tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post3238238796809876912..comments2023-10-26T09:37:37.046-04:00Comments on ओझा उवाच: क्या एक ट्रिगर ही काफी है मौत के लिए ?Abhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-43884959232073415082010-03-08T01:04:06.755-05:002010-03-08T01:04:06.755-05:00इक जरासी बात पर बरसों के याराने गए -लेकिन इतना तो ...इक जरासी बात पर बरसों के याराने गए -लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहिचाने गए |रिश्ते बनाना बहुत सरल निवाहना बहुत कठिनBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-62855723409289230012010-03-03T13:37:35.088-05:002010-03-03T13:37:35.088-05:00गजब!!क्या विश्लेषण किया है!!गजब!!क्या विश्लेषण किया है!!वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-43228628693938949442010-03-03T03:25:49.138-05:002010-03-03T03:25:49.138-05:00जिस उंगली को पकड़कर चलना सीखते है वह उंगली ट्रिगर ...जिस उंगली को पकड़कर चलना सीखते है वह उंगली ट्रिगर न दबाये ..तो समझ लो सब ठीक है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-32952964321291290152010-03-02T23:04:51.593-05:002010-03-02T23:04:51.593-05:00अभिषेक !
बहुत बढ़िया पोस्ट लिखी है दोस्त यही जीवन ...अभिषेक !<br />बहुत बढ़िया पोस्ट लिखी है दोस्त यही जीवन का सार है मगर इसको मान्यता नकारात्मक सोच रखने वाले लोग देंगे इसमें संदेह है ! आजकल इसी कष्ट में हूँ ,एक पोस्ट लिखी है अपने एक मित्र के बारे में जिनसे कभी भेंट नहीं हुई मगर दिल में अच्छी जगह दे रखी थी , अब गाँठ सी कसक रही है देखिये कौन महसूस करता है !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-42998660010448655772010-03-01T04:42:09.964-05:002010-03-01T04:42:09.964-05:00मौत के लिए एक ट्रिगर शायद काफी नही है अलबत्ता ट्रि...मौत के लिए एक ट्रिगर शायद काफी नही है अलबत्ता ट्रिगर मौत की अनांउसमेंट कर सकता है. इस तरह की अनांउसमेंट शायद एकदम होती भी नहीं है....बहुत सोचा समझी होती है, कभी कभी तो कोल्ड ब्लेडेड भी..Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-46624201664049483172010-02-27T10:54:55.388-05:002010-02-27T10:54:55.388-05:00लेकिन ये पूरा संसार ही शून्य है और जीवन को गणित से...लेकिन ये पूरा संसार ही शून्य है और जीवन को गणित से नहीं समझा जा सकता.पंकजhttps://www.blogger.com/profile/05230648047026512339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-8796905650056046792010-02-24T21:41:23.518-05:002010-02-24T21:41:23.518-05:00बहुत सुन्दर पोस्ट! कई दिन से इसे रखे था कि आराम से...बहुत सुन्दर पोस्ट! कई दिन से इसे रखे था कि आराम से पढूंगा। आज अभी पढ़ ही ली। जय हो!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-18637796810116845672010-02-22T16:15:17.406-05:002010-02-22T16:15:17.406-05:00अरे आप तो सोचते भी गणित में हैं अभिषेक भाई ..परंतु...अरे आप तो सोचते भी गणित में हैं अभिषेक भाई ..परंतु रिश्तों का समीकरण अच्छा जोड़ा है <br />ये बताओ घुमते ही रहोगे या<br /> १ + १ = २ के बारे में भी सोचोगे ?<br /> हम्म ? ;-) <br />स स्नेह,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-8972455042908119872010-02-22T06:34:00.125-05:002010-02-22T06:34:00.125-05:00"... यकीन मानिए किसी के बारे में सोची गयी बात..."... यकीन मानिए किसी के बारे में सोची गयी बातें और वास्तविकता में बहुत फर्क है "<br />Bookmarked...<br /><br />रिश्ते बनते बिगरते रहने के लिए कारक बहुत हैं, हल करना मतलब उन तमाम कारकों पर सोचना है.<br /><br />कुछ उल्टा सोचने से पहले हल करने में क्या जाता है. पुराने रिश्ते अनमोल होते हैं, यूँ हम थोड़े न गवां देंगे.