tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post5061138671457042247..comments2023-10-26T09:37:37.046-04:00Comments on ओझा उवाच: उनके प्यार का ग्राफAbhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-58049765368976480332009-12-29T05:43:39.072-05:002009-12-29T05:43:39.072-05:00हाय री गणित???हाय री गणित???प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-55104694567208659922009-10-14T00:24:31.393-04:002009-10-14T00:24:31.393-04:00उत्कृष्ट लेखन.
वैसे भावों का स्थिर रहा जाना एक दु...उत्कृष्ट लेखन. <br />वैसे भावों का स्थिर रहा जाना एक दुर्लभ घटना मानी जायेगी. <br />धन्यवाद आपका!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-82892965619916053042009-09-30T11:38:44.876-04:002009-09-30T11:38:44.876-04:00क्या मामला है, क्या हो गया।क्या मामला है, क्या हो गया।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-79155368628125496222009-09-29T06:13:44.646-04:002009-09-29T06:13:44.646-04:00मियां,
प्यार का गणित बहुत संजीदगी से समझा गए, ग्रा...मियां,<br />प्यार का गणित बहुत संजीदगी से समझा गए, ग्राफ भी बहुत बढ़िया और सटीक बनाया है.<br /><br />हार्दिक बधाई आपके ईस नए, निराले गणितीय अंदाज़ के लिए.<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्त<br />जयपुर<br />www.cmgupta.blogspot.comMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-88448056884713461322009-09-28T06:22:20.062-04:002009-09-28T06:22:20.062-04:00दो समानांतर रेखाएँ कभी नहीं मिलती । आपने प्यार का ...दो समानांतर रेखाएँ कभी नहीं मिलती । आपने प्यार का जो ग्राफ चित्रित किया है उसमें दोनों का मिलन स्थल कहीं आया ही नहीं और आगे तो वे समांतर दूरियों पर बढ़ रहें ।<br /><br />अगर प्रेमियों के बीच किसी स्तर पर मिलन बिंदु का स्पर्श भी होता तो हम कह देते की वह कशिश कहीं न कहीं फिर उन्हें मिला देगी ।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-40811202387771541412009-09-28T01:16:33.512-04:002009-09-28T01:16:33.512-04:00इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घण...इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-874245759219351202009-09-27T15:27:38.683-04:002009-09-27T15:27:38.683-04:00kya ozaji, kahn pyar aur kahan aapke ye neeras gra...kya ozaji, kahn pyar aur kahan aapke ye neeras graph. inko choden aur ek khoobsurat sher likh kar bhejen unhe. Dekhiye khinch kar chalee aayengee.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-89220345690193476762009-09-26T09:46:18.893-04:002009-09-26T09:46:18.893-04:00ग्राफ तो यही कह रहा है कि वापस ऊपर चढेगा, और यही न...ग्राफ तो यही कह रहा है कि वापस ऊपर चढेगा, और यही नियम भी तो है। <br />:)<br />बहुत सुन्दर पोस्ट।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-29542389417213768902009-09-25T10:52:08.379-04:002009-09-25T10:52:08.379-04:00आप शादी क्यों नहीं कर लेते? इससे पहले कि लोग यह पू...आप शादी क्यों नहीं कर लेते? इससे पहले कि लोग यह पूछने लगें कि “आपने शादी क्यों नहीं की?”<br /><br />:) :) :) :Dसिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-83759586211476632982009-09-24T10:00:21.333-04:002009-09-24T10:00:21.333-04:00कभी कभी हम कुछ रिश्तो को ग्रांटेड मान लेते है .......कभी कभी हम कुछ रिश्तो को ग्रांटेड मान लेते है ....उन्हें भी एक रिचार्ज की जरुरत होती है ...वक़्त बेवक्त...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-46027306413794408172009-09-24T07:21:04.581-04:002009-09-24T07:21:04.581-04:00,,ताली एक हाथ से नहीं बजती , अनवन तो चलती रहती है...,,ताली एक हाथ से नहीं बजती , अनवन तो चलती रहती है जिंदगी भर |बेशक ये जिंतना प्यार करते हैं उतनी ही वो नफरत नहीं करती होगी । प्यार के साथ आदतें बदलने पर दवाब डाला होगा ,अकारण नफरत नहीं होती ,पुरुषोचित अहम .,ईगो के साथ उनकी आदतें बदलने को कहा गया होगा। जिन्दगी शांत होजाना शून्य हो जाना खतरनाक स्थिति है , ये बाहरी शून्य है अंदर ज्वालामुखी पनप रहा है दोनो में, और जब फूटेगा तो मुसीबत हो जायेगी। प्रेम बिबाह को इस हेतु दोषी ठहराना उचित नहीं है हाँ यह बात ज़रूर है जब प्रेम होने लगता है प्रेमी का सिगरेट के छल्ले उडाना भी अच्छा लगता है और शादी के बाद भी सिगरेट पीने की अदा बुरी लगने लगती है ॥