कहा आपने वो भी।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-83258091372259208222011-07-07T11:50:49.786-04:002011-07-07T11:50:49.786-04:00हमारे एक सीनियर कुलीग को कई बार जोर से चिल्लाते सु...हमारे एक सीनियर कुलीग को कई बार जोर से चिल्लाते सुना, ’मन्ना कर।’ बाद में समझ आई कि जब उनसे कोई शरारत करता था(और कोई न कोई उनसे शरारत जरूर करता था) तो वो बी.पी. के मरीज होने के कारण एकदम से उबाल खा जाते थे और अपनी तरफ़ से कहते थे ’मत ना कर।’ एक दिन फ़िर उन्होंने वही कहा और मैं उनसे कह बैठा कि मत और ना दोनों का एक ही तो मतलब है। बदले में मैंने भी सुना ’मन्ना कर शरारत।’<br />एकदम प्राकृतिक तरीके से कहते थे, बिना किसी कृत्रिमता के और सुनने में खूबसूरत(?) भी लगता था वो तकिया कलाम। पोस्ट का टाईटिल देखकर लगा वैसा ही कोई वाकया है।<br />विषयांतर तो नहीं हो गया कमेंट में?संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-43688696273519593642011-07-06T15:31:50.098-04:002011-07-06T15:31:50.098-04:00@मनीषजी: कभी उसपर भी लिखा जाएगा. वैसे मुझे अपनी उम...@मनीषजी: कभी उसपर भी लिखा जाएगा. वैसे मुझे अपनी उम्र के लोगों की ही लाइफ का पता है :) परिवार वाले भारतीय लोगों से कम ही मिलना जुलना हो पाता है.<br />@गौरवजी: बिलकुल, मिलना तो होगा ही. वैसे शायद मिलने के बाद प्रसंशक न रह पाएं आप. मिलकर ये भ्रम भी तोड़ ही देते हैं :)<br />@बृजमोहनजी: धन्यवाद.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-42990103307477528202011-07-06T08:55:07.553-04:002011-07-06T08:55:07.553-04:00खूबसूरती नजारों में नहीं नजरों में होती है। नकली ख...खूबसूरती नजारों में नहीं नजरों में होती है। नकली खूबसूरती असली को मात दे तो रही है । चित्र वाकई सुन्दर है । यह चित्र आपकी उस बात के विपरीत है कि खूबसूरती व्यक्ति की नजर मे होती है। जो खूबसूरत है वो तो लगेगा ही । दूसरा चित्र और भी मनोहारी। वीडीओ क्लिप और भी शानदार । बहुत अच्छा लगा पढ कर और देख करBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-20071239538224013712011-07-04T15:28:05.578-04:002011-07-04T15:28:05.578-04:00अभिषेक जी , मुझे भी आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगेगा . ...अभिषेक जी , मुझे भी आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगेगा . इतने सालों से आपका ब्लॉग पड़ते हुए , मै आपका प्रसंसक बन गया हूँ. देखते हैं , अगर न्यू यौर्क में नहीं मिल पाता हूँ तो फिर आप से इंडिया में मिलने की कोशिश करूँगा. वैसे जब आप पिचली बार आई आई टी कानपूर आये तो हम चुक गए थे आपसे मिलने में .Gaurav Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/14985147209787200096noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-74026039500066017872011-07-04T14:17:47.696-04:002011-07-04T14:17:47.696-04:00@ अभिषेक,
