Mar 25, 2009

बुलशिट कार्टेल: 'वो भी वही है': भाग II

पिछले पोस्ट से जारी...

पहले कुछ अर्थशास्त्र... एक महान गणितज्ञ हैं जॉन नैश. जिन्हें गेम थियोरी पर किये गए उनके काम के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया. इनकी छोटी चर्चा अन्यत्र हो चुकी है. आज की शुरुआत इनके एक बड़े प्रसिद्द सिद्धांत से. गेम थियोरी परस्पराधीन रणनीतिक हालातों (interdependent strategic situations) में निर्णय लेने में मदद करने वाले विश्लेष्णात्मक औजार के रूप में जाना जाता है. यहाँ रणनीति में फैसले अक्सर सामने वाला क्या करेगा ये सोच कर लिए जाते हैं.

किसी खेल में नैश संतुलन (Nash Equilibrium) एक ऐसी अवस्था है जिसमें अगर बाकी खिलाडियों की रणनीति मालूम हो तो संतुलन की हालत में हर खिलाडी अपनी 'उत्तम रणनीति' वाली अवस्था में होता है. (the equilibrium that is the dominant strategy for each player in the game, given the actions taken by any other player.) अब उत्तम रणनीति का निर्धारण कैसे हो? तो उत्तम रणनीति कुछ इस तरह परिभाषित है: वो रणनीति जो किसी खिलाडी के लिए हमेशा ही अच्छी है भले ही सामने वाला कोई भी रणनीति चुने. खैर ज्यादा भारी  होता लग रहा है... पर आपको बता दूं की ये सिद्धांत कई जगह इस्तेमाल होते है. और इसके अर्थशास्त्र में होने वाले भारी इस्तेमाल के चलते ही नैश को नोबेल पुरस्कार मिला. वर्ना गणितज्ञ और नोबेल ! ?

तो अर्थशास्त्र में खेल की जगह व्यवसाय और खिलाडी की जगह कंपनियाँ रख दीजिये… फिर करते रहिये नए नए सिद्धांतों की खोज. अब देखिये कोई भी कंपनी चाहेगी लागत से ज्यादा पर माल बेचकर फायदा कमाना. लेकिन सामने वाली कंपनी अगर उससे कम दाम पर बेचना चालु कर दे तो वह ज्यादा बाजार अपने कब्जे में ले सकेगी और इस तरह उसका लाभ ज्यादा हो जायेगा. इस खेल  का नैश संतुलन कम कीमत पर आकर रुकता है. और इस प्रकार कम कीमत और कम लाभ नैश संतुलन होता है. इसका एक मजेदार उदहारण मुझे कुछ दिनों पहले तक अक्सर देखने को मिलता था. जब फ्लैट खुद साफ़ करने की बात होती तो हर फ्लैट पार्टनर को साफ़ फ्लैट चाहिए होता था पर साफ़ कोई नहीं करना चाहता था... इस प्रकार नैश संतुलन ये होता था की कोई फ्लैट साफ़ नहीं करता था :-)

अब बात ये है की दोनों का फायदा तभी होगा जब वो सहयोग करें... अगर अपने स्वार्थ का काम करने लगे तो फिर परिणाम होगा नैश संतुलन ! जैसे मेरे मामले में फ्लैट साफ़ रहेगा वैसे ही कंपनियाँ फायदे के लिए कार्टेल (उत्पादक संघ) बनाती है. ओपेक तो आपने सुना ही होगा तेल उत्पादक देशों का कार्टेल है. ऐसे ही कम्पनियाँ भी कार्टेल बनाती हैं. अगर सब मिलकर बहुत ज्यादा कीमत रखें तो cartel example उपभोक्ता को देना ही पड़ेगा. लेकिन कौन कंपनी नहीं चाहेगी इस कार्टेल को धोखा देकर थोडी कम कीमत पर बेचें और पूरा बाजार अपने कब्जे में ले ले ! और स्वार्थी बाजार में फिर यही होता है... अर्थात नैश संतुलन. (ऐसे एक कार्टेल का बड़ा अच्छा उदहारण है कोक और पेप्सी दोनों कभी कीमत कम नहीं करते, कभी एक दुसरे को धोखा नहीं देते और उपभोक्ता से लागत से  ज्यादा कीमत लेते हैं,  दोनों खूब मुनाफा भी कमाते हैं...).