<br /><br />सब हैप्पी है भईयाSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-59188736392365324042010-02-20T04:55:33.687-05:002010-02-20T04:55:33.687-05:00@हिमांशु । Himanshu :वाह ! क्या पंक्तियाँ उद्धृत क...@हिमांशु । Himanshu :वाह ! क्या पंक्तियाँ उद्धृत की है आपने.. धन्यवाद.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-66787659169217947802010-02-19T22:23:22.088-05:002010-02-19T22:23:22.088-05:00वैसे ’अज्ञेय’ की यह बात याद आयी(कुछ जुड़ती है क्या?...वैसे ’अज्ञेय’ की यह बात याद आयी(कुछ जुड़ती है क्या?)-<br />"समानान्तर सूत्रों से बुनाई नहीं हो सकती - जीवन का पुट बुनने के लिए आवश्यक है कि बहुत से सूत्र आड़े पड़ें ।"Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-47366381607231191772010-02-19T22:20:49.277-05:002010-02-19T22:20:49.277-05:00इतना पढ़ लेने के बाद मैं भी यही कहना चाहता हूँ कि ब...इतना पढ़ लेने के बाद मैं भी यही कहना चाहता हूँ कि बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है आपने ! <br />वाह रे गणित ! अदभुत गणित ! पढ़ते वक्त जीवन की व्याख्या,रिश्तों की व्याख्या में इसकी भूमिका किसी ने नहीं बतायी थी, नहीं तो..Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-34289012700867250012010-02-19T08:49:30.878-05:002010-02-19T08:49:30.878-05:00स्फेरिकल ज्योमैट्री की ओर सही इशारा कर रहे हैं उन्...स्फेरिकल ज्योमैट्री की ओर सही इशारा कर रहे हैं उन्मुक्त जी. जरा ध्यान दीजिये.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-11835968721729664932010-02-19T06:45:00.916-05:002010-02-19T06:45:00.916-05:00अपडेट ३: जिन्हें मनाने के लिए ये पोस्ट लिखी गयी थी...अपडेट ३: जिन्हें मनाने के लिए ये पोस्ट लिखी गयी थी वो मान गए ! :)<br />@रविजी, गणित में तो ० भी चलेगा लेकिन रिश्तों में हम तो १०० की कोशिश हमेशा करते हैं, १०० की कोशिश करेंगे तब तो बुरा भी हुआ तो ५५ तक तो आ ही जायेगे :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-79559923046254598462010-02-19T06:13:59.292-05:002010-02-19T06:13:59.292-05:00आप क्या कहना चाहते हैं?
मैं यह कहना चाहता हूँ कि ...आप क्या कहना चाहते हैं?<br /><br />मैं यह कहना चाहता हूँ कि अद्भुत पोस्ट लिखी है आपने. रिश्तों की गणित की ऐसी व्याख्या! बहुत खूब.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-50116533479937491222010-02-19T00:46:42.099-05:002010-02-19T00:46:42.099-05:0015 35 की गलतफहमिया अभी भी बदस्तूर जारी है..
एयरटे...15 35 की गलतफहमिया अभी भी बदस्तूर जारी है.. <br />एयरटेल के होर्डिंग्स जगह जगा लगे होते है.. बाते मिटा देती है रिश्तों की दूरिया.. पर बाते हो कैसे?<br /><br />कई रिश्तों में पन्द्रह का पैतीस हो गया.. रिजल्ट में हमें भी जीरो ही मिला.. <br /><br />इस पोस्ट को पुरे सौ नंबर दूँगा..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-37854908318892573142010-02-18T12:01:54.621-05:002010-02-18T12:01:54.621-05:00ओझा भाई दोस्ती ओर रिश्तो मै बहुत फ़र्क होता है, वे...ओझा भाई दोस्ती ओर रिश्तो मै बहुत फ़र्क होता है, वेसे तो आज तक कभी किसी से दुशमनी नही की ओर ना ही कभी कोई दोस्ती तोडी है, हां अगर रिश्तो मै कभी कोई खटास आ जाये तो फ़िर चाहे दोस्ती हो या रिश्ता, पहले जड देखते है कि गलती कहां हुयी, फ़िर मनाने की कोशिश भी करते है, वरना एक बार मुंह फ़ेर लिया तो कभी पलट के नही देखा चाहे कुछ भी क्यो ना हो जायेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-90805606170363485532010-02-18T10:32:10.513-05:002010-02-18T10:32:10.513-05:00रिश्तों में गाँठ पढ़ने का मतलब उनका टूटना नहीं । बा...