बात तो आपने सही कही....आज भी लडकियाँ......@ अभिषेक,<br /><br />बात तो आपने सही कही....आज भी लडकियाँ...सड़कों पर घूम लें...दोस्तों के साथ हों या ...अजनबियों के सामने...उन्हें कोई संकोच नहीं होता पर अगर कोई बड़ा बुजुर्ग सामने पड़ जाता है तो वे कॉन्शस हो उठती हैं....मुझे विपाशा बसु की वो फोटो याद आ रही है....जिसमे वे बेहद छोटे कपड़ों में जॉन अब्राहम की माँ के साथ बैठी थीं...और उनका एक हाथ क्रॉस करता हुआ...दूसरे कंधे पर था और दूसरा हाथ...क्रॉस करता हुआ घुटनों पर. मैने भी यही सोचा था...या तो ऐसे कपड़े मत पहनो...या फिर इतना आत्मविश्वास रखो.....:)<br /><br />पर यह स्वाभाविक है...स्विमिंग कॉस्टयूम में कोई पुरुष भी...अपने पिता...ससुर...के सामने यूँ ही संकोच से भर जायेगा.<br /><br />इस मामले में हिंदी ब्लोगिंग अभी सचमुच शैशव अवस्था में ही है. अभी तो आप जैसे शरीफ { बाकी सब भी शरीफ हैं बाबा, no offence :) }लड़के को बड़ी हिम्मत करनी पड़ेगी...'विषयांतर' लिखने के लिए.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-83605226450026957682011-07-04T13:51:28.629-04:002011-07-04T13:51:28.629-04:00मैनहटन की इन गगनचुंबी इमारतों की खूबसूरती हमारे सा...मैनहटन की इन गगनचुंबी इमारतों की खूबसूरती हमारे सामने लाने के लिए धन्यवाद। वहाँ एक अप्रवासी की सोशल लाइफ कैसी है इस पर भी लिखें।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-535287241687637742011-07-04T12:23:05.595-04:002011-07-04T12:23:05.595-04:00@रश्मिजी: धन्यवाद. आपने वो बात पकड़ ली, जिसे लिखने...@रश्मिजी: धन्यवाद. आपने वो बात पकड़ ली, जिसे लिखने में सच में मैं घबरा ही गया था. <br /><br />मुझे विषयान्तर से डर लगता है. पर आपने कहा तो विस्तार दे देता हूँ, प्रतिटिपण्णी में ही सही :) <br />--<br />बहुत पहले एक पोस्ट में मैंने छोटे कपड़ों को लेकर कहा था: <br />सन्दर्भ ये था: हर दो मिनट पर जुल्फों को ठीक करती हुई और अपने कपडों को नीचे खीचती हुई... एक लड़की. उसके लिए: <br />'मैं ये थोड़े ना कह रहा हूँ की ड्रेस ख़राब है ये तो कुछ ज्यादा ही अच्छा है... पर मैं ये कह रहा हूँ कि या तो ऐसा पहनो और निश्चिंत हो जाओ, जैसा की यूरोप में करती हैं... या फिर एक इंच बड़ा ही पहन लेने में क्या बुराई है...' [तब मैंने मैनहट्टन नहीं देखा था]<br /><br />महिला सशक्तिकरण के मामले में मुझे उस दिन का इंतज़ार है जब लड़कियों को हर दो मिनट पर अपने कपडे नीचे करने की चिंता नहीं सताएगी. [और वो निश्चिन्त हो अपने जुल्फों को सुलझा कर पाएंगी :)] ये आजादी मुझे न्यूयोर्क में दिखती हैं. इस शहर को उस आजादी की सीमा की चिंता नहीं. <br /> <br />यूँ तो मैं पोस्ट 'आजादी की सीमा' और जो 'परफेक्ट दिखे उसके पूर्ण प्राकृतिक होने पर शक होता है' पर लिखने वाला था लेकिन... पोस्ट मैनहट्टन पर ही खतम हो गयी. पोस्ट पर फोटो भी <a href="http://www.amazon.com/Emo-Silicone-Free-T-shirt/dp/B000MQVMM2" rel="nofollow">ये लगाने की सोचा था </a>... लेकिन... <br />फिलहाल तो मैं अपने जैसों के लिए उस दिन की भी सोच रहा हूँ जब मुझ जैसे लोग भी हिंदी ब्लॉग्गिंग में निश्चिन्त हो 'विषयान्तर' लिख पायेंगे. विवाद की चिंता छोड़ :) <br />--Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-61887520252960851652011-07-04T11:52:15.470-04:002011-07-04T11:52:15.470-04:00@प्रवीणजी: 'मेधा और श्रम का अद्भुत संयोग' ...@प्रवीणजी: 'मेधा और श्रम का अद्भुत संयोग' ये बिल्कुल सही विशेषण दिया है आपने. धन्यवाद. <br /><br />@गौरवजी: धन्यवाद. प्राकृतिक खूबसूरती का नाम चले तो सिक्किम का नाम मेरे मानस पटल पर हमेशा ही आता है. आपका न्यू योर्क आना हो तो जरूर बताएं. बहुत अच्छा लगेगा आपसे मिलकर.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-78648591237031285032011-07-04T11:25:59.812-04:002011-07-04T11:25:59.812-04:00@मनोजजी: धन्यवाद.