अब असली बात, इस ऊपर वाले कार्टेल में कीमत की जगह गुणवत्ता कर दीजिये. तो कोई भी कंपनी अगर उसी कीमत पर गुणवत्ता बढा दे तो वो ज्यादा बाजार पर कब्जा कर लेगी. और फिर दूसरी कंपनी को या तो गुणवत्ता बढानी पड़ेगी या फिर उसे बाजार से ही बाहर होना पड़ जायेगा. अब जैसे ऊपर कोक-पेप्सी का कीमत को लेकर कार्टेल है वैसे ही भारतीय कंपनियों का गुणवत्ता को लेकर कार्टेल है. बस इतना अंतर है कि यहाँ धोखा देने पर लाभ हो सकता है फिर भी यहाँ कोई धोखा नहीं दे रहा है. नैश संतुलन बन पड़ा है. हम भी घटिया सर्विस देंगे तुम भी घटिया सर्विस दो इस तरह हम दोनों बाजार में मुनाफे की साझेदारी करेंगे और किसी को बाजार से बाहर भी नहीं होना पड़ेगा ! मुझे इसके लिए नाम सूझा: 'बुलशिट कार्टेल !' 

बाकी क्षेत्र का तो पता नहीं पर टेलिकॉम और मीडिया में तो साफ़-साफ़ दीखता है ये बुलशिट कार्टेल. सारे चैनल बुलशिट दिखाते हैं. कोई इस कार्टेल को धोखा नहीं देता... ! और टेलिकॉम का तो पिछली पोस्ट में आप देख ही चुके हैं...

सब वही हैं... बुलशिट कार्टेल के सदस्य.

~Abhishek Ojha~

चलते-चलते: आज शाम दो सप्ताह कि छुट्टी पर घर जा रहा हूँ... बहुत काम हो गया… अब एक ब्रेक ! तब तक के लिए राम-राम !

21 comments:

  1. ऐसे ने सिलविया नासेर ने नैश की जीवनी 'A Beautiful Mind' नामक पुस्तक में लिखी है। यह अच्छी पुस्तक है और पढ़ने योग्य है। इस पर इसी नाम से फिल्म बनी है जिसे ऑस्कर भी मिला है पर फिल्म की कहानी में उसका चारित्य बेहतर कर दिया गया है जैसा कि इस पुस्तक में बताया गया है।

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  2. हम भी घटिया सर्विस देंगे तुम भी घटिया सर्विस दो इस तरह हम दोनों बाजार में मुनाफे की साझेदारी करेंगे और किसी को बाजार से बाहर भी नहीं होना पड़ेगा ! मुझे इसके लिए नाम सूझा: 'बुलशिट कार्टेल !'

    बहुत सटीक लिखा आपने. पर क्या किया जा सकता है इस "बुलशिट कार्टेल" का?

    आपकी दो सप्ताह की छुट्टियां मंजूर. आनन्द पुर्वक घरवालों के साथ पूरा समय बिताईये और वापसी मे वहां की यादें शेयर किजिये.

    आपने रामराम किया..इस रामराम पर हमारा कापी राईट है. कृपया रायल्टी भिजवादें.:)

    रामराम.

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  3. दारू पी के लिख रहे हैं तो झूठ नहीं लिखेंगे, :-)
    जैसा पिक्चर में दिखाया है बार में नैश सन्तुलन का सिद्धान्त वैसा असल में सच्ची में भी काम करता है। सबसे खूबसूरत बाला को छोडकर बाकी से बात करो, वैसे भारत में तो इस सिद्धान्त तो लोग पहले से जानते थे, :-)

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  4. आईला फिर से गणित..... भागो!!!!!!!

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  5. @उन्मुक्त: उन्मुक्तजी 'A beautiful Mind' मेरी सबसे पसंदीदा फिल्मों में से है. और मुझे लगता है अब तक बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में एक है. कहानी के अलावा रसेल क्रो की शानदार एक्टिंग की वजह से भी. वैसे तो पुस्तक भी है तो मेरे पास पर अभी तक पढ़ नहीं पाया हूँ. :(
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    @ताऊ रामपुरिया: ताऊ जी, ब्लॉग जगत को राम-राम कहना अपने ही सिखाया है इसलिए आपका इस पर कॉपीराइट है इसमें कोई दो राय नहीं. रोयल्टी भेजने को मैं तैयार हूँ, कितनी रोयल्टी हुई इस के साथ आप अपना नाम और पता भेज दीजिये... इसी बहाने पता तो चेलगा की ताऊ कौन है :-)
    छुट्टी की अर्जी मंजूर करने के लिए आपका धन्यवाद !
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    @Neeraj Rohilla: नीरज भाई नैश सिद्धांत तो काम करता ही है... पते की बात है कि लड़की पटाने में कैसे काम आता है फिल्म में देखा ही होगा आपने :-)

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  6. "हम भी घटिया सर्विस देंगे तुम भी घटिया सर्विस दो " एकदम सही नाम दिया आपने " बुलशिट कार्टेल"
    आप की छुट्टिया अच्छी गुज़रे इसी शुभकामना के साथ आपका "आलोक सिंह "

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  7. ओहो पुरानी पोस्ट पढ़ ली थी.. नयी पोस्ट तो यहाँ है.. तभी मैं सोचु की मेरी टिपण्णी कहाँ गयी ?? :) घटिया सर्विस लेने की भी तो आदत पड़ चुकी है लोगो को..