रिश्तों में गाँठ पढ़ने का मतलब उनका टूटना नहीं । बात रहती है पर पहले जैसी नहीं। वैसे शायद इस बात के लिए कोई सामान्य फार्मूला नहीं बन सकता। बहुत कुछ प्रभावित व्यक्तियों की प्रकृति पर निर्भर करता है। <br />और हाँ संस्मरण ० तक तो तो ठीक था भावनात्मक प्रश्न पूछते समय इतनी ज्यादा गणित ठेलोगे तो मस्तिष्क रिश्तों की बातें सोचते सोचते रेखाओं में भटक जाएगा।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-17418120389324556562010-02-18T09:51:09.301-05:002010-02-18T09:51:09.301-05:00मेरी अक्ल के हिसाब से तो कुछ पोस्टों को सिर्फ़ पढा ...<i> <b> मेरी अक्ल के हिसाब से तो कुछ पोस्टों को सिर्फ़ पढा जा सकता है ....और फ़िर टिप्पणी ........न ...नहीं जी ..उसे फ़िर से दोबारा पढा जा सकता है ..और ऐसा ही करते रहने को मन करता है तो .....क्या करूं ....अब मन को कैसे समझाऊं ...बस खुद को बहलाने के लिए इत्ता टीप रहा हूं ...फ़िर पढने जा रहा हूं </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-2206162834886057992010-02-18T09:25:35.276-05:002010-02-18T09:25:35.276-05:00पोस्ट तो फीड रीडर में पढ़ ली थी। यहां तो यह देखने आ...पोस्ट तो फीड रीडर में पढ़ ली थी। यहां तो यह देखने आया था कि लोग क्या टिपेर रहे हैं! :) <br />धन्यवाद।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-78508343145887858802010-02-18T08:19:48.939-05:002010-02-18T08:19:48.939-05:00शायद समानांतर रेखाएं,अनंत के पहले मिल भी जांय - बस...शायद समानांतर रेखाएं,अनंत के पहले मिल भी जांय - बस सतह चपटी न हो गोलाकार चलेगी।उन्मुक्तhttp://esnips.com/web/unmuktMusicFiles/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-90768706223410840282010-02-18T07:54:04.083-05:002010-02-18T07:54:04.083-05:00र इतना ही आसान होता सब कुछ तो दुनिया कितनी खूबसूरत...र इतना ही आसान होता सब कुछ तो दुनिया कितनी खूबसूरत होती .रिश्ते एक बार बनते ओर तुमे निभते .दुनियादारी ओर गणित दोनों मुश्किल है .कभी दुनियादारी में अव्वल गणित में फेल होता है ओर कभी गणित में अव्वल दुनियादारी में .......<br />दोस्ती बड़ा नाजुक रिश्ता है .....जिनके पास नहीं है वे अभागे है.....आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में शायद खून के रिश्तो से ज्यादा अहम् ...पर कसार सालो साल बने रिश्ते इस मुई ग़लतफ़हमी के नाते ही फट से टूट जाते है ....ओर फिर सालो लगते है उन्हें उसी रौ से बैठाने में ......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-40952260991806818852010-02-18T05:32:22.468-05:002010-02-18T05:32:22.468-05:00रिश्तों और जिन्दगी के समीकरण को ऐसे जबरदस्त ले में...रिश्तों और जिन्दगी के समीकरण को ऐसे जबरदस्त ले में लिख डाला आपने कि.....वाह....लाजवाब !!!<br /><br />सच है, रीडिफाइन कर लेने से गाँठ की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती,बल्कि सब पहले से अधिक खूबसूरत हो जाता है...<br />घटती सांसों का हिसाब बड़ा जबरदस्त लगाया आपने....<br /><br />सुन्दर... बहुत सुन्दर पोस्ट...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-77903346678315238642010-02-18T02:58:49.019-05:002010-02-18T02:58:49.019-05:00"हम सब को एक निर्धारित K वर्ष की जिंदगी मिली ..."हम सब को एक निर्धारित K वर्ष की जिंदगी मिली है जो हर क्षण (K-X) होती जा रही है. इस क्षय हो रही जिंदगी और बम-धमाको की दुनिया में X कब K हो जाये कोई नहीं जानता ! "गज़ब की पोस्ट है 'अभी'.........कायल हूँ यार आपके इस गणितीय कैलकुलेसन पर जो सीधे दिल और एहसास की दूरी नए यूनिट तय करती हैं.......Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813075190326884926.post-25010016844939861742010-02-18T01:31:59.601-05:002010-02-18T01:31:59.601-05:00टिप्पणी करते - करते रवि जी की टिप्पणी पर नजर पड़ी ....टिप्पणी करते - करते रवि जी की टिप्पणी पर नजर पड़ी ..मैं उनसे १०० में १०० सहमत हूँ. :-)L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.com