Dec 31, 2014

अर्थहीन


शीर्षक देखने के बाद भी
आप इसे पढ़ रहे हैं कि -
'अर्थहीन' का कुछ तो अर्थ होगा?
पर नहीं है।
आप व्यर्थ ही पढ़ रहे हैं
क्योंकि मुझे नहीं देना कोई अर्थ.
सिवाय इसके कि
ये बेमतलब है।

आश्चर्य ये है कि अर्थहीन कह दिये जाने पर भी
आप अब तक पढ़ रहे हैं !
शायद ये सोचकर कि -
मैं कोशिश कर रहा हूँ कुछ कहने की.
या अंत में कह दूंगा...
कोई अर्थहीन सार्थक बात।

पर एक बार फिर कह रहा हूँ -
कोई अर्थ नहीं इसका !
फिर भी आप मतलब निकालने की कोशिश किए जा रहे हैं।
जबकि सच ये है कि
मैं कुछ लिखता जा रहा हूँ -
और कभी भटकते हुए आप इसे पढ़ लेंगे
कुछ मतलब हो ये जरूरी तो नहीं?

पर...
कैसे कहूँ कि इसका कोई अर्थ नहीं?
अर्थहीन ही जब अर्थ हो तो कैसे कहते हैं उसे ?!
जो भी हो... मत निकालिए अर्थ।
क्योंकि ये निहायत ही व्यर्थ बात है !
...और इसका अनर्थ भी संभव है।

--
~Abhishek Ojha~


पुनश्चः अनंत समय के ऊपर लगाए गए चिह्नो में 'समव्हाट अर्थहीन*' मील के पत्थरों में जो 2014 की जगह 2015 दिखता प्रतीत हो रहा है, जिसे नव वर्ष भी कहते हैं, की शुभकामनाएँ :)
आपके डीपी/सेल्फी की तरह वो जो नहीं दिख रही वाली ऑफलाइन ज़िंदगी भी चहकती रहे। भरपूर लाइक वाले नोटिफिकेशन-कम**-आनंद-ज्यादा हो।

*"कालो न यातो वयमेव याताः" - भर्तृहरि
**अँग्रेजी वाला कम। अँग्रेजी वाला "cum" और हिन्दी वाला "कम" सोच लेने से मतलब ही बदल जाएगा.... और अँग्रेजी वाला इसलिए भी ...क्योंकि "नोटिफिकेशन फ्री जिंदगी" किसी के लिए वरदान की कटेगरी में भी आ सकती है, अभिशाप की भी। इन अर्थहीन बातों में क्या दिमाग लगाना.... चहकते रहिए :)

11 comments:

  1. चार दिन की ज़िंदगी है जा रहे हैं दिन ... पुराने जाएँगे, नए आएंगे!
    हर नए दिन की बधाई :)

    ReplyDelete
  2. "arth-hin vs. arthpurn" ........... baricool padhega to hamre tarah mund-mund
    muskayega

    jai ho.

    ReplyDelete
  3. सच तो यही हैं कि एक लिए जो अर्थहीन हो वह जरुरी नहीं दूसरे के लिए भी हो ....
    बहुत बढ़िया विचारक प्रस्तुति ..
    नए साल की हार्दिक मंगलकामनाएं!

    ReplyDelete
  4. बहुत ही अच्‍छी रचना।

    ReplyDelete
  5. अर्थहीन, व्यर्थ,अनर्थ सभी में आप एक अर्थ देने में समर्थ हैं अपने चटपटेपन से

    ReplyDelete
  6. बहुत ही शानदार
    http://puraneebastee.blogspot.in/
    @PuraneeBastee

    ReplyDelete
  7. शुरू का दो लाइन और सीधा आखिरी शब्दों पर.. हम नहीं पढ़े पूरा.. :P

    ReplyDelete
    Replies
    1. हा हा।
      खाँटी ब्लॉगर का गुण है ये तो :)

      Delete
  8. जैसा कि पहली लाइन में कहा था कोई अर्थ नहीं है आखिरी लाइन तक अर्थ नहीं मिला अभिषेक भाई

    Hindi Shayari

    ReplyDelete