Feb 20, 2008

थप्पड़ और प्यार !

'क्या मेरी किसी गलती पर तुम मुझे कभी थप्पड़ मार सकते हो?'
'नहीं'
'तुम कितने अच्छे हो! आई लव यू'
'आई लव यू टू'
'अच्छा ये बताओ तुमने कभी किसी को थप्पड़ मारा है?'
'हाँ'
'किसे?'
एक बार भइया को, एक बार अपने एक दोस्त को और.... बस'
'बस!'
'हाँ बस, इनके अलावा और किसी को मार भी नहीं सकता... हाँ अपनी माँ को मार सकता हूँ पर कभी ऐसा कुछ हुआ ही नहीं... '
'तुम कितने बुरे हो ! उँह... माँ को मार सकता हूँ.... अच्छा सच बताना तुम मुझे खुश करने के लिए ये कह रहे हो ना? पर मैं वैसी नहीं हूँ.'
'तुम नहीं समझोगी, जिस दिन मैं तुम्हे थप्पड़ मार दूँ समझना मैं तुम्हे संसार में सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ... '
'मतलब अभी.. ?'
'मतलब मैंने कहा ना, तुम नहीं समझोगी... थप्पड़ मारने के लिए, सामने वाले पर कितना अधिकार होना चाहिए...! इसीलिए तो आजतक मैंने इतने कम थप्पड़ मारे हैं, मेरे लिए इसका मतलब कुछ और ही है.'


~Abhishek Ojha~

3 comments:

  1. दिल को छू लेने वाला लिखा है आपने..

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  2. बहुत अच्छा लिखा हे..छोटे से वार्तालाप मी बड़ी गहराइया नाप ली हे.
    अब इस लेखन के लिए बहुत से थप्पड़ खाने को तैयार रहो

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  3. यार अद्बुत है। इतने हक से कोई मारे तो थप्पड़ खाने का भी अपना मज़ा है। बहुत अच्छा लिखा है आपने।

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