    जाओ जाओ छुट्टियों पर जाओ..

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  8. कुछ बात समझ आई ..कुछ नहीं आई ..जो सबसे अधिक समझ आई वह यह कि जाओ खूब मजे से छुट्टियाँ एन्जॉय करो :)

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  9. रसेल का वो रूप आज भी मुझे ग्लेडीयेतर से ज्यादा याद है ...इस मूवी को खामोशी से रात में देखना ..एक अजीब सी पीडा से गुजरना है ..शायद दस बेहतरीन फिल्मो से एक है

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  10. जहां हम रहते हैं वहां तीन सौ से अधिक चावल मिलें हैं, लेकिन उनमें किसी के यहां किसानों को धान की सही कीमत नहीं दी जाती। जाहिर है यहां भी कार्टेल वाली बात लागू होती है।
    आप घर पर आराम के साथ छुट्टियां मनाएं, हमारी शुभकामना और राम-राम।

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  11. हम तो आये थे कुछ हल्का-फुल्का पढने मगर आपके नैश संतुलन ने तो हमारी भारी-भरकम बुद्धि का संतुलन ही बिगाड़कर धर दिया. पुस्तक पढने की तो बात ही छोडो हम तो फिल्म भी पूरी नहीं कर सके
    अच्छा रहा, कुछ अलग सा पढने को मिला - लिखते रहो.
    हैं और भी दुनिया में बिलागर बहुत अच्छे,
    कहते हैं कि ओझा का है सब्जेक्ट-इ-बयान और.

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  12. ओह ट्रेन ऑपरेशन में यह नैश संतुलन और बुलशिट कार्टेल बिल्कुल फिट नजर आता है। एक जोन या एक मण्डल अपनी माल गाडियां ज्यादा से ज्यादा दूसरे के इलाके में ठेलने में यही सब करता है।
    पर समस्या है कि वह सब मैं नेट पर लिख नहीं सकता! :-)

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  13. यात्रा के लिए शुभकामनाएँ। बहुत दिनों बाद गेम थ्योरी को कोई याद दिलाने वाला नज़र आया ।:)

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  14. मेरा आपसे एक ही अनुरोध है कि कृपया साइंस ब्लॉग पर आज २६-३-०९ को मेरे द्वारा किया गया निवेदन पढने की कृपा करें

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  15. मेरे दो मित्र (क और ख) एक घर शेयर करके रहते थे. मैं और एक और मित्र (म और स) और वहां अक्सर जाया करते थे या यूँ कहें कि वहीँ पड़े रहते थे. वे दोनों मित्र (क और ख) टायलेट साफ़ करने के लिए एक दूसरे का मुंह ताकते थे. मैं निर्लिप्त रहता था क्योंकि मैं तो कभी कभी का मेहमान था. स महोदय जब भी वहां होते तो सुबह उठकर टायलेट खुद साफ़ करते थे. ऐसे ही साल भर से ज्यादा आराम से निकल गया. अब यहाँ नैश संतुलन कैसे हुआ?

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  16. जॉन नैश.अरे पहले इस ने किताब लिखी फ़िर उस पर फ़िल्म बनी, ओर फ़िर .... वाह यह खेल तो हम बचपने से ही खेलते आ रहे है, गुल्ली डन्डा किसे ज्यादा पिदाना है, किसे से बचना है, यानि भारत के बच्चे तो अपने जींस मे ले कर यह थ्योरी पेदा होते है.
    चलिये आप को छुट्टियां दी जाती है, लेकिन अपना पिछला रिकाड भी देख लो बहुत ज्यादा छुट्टिय्यां भी ठीक नही.
    चलिये आप को इन् छुट्टियो की बहुत बहुत शुव्कामनये , मजे से बीताओ अपनी यह छुट्टियां
    धन्यवाद

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  17. बड़े अच्छे से समझाया है बुलशिट कार्टेल, ये नैश वही हैं जिनपर ब्यूटीफूल माइंड बनी थी।

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  18. आपके अब तक जितने पोस्ट मैंने पढ़े हैं, उनमे सबसे उम्दा है यह पोस्ट . मैंने जॉन नैश के बारे में बस सुन भर रखा था पर आपने गेम थेओरी को बड़ी ही सरल भाषा में बड़ी ही अच्छी तरीके से समझाया, धन्यवाद :-)

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  19. भाई अभिषेक जी अच्छा लिखा है .

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  20. बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें..

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  21. "A Beautiful Mind " = an excellant Film
    &
    Our "sub kuch chalta hai "
    positively degrading truth

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