अब बो बेचारा क्या करे = अपना अभिमान छोड़ दे ,थोडा त्याग करे ,कुछ थोडा बहुत सहन करे ,एकाध दिन तबीयत ख़राब हो जाये और खाना न बन पाए तो चिल्लये नहीं परिस्स्थिति समझे होटल से ले आये | अकारण कोई प्यार के बदले नफरत नहीं करता है | उसका यह कहना गलत है कि आज भी उससे प्यार करता है ,वह प्यार नहीं अनुशासन चाहता है | तभी समझ गया था जब आदतें बदलने बाली बात शुरू हो गई थी किमैने अपनी आदतें बदल ली तुम क्यों नहीं बदल सकती |BrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-59822398835739642009-09-24T07:20:45.995-04:002009-09-24T07:20:45.995-04:00संवेदना का भी विश्लेषण ? रंजना जी की टिप्पणी ही फॉ...संवेदना का भी विश्लेषण ? रंजना जी की टिप्पणी ही फॉरवर्ड कर रहा हूँ । <br /><br />प्रविष्टि गजब है । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-14194611488366472942009-09-24T06:17:32.358-04:002009-09-24T06:17:32.358-04:00गणित में उलझा दिया आपने बेचारे प्यार के ग्राफ को :...गणित में उलझा दिया आपने बेचारे प्यार के ग्राफ को :)यहाँ इस बात में मैं भी रंजना से सहमत हूँ .आज कल प्यार कहाँ रहा वह तो उलझ के रह गया है जीवन के गणित के मोल तोल के भाव मेंरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-74041415435318435012009-09-24T02:16:17.077-04:002009-09-24T02:16:17.077-04:00bahut hi sundar prastuti hai.bahut hi sundar prastuti hai.Naveen Tyagihttps://www.blogger.com/profile/01394196176816740876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-89180957468023898252009-09-23T15:03:21.295-04:002009-09-23T15:03:21.295-04:00तुमने अपने मित्र की जो समस्या बताई है वो सार्वदेशि...तुमने अपने मित्र की जो समस्या बताई है वो सार्वदेशिक और सार्वकालिक है। स्थिरता रिश्तों में शून्यता लाती ही है। वैसे आस पेचीदा सवाल का हल तो सही निकाला है पर उसे कार्यान्वित करने के लिए ठंडा दिमाग चाहिए जो ऐसी मनःस्थितियों में बन नहीं पाता।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-29641297605448832882009-09-23T13:02:58.001-04:002009-09-23T13:02:58.001-04:00बहुत बार मैंने इन रिश्तों को समझने की कोशिश की है ...बहुत बार मैंने इन रिश्तों को समझने की कोशिश की है ..अब लगता है समझने भी लगी हूँ ..पर अपवाद हर जगह होते हैंL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-79608199760124227942009-09-23T10:21:51.222-04:002009-09-23T10:21:51.222-04:00सेकेण्ड ईयर में एक सांवली सी लड़की ने कहा था कि रोम...सेकेण्ड ईयर में एक सांवली सी लड़की ने कहा था कि रोमैण्टिकस (Romaticus - a branch of Calculus?) का इलेक्टिव सब्जेक्ट ले लेते हैं। कई लोग वह इलेक्टिव सब्जेक्ट ले रहे थे। लिये होते तो आपकी यह पोस्ट समझ में आ जाती। <br />उसके बदले हमने सिम्बॉलिक लॉजिक का सब्जेक्ट ले लिया था। ... पुरानी बात है। अब क्या पछतायें! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-34821991090494871912009-09-23T08:48:35.078-04:002009-09-23T08:48:35.078-04:00इसे कहते हैं गणितीय विशलेषण। मुझे लगता है कि मानवी...इसे कहते हैं गणितीय विशलेषण। मुझे लगता है कि मानवीय भाव कभी स्थिर नहीं रहते, वे या तो बढते हैं या फिर घटते हैं।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-26572165791837227762009-09-23T07:25:39.975-04:002009-09-23T07:25:39.975-04:00उनके प्यार के ग्राफ पर एक प्यारी सी पोस्ट /आज प्या...उनके प्यार के ग्राफ पर एक प्यारी सी पोस्ट /आज प्यार ग्राफो की बारम्बरता का नाम हो गया है/जैसा कि जितेन्द्रजी का कहना है कि प्यार मे हिसाब किताब का होना आज का डिमांड है/यह प्यार आज कल है शायद!ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-12629816713566212012009-09-23T07:12:00.465-04:002009-09-23T07:12:00.465-04:00पहले तो सुन्दर लेखन के लिए बधाई ले लीजिये....