@मीनाक्षीजी: हमारी सोच कई बार म...@मनोजजी: धन्यवाद. <br />@मीनाक्षीजी: हमारी सोच कई बार मिल जारी है. बिल्कुल एक जैसी :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-90279630020876617902011-07-04T11:19:00.462-04:002011-07-04T11:19:00.462-04:00@अनुरागजी: 'मन ना हटे' - ये अच्छा अर्थ निक...@अनुरागजी: 'मन ना हटे' - ये अच्छा अर्थ निकाला आपने. धन्यवाद. <br />@आशीषजी: आपकी सिडनी तो मैनहट्टन की गर्लफ्रेंड जैसी खूबसूरत है :) <br />@राहुलजी: वैसे बात तो आपकी सही है. कई बार वो सारी बातें जो अकेलापन को दूर करती हैं वही बातें उसे और सघन भी बना देती हैं.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-84411272472256730132011-07-04T10:22:03.230-04:002011-07-04T10:22:03.230-04:00विषयांतर से इतना घबरा क्यूँ गए....थोड़ा और चलने द...विषयांतर से इतना घबरा क्यूँ गए....थोड़ा और चलने देते...विषयांतर...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-43240838742398191332011-07-04T01:51:04.558-04:002011-07-04T01:51:04.558-04:00अभिषेक जी , मैंअन हट्टन और सिलिकन वैली मुझे बहुत ...अभिषेक जी , मैंअन हट्टन और सिलिकन वैली मुझे बहुत आकर्षित करते हैं . एक बार इन स्ताथानो को देखने की इच्छा है . इनके अलावा , बर्कले विश्विद्यालय और स्तान्फोर्ड विश्विद्यालय को भी देखने की इच्छा है . मेए वाटरलू विश्विद्यालय --कनाडा में विसिटिंग शोध छात्र हूँ. हमारे विश्विद्यालय से कुछ लोग न्यू यौर्क का टूर बना रहे हैं , लेकिन सायद तब तक मेए वापस इंडिया चला जाऊंगा . अगर जल्दी आना हुआ तो आपसे मुलाकात भी हो जाएगी.Gaurav Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/14985147209787200096noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-14686056474500615462011-07-03T08:42:48.179-04:002011-07-03T08:42:48.179-04:00निश्चय ही प्राकृतिक सौन्दर्य मन को एक शान्ति प्रदा...निश्चय ही प्राकृतिक सौन्दर्य मन को एक शान्ति प्रदान करता है, पर मानवकृत सौन्दर्य भी अभिभूत करता है। मेधा और श्रम का अद्भुत संयोग।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-75815287738338746502011-07-03T04:49:05.972-04:002011-07-03T04:49:05.972-04:00मानव-मन की स्वाभाविक सोच और उत्सुकता...एक वक्त के ...मानव-मन की स्वाभाविक सोच और उत्सुकता...एक वक्त के बाद किसी भी देश या शहर में रहने से प्यार हो जाना स्वाभाविक है..<br />"मुझे तो लगता है कि कुछ परफेक्ट दिखे तो उसके प्राकृतिक होने की सम्भावना कम ही है." आपकी इस बात से पूरी तरह से सहमत..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-25345824648784436312011-07-03T00:19:41.690-04:002011-07-03T00:19:41.690-04:00’मन्ना-हटा’ (मैनहट्टन ) को देख तबियत मस्त हो गयी,ब...’मन्ना-हटा’ (मैनहट्टन ) को देख तबियत मस्त हो गयी,बहुत खूबसूरत नजारा,परिचित करने के लिए धन्यवाद.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-42037565400225694922011-07-03T00:03:54.654-04:002011-07-03T00:03:54.654-04:00इसी भीड़ में कई बार अकेलापन सघन हो जाता है.इसी भीड़ में कई बार अकेलापन सघन हो जाता है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-3273022576305924802011-07-02T20:33:30.642-04:002011-07-02T20:33:30.642-04:00एक नजर हमारी सीडनी पर भी डाल ली जाए !एक नजर <a href="http://www.google.com.au/search?q=sydney+opera+house&hl=en&safe=off&client=safari&rls=en&prmd=ivnscm&source=lnms&tbm=isch&ei=JrgPTuC9BabvmAWWwfCnDg&sa=X&oi=mode_link&ct=mode&cd=2&ved=0CBgQ_AUoAQ&biw=1280&bih=623#hl=en&safe=off&client=safari&rls=en&tbm=isch&sa=X&ei=O7gPTtqXJqHcmAXOuuG2BA&ved=0CDUQBSgA&q=sydney+skyline&spell=1&bav=on.2,or.r_gc.r_pw.&fp=a1c46f8086ec335c&biw=1280&bih=623" rel="nofollow">हमारी सीडनी</a> पर भी डाल ली जाए !Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-16233949218219189282011-07-02T20:25:12.498-04:002011-07-02T20:25:12.498-04:00बहुत सुन्दर आलेख (विडिओ भी)बहुत सुन्दर आलेख (विडिओ भी)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-64575395792613899492011-07-02T20:24:49.800-04:002011-07-02T20:24:49.800-04:00विविधता की सही कही। उस छोटे से क्षेत्र में मानो सम...विविधता की सही कही। उस छोटे से क्षेत्र में मानो सम्पूर्ण संसार छिपा बैठा है, बिना देखे शायद अहसास ही न हो। मन ना हटे!?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com