फिर...पहले तो सुन्दर लेखन के लिए बधाई ले लीजिये....<br /><br />फिर अपनी बात...<br /><br />सम्बन्ध और प्रेम में जब देने से अधिक लेने का भाव और सूक्ष्म संवेदनाओं का स्थान स्थूल अभिव्यक्तियों की लालसा ले लेती है तो सम्बन्ध और प्रेम दोनों ही ध्वस्त विद्रूप हो जाते हैं....<br />वर्तमान समय की समस्या यही है..प्रेम का तात्पर्य ही अपेक्षा मन जाने लगा है और फिर एकपक्षीय प्रेम कबतक टिका बंधा रहेगा....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-33100612272107586142009-09-23T06:14:44.701-04:002009-09-23T06:14:44.701-04:00अरे भाई किसी वकील साहब से पुछो, हमारे दिनेश राय जी...अरे भाई किसी वकील साहब से पुछो, हमारे दिनेश राय जी की राय मै हम सॊ पर्तिशत सहमत है...<br />हम तो ठहरे पुराने आदमी कभी प्यार व्यार किया नही इस लिये क्या राय दे??अगर पत्थर भी मारे आप की मदद करने के लिये ओर किसी गोरे की खोपडी मै लग गया तो हम तो गये काम से:)<br />लेकिन लेख अच्छा लिखाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-46206988276571993922009-09-23T04:47:49.108-04:002009-09-23T04:47:49.108-04:00प्यार का गणित है या गणित का प्यार?
पोस्ट बढ़िया है...प्यार का गणित है या गणित का प्यार?<br />पोस्ट बढ़िया है.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-13170470339706764922009-09-22T23:39:44.789-04:002009-09-22T23:39:44.789-04:00प्यार-मुहब्बत बच्चों का खेल नहीं है. जब भी यह सब म...प्यार-मुहब्बत बच्चों का खेल नहीं है. जब भी यह सब मामला सुनते देखते हैं तो बाबा कबीरदास ही याद आते हैं,<br />"...सीस उतारे भुई धरे, तब बैठे घर मांही"Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-6273900279349498062009-09-22T22:10:06.289-04:002009-09-22T22:10:06.289-04:00शांत जल की तरह... सब स्थिर... अब इस शून्य से मुझे ...<b>शांत जल की तरह... सब स्थिर... अब इस शून्य से मुझे डर लगने लगा है. भाई मेरे एक पत्थर मार दे किसी तरह इस शांत जल में. प्यार ना सही नफ़रत की तरफ ही सही मुझे परिवर्तन चाहिए ! </b><br /><br />ये ताऊ थ्योरी है, अगर लठ्ठ चलते रहेंगे तो कढी हमेशा उबली हुई गर्मा गर्म रहेगी.:)<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-73774469703723050282009-09-22T22:08:42.757-04:002009-09-22T22:08:42.757-04:00मामला बहुत जटिल लगता है। बिलकुल बिजली के खंबों पर ...मामला बहुत जटिल लगता है। बिलकुल बिजली के खंबों पर खेतों के बीच से गुजरती हाई टेंशन बिजली की लाइन की तरह। जहाँ जाएंगी साथ जाएंगी। दूर दूर रहेंगी। आपस में भिड़ेंगी तो भंयकर गर्जना, चिंगारियाँ और ताप पैदा करेंगी और जो सूखी घास या उस जैसी कोई चीज मिलेगी तो जला कर खाक कर देंगी। पानी को भी नहीं बख्शेंगी। आक्सीजन अलग, हाइड़्रोजन अलग। <br />बस एक उपाय है। बीच में लोड लगाइए। बल्ब तो रोशनी पाइए, पम्प तो कुएँ से पानी निकालिए, मशीन तो खूब उत्पादन पाइए,गांव में रात को उजाला पाइए, शहर को जगमगाइए, रेल चलाइए और अपनी अपनी बैटिरियाँ चार्ज कीजिए फिर उन से कुछ भी करिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com